मछलीघर

आज इतवार था। महक बहुत खुश थी क्योंकि उसके मम्मी पाप आज उसे मछलीघर दिखाने वाले थे। इसी लिए आज महक जल्दी से उठ गयी और तैयार हो गयी। नाश्ता किया और फिर सब मछलीघर देखने के लिए चल पड़े।

मछलीघर बहुत बड़ा था।  लेकिन रंग बिरंगी और  छोटी बड़ी मछलियाँ देखने के लिए महक दौड़ दौड़ कर हर मछली के टैंक की तरफ भागी जा रही थी।

नीला सा पानी और उसमे तैरती मछलियाँ कभी इधर जाती कभी उधर जाती, कभी छोटी छोटी चट्टानों के पीछे छिप जाती, कभी मस्ती करते हुए एक दूसरे से मुँह मिलाती मानो एक दूसरे से बातें कर रही हों।  कभी मुँह से पानी के बुलबुले निकालती।

यह सब देख महक के मन में विचार आया कि काश! मैं मछली होती तो मैं भी इसी तरह पानी में तैरती और मस्ती करती।

This Post Has One Comment

  1. रमाशंकर वैश्य

    मस्त

Leave a Reply