अमित शाह मैन ऑफ द मैच

केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में अमित शाह अगर देश के सम्मुख ज्वलंत समस्याओं का समाधान खोज लेते हैं तो जिस तरह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में वे शिखर पर पहुंच गए उसी तरह सरकार के अंदर भी उनका कद और बढ़ सकता है। अमित शाह ने अब तक जिस प्रकार से राजनैतिक फैसले लिए हैं, उससे यही आभास होता है कि वे बड़े या सख्त फैसले लेने में हिचकेंगे नहीं। किसी भी राजनीतिक शक्ति एवं व्यक्ति की सही कसौटी उसकी निर्णय क्षमता में होती है।

1951 में केवल 5 सदस्यों के साथ शुरू हुई जनसंघ की यात्रा आज भारतीय जनता पार्टी के 15 करोड़ से ज्यादा सदस्यों तक पहुंच गई है। 2014 में मिली विजय के बाद पार्टी संतुष्ट होकर बैठी नहीं रही। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दोबारा अभूतपूर्व विजय  हासिल की है। लोगों में जब भारतीय जनता पार्टी कीविजय के संदर्भ में चर्चा चलती है, तब भाजपा की जीत का फार्मूला क्या है, भाजपा के ढांचे को निरंतर वैचारिक ऊर्जा किस प्रकार मिलती है, विजय की ओर रुख करने की दिशा कैसे तय होती है, इतना बड़ा संगठन अनुशासन में कैसे परिवर्तित होता है, भारतीय जनता पार्टी गत 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव भारी जनाधार के साथ कैसे जीती, वह देश की राजनीति का केंद्र कैसे बनी रही, इन सभी सवालों का उत्तर एक ही होता है कि यह सब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चाणक्य नीति, उनके कठोर परिश्रम, संकल्प और सम्पूर्ण समर्पण से सम्भव हुआ।

अमित शाह जब से राष्ट्रीय राजनीति में आए हैं, उनकी छवि लीक से हटकर काम करने वाले नेता की बनी है। उन्होंने मोर्चे पर आगे आकर लड़ने वाले कमांडर के रूप में खुद को पेश किया है। 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 303 और एनडीए को कुल मिलाकर 354 सीटें प्राप्त हुईं। भारतीय जनता पार्टी और एनडीए  को अभूतपूर्व विजय मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय मिलने के बाद जब भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली कार्यालय में विजयी मुद्रा में नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, तब उन्होंने  अत्यंत महत्वपूर्ण बात कही, “चुनाव का मैच तो भाजपा ने जीता है, पर इस विजय के ‘मैन ऑफ द मैच’ अमित भाई शाह हैं।” नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को चुनावी मैदान का ‘मैन ऑफ द मैच’  घोषित करके उनके संकल्पों, परिश्रम और पराक्रम का अभिनंदन किया है।

जुलाई 2014 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह का प्रयास केवल चुनाव जीतना ही नहीं रहा है। अमित शाह ने पार्टी को विश्व का सबसे बड़ा संगठन बना दिया। उनके जज्बे एवं जुनून के कारण भारतीय जनता पार्टी सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी बना गई है। पार्टी की विचारधारा को नया रूप देने का उनका आग्रह, पार्टी में आधुनिक  टेक्नोलॉजी को स्वीकार करके कामकाज  करने का आग्रह, कार्यकर्ताओं को सुनिश्चित दिशा निर्देश देना, जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़े रहकर उनसे नियमित संवाद रखने का आग्रह, कार्यकर्ताओं को देशव्यापी वैचारिक एवं रचनात्मक प्रशिक्षण, विचारधारा के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण, बूथ तक के कार्यकर्ताओं से सम्पर्क कार्यक्रम, पंडित दीनदयाल जी का जन्म शताब्दी वर्ष सफलतापूर्वक मनाना ये ऐसे तथ्य हैं जो अमित शाह को शीर्ष राजनीतिक रणनीतिकार बनाते हैं।

