पाकिस्तान अर्थव्यवस्था होगी तबाह

पुलवामा आंतकवादी हमले के बाद भारत ने अपनी सरहदो पर आक्रमक सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। जिसके कारण पाकिस्तान को भी उसी तरह तैनाती करना अत्यावश्यक है। जिसके चलते पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था को रोजाना करोड़ो रूपयों का नुकसान हो रहा है। भारत के सर्जिकल स्ट्राईक 2 के बाद से पाकिस्तान की प्रवासी एवं व्यापारीक विमान यात्रा गत सप्ताह से पूरी तरह बंद की गई है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा पाकिस्तान पर से पुरी तरह उठता जा रहा है।

एैसे ही सैन्य तैनाती लंबे समय तक जारी रखने पर पाकिस्तान में महंगाई धरम पर पहुँच जाएगी और आतंरिक अशांति बढ़ती जाएगी। एक समय एैसा आएगा कि सेना भी सामाजिक विद्रोह को संभाल नही पाएंगी।

वर्तमान समय में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बहुत ही खराब स्थिति में है। सरकारी पगार देने के लिए इमशन खान को विश्व भर के सामने हाथ फैलाकर पैसे लाने पड़ रहे है। अमेरिकी आर्थिक सहायता कब की बंद हो चुकी है। और सिपेक के लिए लिया गया चीन से कर्ज पाकिस्तान के गले तक आ गया है। अरब देशो ने दिया हुआ कर्ज पाकिस्तान को आर्थिक सर्वनाश से बाहर निकालने में अनुपयोगी है।

* अफगाणिस्तान और ईरान सीमा से पाकिस्तानी सैन्य भारतीय सीमा पर

भारतीय सेना की तैनाती शुरू होते ही पाकिस्तान ने बलुचिस्तान और पश्तुन क्षेत्र से जल्दबाजी में सेना की हलचल शुरू कर दी है। अभी अफगाणिस्तान एवं ईरान सीमा से हटाकर पाकिस्तानी सेना को भारतीय सीमा पर लाया जा रहा है। इसलिए बलुच संगठनो द्वारा पाकिस्तानी सेना पर हमला बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही सेना से रिक्त हुए 200 के करीब पाकिस्तानी चौकियों पर बलुच योध्दाओं ने अपना कब्जा जमा लिया है। बीते एक माह में बलुच हमलों में 150 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए है।

भारत की आक्रामक सैन्य तैनाती लंबे समय तक पाकिस्तान सीमा पर डटी रही तो पाकिस्तान अर्थव्यवस्था पाताल लोक में चली जाएगी और बलुच, सिंधी, मुहाजीर स्वतंत्रता आंदोलन को बहुत अधिक बल मिलेगा। “वॉर ऑफ ऍट्रीशन” स्वतंत्र बलुचिस्तान, सिंधु देश और मुहाजिर राष्ट्र निर्माण करने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर के देगा।

* पाकिस्तान में महंगाई चरम पर

आतंकवादियों को खाद-पानी देनेवाले पाकिस्तान को भारत ने सीमा शुल्क 200 फीसदी बढ़ा कर और ‘मोस्ट फेण्हर्ड नेशन’ का दर्जा छिनकर जोरदार झटका दिया है। जिसके कारण पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला पड़ चुका है और इसका दुष्प्रभाव उसके जर्जर अर्थव्यवस्था से भी दिखाई दे रहा है। वर्तमान परिस्थिति एैसी है कि पाकिस्तान में महंगाई आकाश छुने को बेताव है। नए आकड़े के अनुसार इन्फलेशन रेट सतत बढ़ता जा रहा है। फरवरी 2019 में इसी दर से गत 5 वर्षो में उच्चतम स्तर को स्पर्श किया है।

