जादुई खिड़की

एक शहर में एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ गया. उसकी तबियत इतनी ख़राब थी कि उसे अपना अधिकांश समय बिस्तर पर ही बिताना पड़ता था.

दूसरे बच्चों को भी उससे मिलने की मनाही थी, इसलिए वह बहुत उदास रहा करता था. पूरा दिन वह उदासी और अकेलेपन में गुजारता था.

जिस बिस्तर पर वह लेटा रहता था, उसके पास ही एक खिड़की थी. बस वहीं लेटे-लेटे वह खिड़की के बाहर देखा करता था. समय इसी तरह बीत रहा था और उसकी उदासी बढ़ती जा रही थी.

एक दिन उसने एक अजीब सी आकृति अपने खिड़की के बाहर देखी. वह एक पेंगुइन था, जो सैंडविच खा रहा था. कुछ देर बाद उस पेंगुइन ने खिड़की से अंदर झांक कर देखा और कहा, “हलो दोस्त.” उसके बाद वहाँ से चला गया.

यह सब देखकर बच्चा हैरान था. वह सोच ही रहा था कि ये क्या हुआ कि उसने फिर से खिड़की के बाहर एक बंदर को देखा, जो गुब्बारा फुला रहा था. उसके बाद से हर दिन उसे अपनी खिड़की के बाहर ऐसे ही अजीबो-गरीब और मजेदार कार्टून करैक्टर दिखने लगे और अपनी मजेदार हरकतों से उसे हँसाने लगे.

बच्चे को यह सब देखकर बड़ा मज़ा आता था और वह खुश होकर खूब हँसता था. कभी उसे हाथी झूम-झूमकर नाचता हुआ दिखता, तो कभी बिल्ली चश्मा लगाकर किताब पढ़ते हुए दिखती. कभी कुत्ता मस्ती करते हुए दिखता, तो कभी खरगोश उछलते-कूदते हुए दिखता.

कभी-कभी वह सोचता कि यह सब सच है या सपना. उसे सब कुछ जादू सा लगता. इसलिए घर पर उसने कभी किसी को यह बात नहीं बताई. उसे लगा करता था कि कोई उस पर यकीन नहीं करेगा.

जब से उसे अपनी खिड़की पर ये मज़ेदार नज़ारे दिखने लगे, उसकी उदासी दूर होने लगी. अब वह खुश रहने लगा. इसका असर ये हुआ कि उसकी सेहत में बहुत जल्दी सुधार आने लगा. कुछ दिनों में वह पूरी तरह ठीक हो गया और स्कूल जाने लगा.

स्कूल जाने के बाद उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त से इस घटना का ज़िक्र किया. जब वह उसे यह सब बता रहा था, तभी उसे अपने दोस्त के स्कूल बैग में कुछ रंग-बिरंगा सा दिखाई पड़ा. बहुत जोर देकर पूछने पर उसके दोस्त ने उसे दिखाया कि उसके बैग में क्या है?

उस बैग के अंदर कई रंग-बिरंगे फैंसी ड्रेस के कपड़े थे, जिसे पहनकर वह रोज़ उस बच्चे की खिड़की पर जाकर अपनी हरकतों से उसे हँसाता था.

बच्चे से अपने दोस्त को गले लगा लिया और यह तय कर लिया कि अब वह भी दूसरों के अकेलेपन और उदासी को दूर करेगा.

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