अमित शाह के इन सभी प्रयासों के कारण  भारतीय जनता पार्टी को नई गति मिली। यही गतिविधियां पार्टी को नई दिशा और आगे बढ़ने में ऊर्जा देती रहीं। अमित शाह के इन सभी उपक्रमों के कारण  केंद्र तथा राज्यों की सरकारें और आम जनता के बीच संवाद का ऐसा सेतु निर्माण हो गया, जो जनता की भावनाओं, आकांक्षाओं, प्रतिक्रियाओं और आशाओं का प्रतीक बनकर केंद्र सरकार के रूप में परिवर्तित हुआ। अमित शाह के इन प्रयासों का असर यह रहा कि देश के आम लोगों की भारतीय जनता पार्टी के प्रति नए सिरे से रुचि बढ़ती गई, जो 2004 से 2014 यानी एक दशक तक केंद्र मे सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने वाली सिद्ध  हुई।

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक विजय मिली। इस विजय के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की गतिविधियां, उनके कार्यक्रम, जनता के विषयों से जुड़ाव के परिणाम अत्यंत प्रभावी रहे। विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार और भाजपा दोनों के बीच में तालमेल अच्छा दिखाई दिया। जिसके कारण 2018 तक देश के 19 राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकारें बना लीं। देश की 70% आबादी इन राज्यों से जुड़ी हैं। सम्पूर्ण भारत में भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक संदेश प्रभावी होता गया। भाजपा को सिर्फ बनियों-ब्राह्मणों और हिंदी पट्टे की पार्टी कहा जाता था। अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का विस्तार पूरे देश भर में हुआ और इस तरह की सभी अटकलों को विराम लग गया।

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 282 सीटों पर अभूतपूर्व विजय मिली थी और 2019 के चुनाव में विपक्ष नोटबंदी और रोजगार जैसे मुद्दों के सहारे चुनावी रणनीति को धार देने में  जुट गया था। इस प्रकार का माहौल निर्माण हो गया था कि इस बार भाजपा सरकार पिछड़ जाएगी। ऐसे माहौल में भी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह दृढ़ विश्वास के साथ कहते रहे कि 2019 की जीत पहले से भी बड़ी होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले भारतीय जनता पार्टी को ही 303 सीटों का निर्णायक बहुमत हासिल हुआ है और एनडीए गठबंधन को कुल मिला कर 354 सीटें प्राप्त हुई हैं। 2019 का चुनाव निश्चित तौर पर देश की आजादी के बाद एक ऐतिहासिक लम्हे के रूप में दर्ज हो चुका है। किसी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दल को लगातार दुबारा पूर्ण जनादेश प्राप्त हुआ है। यह भारतीय शासन तथा राजनीति में स्थायित्व का युग आने का संकेत भी है। यह निर्णायक एवं अद्भुत स्थिति में भाजपा को लाने में अमित शाह की रणनीति और चाणक्य नीति का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है।

1980 के अंत में मुंबई में भारतीय जनता पार्टी का पहिला अधिवेशन संपन्न हुआ था। भाजपा के इस पहले अधिवेशन में देश भर से लगभग 55000 कार्यकर्ता और सदस्य जुड़ गए थे। पहले अधिवेशन में इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री रह चुके मोहम्मद करीम छागला भी उपस्थित थे। उन्होंने पूरे जोर-शोर के साथ इंदिरा गांधी के आपातकाल का विरोध किया था। छागला ने कांग्रेस के राष्ट्रीय विकल्प के रूप में भाजपा के गठन का स्वागत भी किया था। उन्होंने पहले अधिवेशन के संदर्भ में अपने विचार लिखते हुए कहा था कि भाजपा को प्रारंभ में ही इस प्रकार से उत्साहवर्धक वातावरण में जनता का सहयोग मिलना आशा की किरण है। नए दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा असाधारण शक्ति का प्रदर्शन हुआ है। यदि आने वाले भविष्य में यह दल अपनी शक्ति बढ़ाकर देश भर के लोगों का समर्थन जुटा लेता है तो इसी भारतीय जनता पार्टी नामक दल में मुझे इंदिरा गांधी का लोकतांत्रिक विकल्प दिखाई दे रहा है। छागला जी के इस कथन को अमित शाह ने सत्य साबित किया है।

80 के दशक में बूथ स्तर से कार्य आरंभ करने वाले अमित शाह ने देश के गृह मंत्री पद तक अपना सफर किया है। गुजरात में पार्टी के लिए निचले स्तर तक संगठन कार्य करने के दशकों के अनुभव, गुजरात राज्य में प्रशासन का व्यापक अनुभव, चुनावी रणनीति की पैनी समझ, लोगों की मानसिकता को अत्यंत बारीकी से समझने की कला के कारण भारतीय जनता पार्टी को जन-जन से जोड़ने वाली जिम्मेदार राजनीतिक-सामाजिक संस्था के रूप में खड़ा करने में अमित शाह के नेतृत्व में सफलता मिली है। यह उपलब्धि उनकी सफलताओं में से एक है।

