आप क्या चुनेंगे प्रधानमंत्री या सांसद

पिछले कई  दिनों से पूरे देश में जनता देश के सबसे बड़े त्यौहार की तैयारी में जुट गयी है | आप सोशल मीडिया खंगाल के देंखे तो आपको ९०% से अधिक पोस्ट्स चुनाव से संबंधित ही मिलेंगे | लेकिन इन सभी पोस्ट्स में एक समानता देखी गयी है और वह समानता यह है कि, इन पोस्ट्स पर आने वाले कमेंट्स में अधिकतर लोग एक – दूसरे से वाद – विवाद करते हुए दिखाई देते हैं | अधिकतर इन कमेंट्स में उस क्षेत्र के सांसद ने काम किया है कि नहीं और इस कारण से हम इस पार्टी को मत नहीं देंगे, उस पार्टी को मत नहीं देंगे आदि बातें की गयी दिखाई देती हैं | भारत का नागरिक होने के नातें हमें इससे  थोड़ा  उँचा सोचना होगा |

लोकसभा चुनाव मुख्यत: देश में किसकी सरकार स्थापित होगी, इस लिये आयोजित किये जाते हैं | इसके लिये आवश्यक होता है, अपने – अपने क्षेत्र के सांसदों को चुनना | ये सासंद संसद भवन में उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं | इन सांसदों पर ही देश में किसकी सरकार बनेगी यह निर्भर करता है | लेकिन क्या हमारा काम केवल सांसद चुनना ही है ? नहीं | हाँ यह आवश्यक जरूर है, कि अपने क्षेत्र के विकास के लिये लोकसभा सीट के लिये जो उम्मीदवार है, वह योग्य है या नहीं, उसे चुना जाना चाहिये या नहीं यह सोचें | लेकिन सभी मतदाताओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि, यही एकमेव मुद्दा नहीं हो सकता | देश के लिये क्या आवश्यक है, देश की सरकार बनाने के लिये क्या आवश्यक है, यह अधिक महत्वपूर्ण है |

हम मतदाताओं  के एक – एक मत पर देश की सरकार निर्भर करती है, ऐसा करते वक्त शायद आपका सांसद का चुनाव सही हो, लेकिन यह चुनाव, जो सरकार बननी चाहिये या देश के लिये जो सरकार आवश्यक है, उसके खिलाफ जा सकता है, कहने का तात्पर्य इतना ही है, एक मतदाता के तौर पर हम केवल सांसद ही नहीं चुन रहें बल्कि हम देश के लिये पूरी की पूरी सरकार चुन रहे हैं | मैंने कुछ दिन पूर्व फेसबुक के एक कमेंट में पढा था कि, “आम आदमी इतने ऊपर जा कर नहीं सोचता, उसे तो बस उसके क्षेत्र के विकास से ही मतलब होता है, ऐसे में देश के लिये जो आवश्यक है, जरूरी नहीं सांसद का चुनाव करते वक्त भी वही ध्यान में रखा जाए|”

ऐसी सोच रखने वालों से एक ही बात कहना चाहूँगी, यदि आम आदमी नहीं सोचता बड़े पैमाने पर तो उसे सोचना चाहिये, क्योंकि जब देश में आपातकाल लगता है, तो आम आदमी को ही भुगतना पड़ता है, देश में जब आतंकवादी हमला होता है तो आम आदमी की ही जान जाती है, देश में जब भ्रष्टाचार होता है तो पैसा भी आम आदमी का ही जाता है | देश की केंद्रीय सत्ता आम आदमी के जीवन के लिये बहुत महत्वपूर्ण है, और शायद इसका महत्व आम आदमी को नहीं है | यदि आम आदमी नहीं सोचता तो बाद में देश के अहित में लिये गये निर्णय पर आम आदमी को प्रश्न करने का अधिकार भी नहीं रहता |

आम आदमी को आज अपने क्षेत्र से , अपने आप से थोड़ा  ऊपर उठ कर सोचना होगा | देश के हित में क्या है, देश की भलाई किसमें है यह भी सोचना होगा, क्योंकि जब तक आम आदमी नहीं सोचेगा तब तक शायद परिवर्तन नहीं हो पाएगा | शिकायतें करना आसान होता है, पर देश हित का सोच कर निर्णय लेना शायद थोड़ा कठिन है | सांसद चुनना देश की सरकार चुनने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, संपूर्ण प्रक्रिया नहीं | इस लिये देश हित में जिसकी सरकार आवश्यक है, उसे ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय लें |

सांसद भी ऐसा हो जो विकास करे, लेकिन देशहित सर्वतोपरि | एक – एक मत आवश्यक होता है, हमनें इतिहास में देखा है, कि एक मत से सरकार बनती भी है और गिरती भी, ऐसे में अपनी सरकार चुनते वक्त सोच समझ कर निर्णय लें | मतदान अवश्य करें, लेकिन सोच समझ कर करें |

 

                                                                                                                                                                            निहारिका पोल सर्वटे

 

This Post Has 8 Comments

  1. Neerja Bodhankar

    सटीक??

  2. Mukesh Gupta

    very good

  3. Vikas H chavan

    good

  4. Vikas H chavan

    nice

  5. Mukesh Gupta ji

    good one

  6. Anonymous

    HAM TO MODI JI KO HI CHUNEGE

  7. सूरज राजेंद्र पांडे

    हमे प्रधानमंत्री चुनना है, और देश मे मोदी जी से अच्छा कोई विकल्प नही….सबका साथ सबका विकाश .. नमो नमो

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