जनसेवा का व्रतकभी नहीं टूटेगा

मुंबई से सर्वाधिक वोटों से जीते गोपाल शेट्टी अपनी विजय का श्रेय मोदीजी -अमित शाह- देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व के साथ ही अपने विकास कार्यों को भी देते हैं। जनसेवा का व्रत लेकर वे राजनीति में आए। यह व्रत कभी नहीं टूटा, और न आगे भी टूटेगा। इस विजय के अवसर पर उनसे मुंबई की समस्याओं, शिक्षा संस्थाओं, उनके विकास कार्यों पर हुई विशेष बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-

लोकसभा चुनाव में आपकी अत्यधिक मतों से जीत हुई है, इसे आप किस दृष्टि से देखते हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विकास कार्यों एवं सुरक्षा व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रखर भूमिका तथा मेरे द्वारा किए गए जनकार्योंके कारण मुझे जनता ने फिर से प्रचंड जीत दिलाई है। मतदाताओं ने मेरे और मोदी सरकार की विभिन्न लोकोपयोगी योजनाओं व कार्यों से प्रसन्न होकर सकारात्मक रूप से विजयश्री प्रदान की है और हमारा सम्मान बढ़ाया है। इसके लिए मैं जनता को धन्यवाद देता हूंं और उनका आभार मानता हूं। मैं बहुत ही प्रसन्न हूं कि नागरिकों ने बड़ी संख्या में मुझे अपना समर्थन दिया लेकिन मुझे इस बात का मलाल भी है कि चुनाव के समय अचानक एक सेलेब्रिटी सामने आई तो मेरे द्वारा किए गए अनेकानेक लोकोपयोगी विकास कार्यों को नजरअंदाज करके कुछ मुट्ठीभर लोग स्वार्थवश उनका समर्थन करने लगे।

मोदी लहर पर सवार होकर अधिकतर सांसद संसद में पहुंचे हैं, लेकिन आप की विजय कुछ और कहती है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

यह अटल सत्य है कि मोदी लहर और मोदी जी के कार्यों के बलबूते ही अधिकतर सांसद जीते हैं तथा इस विराट जीत में मोदी जी का योगदान सर्वोपरि है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस जी का योगदान प्रमुख रहा है। जिसके दम पर हमें विजय प्राप्त करने में आसानी रही एवं सफलता मिली। मेरी जीत भी इससे कुछ अलग नहीं है। लेकिन हां मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि जब सांसद का काम और मोदी लहर साथ चलती है तो विराट जीत संभव हो जाती है।

2019 के लोकसभा चुनाव में आपके सामने कौन सी चुनौतियां थीं?

लोकसभा 2019 के चुनाव में मेरे सामने चुनौतियां नहीं थीं बल्कि मेरी और मेरे कार्यों की परीक्षा थी। जिसमें जनता ने रिकार्ड बहुमतों से विजयी बनाकर मुझे पास कर दिया। वैसे जब से मैंने राजनीति में कदम रखा है तब से ही रोजाना मुझे चुनौतियों का सामना करना पड़ता रहा है और रोज ही इससे मुझे निपटना पड़ता है। नागरिकों की समस्याओं को हल करना ही मेरी प्राथमिक चुनौतियों में शामिल होता है। मेरा पूरा प्रयास होता है कि किसी तरह नागरिकों की समस्याओं का समाधान कर सकूं और विकास कार्यों के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की कमी न पड़ने दूं। चुनौतियां तो जिंदगी भर रहने वाली हैं जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार किया है और हर संभव कोशिश करता हूं कि लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने में सदैव मेरा योगदान होता रहे।

आप अपनी जीत का श्रेय किसे देना चाहेंगे?

वैसे तो मेरी जीत में सभी समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। सभी लोगों ने मुझे प्रांत, भाषा, धर्म, जाति से ऊपर उठकर मेरे कार्यों के आधार पर वोट दिया। लेकिन इसमें मराठी समाज का योगदान सर्वोपरि था। जिसके लिए मैं उनका बहुत-बहुत आभारी हूं। क्योंकि मेरे खिलाफ एक मराठी सेलेब्रिटी उम्मीदवार को उतारा गया था। जिसका समर्थन स्वयं राज ठाकरे ने किया था। उस मराठी प्रत्याशी को हर तरह का समर्थन प्राप्त था। बावजूद इसके मेरे गैर-मराठी होने के बाद भी मराठी भाषी समाज ने मेरे कार्यों को देखते हुए और राष्ट्रहित में मेरे समर्थन में मतदान किया। इसलिए मैं उनका ऋणी हूं और मैं अपनी जीत का श्रेय मराठी समाज को देता हूं तथा उनका पुन: आभार मानता हूं।

चुनाव के दौरान भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का कितना योगदान था?

पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं से मेरे व्यक्तिगत संबंधों को लेकर मैं बहुत ही भाग्यवान हूं। मेरे पहले चुनाव से लेकर अब तक इनका सबसे बड़ा योगदान रहा। उनके साथ और सहयोग से ही मैं राजनीति में इतना आगे बढ़ पाया। मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मैं अब तक 7 बार चुनाव लड़ा और मुझे कभी भी सीट मांगनी नहीं पड़ी, पार्टी ने ही मुझे हर बार टिकट दिया। इस दौरान पार्टी के किसी नेता ने मेरे सामने टिकट नहीं मांगा। पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के अपार प्रेम-आशीर्वाद और उनसे पारिवारिक संबंधों के चलते ही मुझे इतनी सफलता मिली है। चुनाव के दौरान परिश्रम की पराकाष्ठा करनेवाले भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान था। जिसे मैं कभी भुला नहींं सकता।

आपके संसदीय क्षेत्र में आपका संघर्ष किससे है?

मेरा संघर्ष अपने आप से है। जनता की सेवा अधिक से अधिक कर पाऊं, बस यही बात मन में चलती रहती है। जनता की अपेक्षा एवं आकांक्षाएं पूरी कर पाऊं इसी अभिलाषा में, मैं संघर्षरत हूं। अपने सतत कार्यों के माध्यम से मैंने नागरिकों से घरेलू संबंध स्थापित किए हैं। आगे भी मैं सभी लोगों का दिल जीतने के लिए कार्य करता रहूंगा।

भारत में तीसरे और महाराष्ट्र में प्रथम क्रमांक से सर्वाधिक मतों से विजयी होने का गौरव आपने प्राप्त किया है। विरोधियों को एकतरफा हराने और अपनी जीत सुनिश्चित करने का आपका विजयमंत्र क्या है?

जनता की पूरी निष्ठापूर्वक एवं लगन से सेवा करना, उनकी समस्याओं को हल करने के लिए अथक परिश्रम व प्रयास करते रहना, साथ ही जनता से मधुर सम्बंध एवं व्यवहार कुशल घरेलू सम्बंध स्थापित करना ही मेरी जीत का विजयमंत्र है। यदि आपने त्याग, समर्पण, लगन से जनता की सेवा की है और उनके दुख-सुख के सहभागी बने हो तो आपकी जीत और विरोधियों की हार स्वत: ही सुनिश्चित हो जाती है।

भाजपा को 303 और एनडीए को 354 सीट इस लोकसभा चुनाव में प्राप्त हुई। इस जीत में किसका अहम रोल था?

इतनी भारी विजय में प्रधानमंत्री मोदी जी का करिश्मा, परिश्रम एवं योगदान सबसे अहम माना जाता है और इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्तमान राजनीति के चाणक्य कहे जानेवाले अमित शाह की रणनीति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन इसके साथ ही पूर्व शीर्ष नेतृत्व और वर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ नेताओं का भी बहुत योगदान था। मोदी सरकार की पूरी टीम ने अथक परिश्रम कर यह सफलता अर्जित की है। शीर्ष नेतृत्व से लेकर एक-एक भाजपा कार्यकर्ता, एनडीए में सहयोगी दलों के कार्यकर्ता तथा जनता ने सर्वाधिक अहम रोल अदा किया। मोदी सरकार के कार्यों से प्रसन्न होकर जनता ने अपना निश्चय पहले ही कर लिया था। इस बार के चुनाव में मोदी के समर्थन में जनता ही चुनाव लड़ रही थी। उसने जात-पात, धर्म के चक्रव्यूह को तोड़कर देशहित में मतदान किया और केवल सांसद के लिए नहीं अपितु प्रधानमंत्री चुनने के लिए उन्होंने अपना जनादेश दिया। यह स्वस्थ जागरूक लोकतंत्र का परिचायक है। 2019 लोकसभा का चुनाव सक्षम लोकतंत्र की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, जिस पर हमें गर्व है।

सर्वसाधारण जनता में असाधारण शक्ति है, इस शक्ति का प्रकटीकरण इस बार के चुनाव में हुआ है। इस पर आपका क्या नजरिया है?