फरवरी 2019 में महंगाई दर 56 महिनो के उच्चतम स्तर 8.21 फीसदी पर पहुंच गया। इतने बड़े पैमाने पर महंगाई के उछाल से लगभग सभी क्षेत्रो में बड़ी हुई किमतो से जीवन जीने के लिए खर्च में अधिक बढ़ोत्तरी होने के संकेत दे रहा है। पाकिस्तान के सांख्यिकी विभाग ने 1 मार्च को जाहिर किया कि ग्राहक मूल्य निर्देशांक द्वारा (सीपीआय-कंझ्युमर प्राईस इंडेक्स) मापने पर महंगाई में फरवरी 2019 में बढ़कर 8.21 फीसदी हो गई जबकि बीते वर्ष 3.8 फीसदी स्तर पर थी। बीते कुछ समय से पाकिस्तानी रूपयों का बड़े पैमाने पर अवमूल्यन हुआ है। गत 1 वर्षो में पाकिस्तानी रूपया डॉलर की तुलना में 33 फीसदी नीचे गिर गया। रूपयो के नीचले स्तर का दुष्प्रभाव पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ा और उसमें कमी आ गई है। परिणाम स्वरूप पाकिस्तान खर्च के असंतुलन (इरश्ररपलश ेष झरूाशपीं) बड़े संकट की ओर अग्रसर होता जा रहा है।

रोजाना भोजन में शामिल टमाटर, अदरक, आलु, बीफ, शक्कर, चाय, मटन, गुड़, घी, मछली, मुंग दाल, अंडा, खाद्य तेल, चावल, हरीभरी दाल, ताजा दुध और गेहुं के दाम में 3.21 फीसदी रही। फरवरी 2019 में यह दर करीबन 6 वर्षो के उच्चतम स्तर 8.8 फीसदी पहुंच गई। मुद्रास्फीति का प्रभाव सरकार के नीतियों पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। मुद्रास्फीति के बढ़ते दर से अनुमान लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी करने के सिनेट के प्रस्ताव को नामंजुर किया जा सकता है। इसका मुख्य कारण पाक के राजकोष की स्थिति दयनीय होना बताया जा रहा है।

* भविष्य की संभावनाएं

एशियाई विकास बैंक के आकड़े अनुसार पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर वर्तमान समय में4.8 फीसदी है, जो नेपाल से भी (5.5 फीसदी) कम है। पाकिस्तान के नए जीडीपी आकड़े अनुसार 2017 में 4.4 फीसदी और 2018 में 5.8 फीसदी लुड़क गया। ‘स्टँर्ड एण्ड पुअर्स’ ने भी पाकिस्तान के दिर्घकालीन कर्म मानक को ‘बी-नेगेटीव’ रेटिंग देकर नीचे ला दिया है। इसके साथ ही एैसा संकेत दिया है कि संकेत दिया है कि 2019 में पाकिस्तान की जीडीपी दर 4 फीसदी से भी नीचे जा सकती है। आगामी 2 वर्षो में 3.5 फीसदी और 2022 तक 3.3 फीसदी स्तर तक जाएगी। आज के समय में पाकिस्तान की मुद्रास्फीति भारत, बांग्लादेश और नेपाल सहित भारतीय उपखंड में सर्वाधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार में कथित रूप से 7 बिलियन डॉलर तक कभी आई है। जिससे पाकिस्तान केवल एक माह तक आयात कर सकता है। जून 2019 को समाप्त होनेवाले आर्थिक वर्ष में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है। अभी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 2 प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है। पहला है कि सरकारी खर्च तिजोरी के पैसे से अधिक है, जिससे प्रतिवर्ष 2 खरब रूपयों का नुकसान हो रहा है वही दुसरी ओर पाकिस्तान का आयात निर्यात से दोगुना है। बढ़ती मुद्रास्फीति से संबंधित नुकसान उच्च वास्तविक आर्थिक विकास के मार्ग पर पाकिस्तान को निकट समय में बड़े संकट में डाल सकता है।

