मोदी सरकार और महिला विकास

मोदी सरकार ने महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। ग्रामीण से लेकर शहरी और कामकाजी महिलाओं तक सभी का इन योजनाओं में ध्यान रखा गया है।

नारी के महान शक्ति स्रोत को पहचान कर ही नरेंद्र मोदी ने उसे सदा नमन किया है। नरेंद्र मोदी ने भारतीय स्त्री को आर्थिक, शैक्षिक तथा भावनात्मक रूप से स्थिर और उन्नत बनाने के लिए सदैव ही प्रयास किए हैं।

देश की आधी आबादी महिलाओं की है और इसीलिए देश की प्रगति और विकास की बातें तब तक निरर्थक हैं, जब तक महिलाओं को समान आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकार नहीं दिए जाते हैं। महिलाओं को यदि लिंग और वर्ग भेद से बाहर निकालना है, तो आर्थिक स्वतंत्रता ही उनकी उन्नति का अत्यंत महत्वपूर्ण घटक होगा। यदि महिलाएं चाहती हैं कि, विभिन्न मुद्दों पर विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित विषयों पर उनकी बात सुनी जाए तो और उन्हें सम्मान प्राप्त हो, तो सर्वप्रथम उन्हें आर्थिक दृष्टि से मजबूत होना होगा।

यह सत्य है नई कल्पनाओं, मूल्यों के आधार पर एवं सामाजिक सहयोग से महिलाएं आय का स्वतंत्र जरिया पाती है, तो उनका अपने अधिकारों के प्रति आत्मविश्वास और आग्रह अधिक बढ़ेगा। भौतिक साधनों पर नियंत्रण के कारण परिवार के सदस्यों के बीच उनकी सम्मान एवं प्रतिष्ठा अधिक बढ़ेगी और इससे उनकी राय को भी अधिक महत्व मिलेगा।

विश्व बैंक रिपोर्ट ,2011 के अनुसार, परिवार की आय पर, चाहे वह महिलाओं की अपनी कमाई हो या किसी योजना के अंतर्गत, उसे प्राप्त धन हो…यदि महिला का अधिक नियंत्रण हो, तो इस तरह बच्चों को ही अधिक लाभ होगा और देश का विकास होगा। ब्राजील, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन के अनुभवों से स्पष्ट है कि जिन परिवारों की आय पर महिलाओं का नियंत्रण होता है, तो वह भोजन और शिक्षा पर अधिक खर्च करती हैं। जिससे परिवार और बच्चे लाभान्वित होते हैं।

डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ऑफ ट्रांसफर स्कीम अर्थात ’सहायता का सीधा हस्तांतरण’ योजना महिला सशक्तिकरण का एक साधन बन सकती है। इस योजना के तहत लाभ की राशि सीधे महिलाओं के खाते में जमा की जाती है। जिससे महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा मिलती है ।

वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिससे लाखों महिलाओं को सीधा लाभ पहुंचा है। मुद्रा ॠण योजना में 70 फ़ीसदी ॠण महिलाओं को दिया गया है। मुद्रा योजना ने महिलाओं को सशक्त करने का कार्य किया है। इसके तहत महिलाओं ने ॠण लेकर अपना रोजगार प्रारंभ किया और अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए।
वर्ष 2014 तक देश में मात्र 14 करोड़ घरों में ही एलपीजी गैस पहुंची थी, जबकि पिछले 5 वर्षों के दौरान 10 करोड़ घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन बांटे गए हैं।

इसी तरह सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को धुंए से मुक्ति दिलाने के लिए ’उज्ज्वला गैस योजना’ के तहत 6 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए हैं। अभी 2 करोड़ कनेक्शन और दिए जाएंगे। इस योजना से महिलाओं को ना केवल धुंए और घुटन से भरी जिंदगी से मुक्ति मिली है, बल्कि उनकी जिंदगी में भी सुख के अवसर आए हैं।

ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा ’सोलर चरखा योजना’ चलाई जा रही है। इस योजना में वर्ष 2022 तक देश के प्रत्येक जिले के एक लाख लोगों को रोजगार से जोड़ा जाएगा और इसके तहत लगभग 5 करोड महिलाओं को रोजगार मिलने की संभावना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 2 सालों में महिलाओं के लिए 5000 अतिरिक्त नौकरियां सृजित की हैं ।’प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा महिलाओं को आधुनिक चरखा चलाने का प्रशिक्षण देकर तथा उन्हें ॠण उपलब्ध करा कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे महिलाएं अपने घर पर ही काम करके 200 प्रतिदिन कमा सकती हैं। इस योजना से महिलाओं के ना केवल जीवन स्तर में सुधार होगा बल्कि देश को भी आर्थिक मजबूती मिलेगी।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 7 मार्च सन 2016 को महिला उद्यमियों की जरूरतों को देखते हुए एक अद्वितीय और प्रत्यक्ष विपणन बिक्री मंच प्रदान करने हेतु ’महिला ई हाट’ का प्रारंभ हुआ। इसमें महिला उद्यमी ग्राहकों को सीधे अपने उत्पाद बेच कर लाभ कमा रही हैं।

कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास योजना के तहत अपने गृह नगर से दूसरे शहरों में रह कर शिक्षा प्राप्त करने वाली एवं कार्य करने वाली महिलाओं को सुरक्षित एवं किफायती छात्रावास उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें 890 हॉस्टलों को मंजूरी मिली। जिसमें 66 हजार से अधिक महिलाएं इस योजना ’वर्किग वुमन हॉस्टल’ के तहत लाभान्वित हुई हैं। ’वर्किग वुमन हॉस्टल’के अंतर्गत इसका बजट 52 करोड़ से बढ़ा कर 165 करोड़ करने का प्रस्ताव है।

’प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ के अंतर्गत नामित लाभार्थियों की संख्या बढ़ कर 17,66,423 हो गई है। यहां नामांकन हेतु प्रतिदिन 50 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं। इसमें सभी महिला पात्र लाभार्थियों को मातृत्व लाभ की शर्तों के मुताबिक गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कुल 6 हजार रु. प्राप्त होते हैं। इसमें पहले 1200 करोड़ का बजट था। इसे वर्तमान समय में बढ़ा कर 2500 करोड़ का कर दिया गया है।

वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा और भेदभाव से मुक्ति हेतु सराहनीय प्रयास किए गए हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण एवं सुरक्षा मिशन के बजट में 1,330 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।

महिलाओं को शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुंचाने वाली घटना बलात्कार के मामले में फांसी के अलावा जेल की सजा बढ़ा कर 20 साल तक कर दी गई है। बलात्कार के सभी मामलों में 2 माह के भीतर जांच पूरी कराने के लिए कानून में प्रावधान किए गए हैं, ताकि पीड़िता को जल्दी न्याय और अपराधियों को सजा मिल सके।

मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक कानून का विरोध किया गया। किंतु निश्चय ही तीन तलाक कानून बन जाने से मुस्लिम महिलाओं का जीवन ना केवल सुरक्षित हुआ है, बल्कि वे सामाजिक-आर्थिक रूप से सुरक्षित और आत्म निर्भर महसूस कर रही हैं।

केंद्र सरकार ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बजट में पिछले साल की तुलना में 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की है। बजट बढ़ने से कुपोषण और महिला एवं बच्चों के संरक्षण को लेकर चल रही योजनाओं को बल मिलेगा।
समेकित बाल विकास योजनाओं के बजट में करीब 4500 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है।

महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण मिशन के लिए 1,156 करोड़ का बजट बढ़ा कर 1,330 करोड़ करने का प्रस्ताव दिया गया है।

मानव तस्करी से छुड़ाई गई महिलाओं के पुनर्वास के लिए चल रही योजना का बजट 20 करोड़ से बढ़ा कर 30 करोड़ करने और बेसहारा विधवाओं के होम का बजट 8 करोड़ से बढ़ा कर 15 करोड़ करने का प्रस्ताव किया गया है।

कामकाजी महिलाओं को दिए जाने वाला ’मातृत्व अवकाश’ बढ़ा कर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान है, जिससे नवजात शिशु को मां के संरक्षण का पूरा लाभ मिल सके तथा महिलाएं आर्थिक चिंता से मुक्त होकर बच्चे का पालन-पोषण कर सकें।
इस बार के केंद्रीय बजट में आंगनबाड़ी और आशा योजना के मानदेय में 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

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