गुजरात के बूथ कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक कार्य आरंभ करने वाले अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी के यशस्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष की गरिमा को उजागर किया है। अब देश के तीसवें गृह मंत्री के रूप में गृह मंत्रालय का कार्य संभाला है। अमित शाह अब मोदी सरकार का हिस्सा है। राज्यशास्त्र एवं भारतीय राजनीति के इतिहास के बारे में सोचें तो भाजपा लगातार दोबारा केंद्र में सत्ता में आई है। ऐसी स्थिति में मा. नरेंद्र मोदी जी द्वारा अपने खास विश्वासपात्र अमित शाह को देश के गृह मंत्री पद सौंपना अत्यंत उचित निर्णय ही कहा जाएगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के भविष्य को लेकर न्यू इंडिया की व्याख्या की है। उस व्याख्या का भविष्य तय करने के लिए बहुत बड़ा परिश्रम और संघर्ष करना पड़ेगा।

इस बात की जिम्मेदारी स्वीकारने में मोदी जी के साथ में अमित शाह का रहना राज्यशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैसे भी सभी के विरोध को दरकिनार करते हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 में अमित शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का जो निर्णय लिया था, उस निर्णय को अमित शाह ने अपने कृतित्व से योग्य साबित किया है। अब देश के गृह मंत्री पद पर अमित शाह को विराजमान करने का निर्णय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है। लेकिन आगे का रास्ता कांटों से भरा हुआ और बहुत आड़ा-टेढ़ा है। कश्मीर के मुद्दे से लेकर एनआरसी जैसे मुद्दों, धारा 370 और धारा 35-ए के मुद्दे का देश की राजनीति पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है। नागरिकता संशोधन कानून, आतंकी गतिविधियां और नक्सली सक्रियता जैसे मुद्दे भी संवेदनशील हैं। भाजपा के लिए ये सभी संवेदनशील मुद्दे रहे हैं। इन सभी चुनौतियों का सामना करना अमित शाह के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।

अमित शाह जी कीमौजूदगी में इन संवेदनशील मुद्दों पर सरकार का रुख देखना अभी दिलचस्प होगा। अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा भले ही सुप्रीम कोर्ट में हो लेकिन इससे जुड़े कई मामलों को हल करने की बड़ी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होगी। ऐसा कहते हैं कि तूफान सिर्फ तबाही के लिए नहीं आता, वह नई दिशा दिखाने के लिए भी आता है। और अमित शाह की अब तक की शैली ऐसी रही है कि उन्होंने अब तक मोदी और उनके ऊपर आई हर मुसीबत को उपलब्धियों में परिवर्तित किया है। केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में अमित शाह अगर देश के सम्मुख ज्वलंत समस्याओं का समाधान खोज लेते हैं तो जिस तरह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में वे शिखर पर पहुंच गए उसी तरह सरकार के अंदर भी उनका कद और बढ़ सकता है। अमित शाह ने अब तक जिस प्रकार से राजनैतिक फैसले लिए हैं, उससे यही आभास होता है कि वे बड़े या सख्त फैसले लेने में हिचकेंगे नहीं। किसी भी राजनीतिक शक्ति एवं व्यक्ति की सही कसौटी उसकी निर्णय क्षमता में होती है। जिस प्रकार निर्णय क्षमता चुनाव में साबित होती है उस प्रकार सरकार के देश और जनहित कीदृष्टि से लिए हुए निर्णयों में भी साबित होती है। अमित शाह ने देश के गृहमंत्री का मुकुट धारण किया है। अमित शाह को बड़ी परीक्षा के लिए अपने आपको तैयार रखना है। आज भारतीय जनता पार्टी का इतिहास एक सुनहरे दौर से गुजर रहा है। आने वाले दौर को भी  सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना अमित शाह जैसे जुझारू नेता के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। अमित शाह जैसे चाणक्य की आवश्यकता देश को भी है और नरेंद्र मोदी सरकार को भी है।

 

 

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