* पाकिस्तान के खिलाफ आर्थिक युध्द

भारत को अब पाकिस्तान के खिलाफ आर्थिक युध्द शुरू करना चाहिए। शस्त्र स्पर्धा में उलझा कर अमेरिका ने जिस तरह रूस को परास्त किया, उसी तरह हमें भी पाकिस्तान को आर्थिक विनाश की ओर ले जाना चाहिए। होर्मुझ और एडन की खाड़ी में भारतीय नौसेना की तैनाती स्थायी रूप से की जानी चाहिए। इसके चलते पाकिस्तानी नौसेना को भी अतिरिक्त शस्त्रास्त्र की तैनाती करनी पड़ेगी। इसके कारण पहले से ही असमर्थ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था और अधिक प्रभावित होगी। हमें अपनी आर्थिक सामर्थ्य के बुते पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को पुरी तरह से तबाह कर देना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के अर्थव्यवस्था से 15 गुणा अधिक बड़ी है। यदि हम पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था तबाह नही कर पाए तो हमारे सामर्थ्य का क्या उपयोग? हम निम्नलिखित उपाय कर सकते है क्या?

1) 500/1000 रूपये के फर्जी पाकिस्तानी नोट को पाकिस्तान में घुसा सकते है क्या? जैसे पाकिस्तान हमारे देश में करता है तो हम क्यों नही कर सकते?

2) भारतीय सस्ती वस्तुओं से पाकिस्तान का बाजार भर सकते है क्या? और उसके साथ ही उनके उद्योग को ध्वस्त कर सकते है क्या? इसके लिए पहले से ही सस्ती चीन की वस्तुओं को तस्करी द्वारा पाकिस्तान में निर्यात कर योजना को सफल बनाया जा सकता है। अफगाणिस्तान/पाकिस्तान के अफीम की खेती पर प्रतिबंध कैसे लगाया जा सकता है? इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

3) हम एफआयआय ((foreign Institutional Investors) एनआरआय एवं अन्य उपायों से कराची के स्टोक एक्सचेंज को गिरा सकते है क्या?

4) पाकिस्तान की ओर जानेवाली नदियों का उद्गाम भारत में है। धुम-धमाका न करते हुए पानी का नियोजन इस तरह से करे कि गर्मी के मौसम में कम और बारीस के मौसम में अधिक पानी छोड़ा जा सके, जैसे चीन ब्रहम्पुत्र का पानी छोड़ता है, उसी तरह हमे भी नदियों को अपने नियंत्रण में लेकर पानी को छोड़ना चाहिए।

 

* और क्या करे?

आज की स्थिति में भारत को बड़ा सैकि संघर्ष स्वयं शुरू न करते हुए और अभी की आक्रामक सैन्य तैनाती को जरा भी कम न करते हुए पाकिस्तान पर प्राणघातक सैन्य दबाव स्थाई रूप से बनाए रखना चाहिए। जिससे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था धरासाई हो जाए और बलुच, पश्तुन, सिंधी, मुहाजीर ये सभी अपने राष्ट्रवादी आंदोलनो को नई धार दे सके।

अफगाणिस्तान में रक्तरंजित तालिबान, आतंकवाद और कश्मीर में रक्तपात इसका मुल उद्गम पाकिस्तान के भीतर गहराई तक बसा हुआ है। इसलिए पाकिस्तान को पुर्णरूप से खंडित किए बिना आतंकवाद को नही रोका जा सकता।

 

This Post Has 2 Comments

  1. Anonymous

    Economic times main chapana chahiye

  2. अरुण अंबादास भालेराव

    अतिशय सुंदर विवेचन, यातील काही उपाय जरी सरकारने केले तर पाकिस्तानचे आर्थिक कंबरडे निश्चितच मॉडेल, आशा करूया असे किंवा यातील काहीतरी घडेल.

Leave a Reply to Anonymous Cancel reply