सींग भले या पांव

एक बार एक बारहसिंगा तालाब के किनारे पानी में अपने सींगों की छाया देखकर सोचने लगा-‘मेरे सींग कितने सुन्दर हैं, पर मेरे पैर कितने दुबले-पतले और भद्दे हैं।’
तभी उसके कानों में कहीं आस-पास ही शेर के दहाड़ने की आवाज पड़ी। बारहसिंगा डरकर तेजी से भागा। उसने पीछे मुड़कर देखा। शेर उसके पीछे लग चुका था। भागते-भागते वह बहुत दूर निकल आया। आगे एक बीहड़ था। एकायक उसके सींग एक पेड़ की डालियों में उलझ गए। बारहसिंगे ने अपने सींग छुड़ाने की बहुत कोशिश की, पर वे नहीं निकले।उसने सोचा, ‘ओह ! मैं अपने दुबले-पतले और भद्दे पैरों को कोस रहा था। पर उन्हीं पैरों ने शेर से बचने में मेरी सहायता की। मगर अपने जिन सुदंर सींगो की मैंने बहुत तारीफ की थी। अब वे ही शायद मेरी मृत्यु का कारण बनने वाले हैं।’

इतने में शेर भी दौड़ता हुआ वहाँ आ पहुंचा और उसने बारहसिंहे को मार डाला।

This Post Has One Comment

  1. परमानंद शर्मा

    अच्छा लगा

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