बीते ढ़ाई दशक से भी अधिक समय से हवाई यात्रा करने वाली निजी क्षेत्र की जेट एयरवेज आखिरकार बंद हो गई। गत 4 वर्षों से आर्थिक संकट की मार झेल रही जेट एयरवेज को बैंको ने 400 करोड़ रु. का आपातकालिन कर्ज देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद जेट एयरवेज को परिचालन अस्थायी तौर पर स्थगित करने की घोषणा करनी पड़ी। इससे प्रभावित हुए पायलटों तथा विमान रख-रखाव अभियंताओं के सगंठन सहित सभी कर्मचारियों ने 20 हजार नौकरियों एवं जेट एयरवेज को बचाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। लोगों ने सवाल उठाया है कि अधिक किराया लेने के बावजूद निजी कंपनियों को घाटा कैसे होता है? जानकारों के अनुसार कंपनियों की मनमार्नी कार्यप्रणाली व अनियमितता ही उनके डूबने का कारण है। क्या जेट एयरवेज को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार हस्तक्षेप करेगी? अपनी बेबाक राय दे…..
Prashant
18 अप्रैल 2019हवाईजादे..
सरकारने हस्तक्षेप नही करना चाहिए.