देखिए यह प्रकटीकरण पहली बार नहीं हुआ है, जब-जब देश में संकट के बादल मंडराते रहे हैं, तब-तब देश की जनता ने क्रांति का बिगुल बजाया है। 1947 के स्वतंत्रता आंदोलन, आपातकाल, राम जन्मभूमि आंदोलन आदि समय पर देश की जनता ने हर बार साबित किया है कि राष्ट्रीय अस्मिता सर्वोपरि है। राजनैतिक दलों को यह समझना पड़ेगा कि जनता अब राजनीतिक रूप से बेहद जागरूक हो गई है और वशंवादी, परिवारवादी पार्टियों का एकाधिकार अब ज्यादा समय तक देश की राजनीति में नहीं चलेगा। नेताओं को यह भ्रम है कि देश की जनता कुछ नहीं जानती, हम ही सबसे बड़े ज्ञानी व समझदार हैं। इस भ्रमजाल से बाहर निकल कर नेताओं को जनता की मांग के अनुरूप सकारात्मक राजनीति करनी चाहिए, तभी देश विकास व प्रगति के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा।

मुंबई में रेल, सड़क और ट्रैफिक सबसे बड़ी समस्या है। इससे निजात दिलाने के लिए सरकार की क्या योजनाएं है?

यह सत्य है कि मुंबई की सबसे बड़ी समस्याओं में यातायात  की समस्या प्रमुख है जिससे रोजाना मुंबईकरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन इससे निजात दिलाने हेतु सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं। मेट्रो रेल, कोस्टल रोड की योजनाओं को अमल में लाने के लिए बहुत ही तेजी से काम शुरू हुआ है। इसके पूर्ण होते ही मुंबईकरों को यातायात की सुविधा मिलेगी और यातायात की दिक्कतों को दूर करने में भी मदद मिलेगी। मुंबईकर अभिनंदन के पात्र हैं जो ट्रैफिक समस्या तथा असुविधा होने के बावजूद शिकायत न करते हुए विकास कार्यों में अपना सहयोग दे रहे हैं। यह भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘नए भारत’ का संकल्प लिया है, इसमें आप किस तरह से अपना योगदान दे रहे हैं?

मोदी जी के ‘नए भारत’ संकल्प को पूरा करने हेतु हर संभव प्रयास हमारी ओर से किया जा रहा है। 2014 में मोदी जी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा दिया था पर मैंने इस पर अमल 2002 से ही शुरू कर दिया था और नारा दिया था कि ‘मैं सबका, सब मेरे’, सभी को साथ लेकर कार्य करना यह मेरी विशेषता है। नए भारत को लेकर मैं भी दृढ़ संकल्पित हूं। मैं पहले से ही विकास कार्यों को लेकर आगे चला और आज भी उसी मार्ग पर अग्रसर हूं। जनता की मूलभूत सुविधाओं, सड़कों का विस्तार एवं रोड कनेक्टिविटी, उद्यान, खेल के मैदानों का विकास, पुरानी इमारतों की मरम्मत, एसआरए आदि विभिन्न प्रकार के जनोपयोगी कार्यों को प्राथमिकता देते हुए उत्तर मुंबई क्षेत्र में विकास कार्य तेजी से जारी है। जनता ने इस बार भारी मतों से हमें विजयी बनाया है इसलिए अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि हम तेजी के साथ ‘नए भारत’ की संकल्पना को वास्तविकता में उतारने की ओर आगे बढ़ें। इसके अलावा मेरे द्वारा किए गए विकास कार्यों में विरोधी पार्टियों का भी बड़ा योगदान है। क्योंकि यदि उन्होंने मेरे कार्यों का समर्थन नहीं किया तो विरोध भी नहीं किया। इसलिए मैं मानता हूं कि मेरे विकास कार्यों में सभी का उल्लेखनीय सहयोग रहा है।

देश की आर्थिक राजधानी महानगर मुंबई अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरी हुई है और बेहाल है। इस परिस्थिति पर आपकी क्या राय है?

जब तक बाल ठाकरे थे तब तक मुंबई पर उनका राज चला। मुंबई की समस्याओं और मुद्दों को वे समय-समय प्रखरता से रखते थे। उनके जाने के बाद मुंबई में एक खालीपन सा आ गया है। अब उनकी जगह कौन संभालेगा और मुंबई जैसे महानगर की जिम्मेदारी कौन लेगा? कहने को तो मुंबई में पुलिस कमिश्नर हैं, मेयर हैं, नेता हैं, वे सभी अपनी जगह हैं, परंतु मुंबई का मसीहा कोई दिखाई नहीं देता। मुंबई के संपूर्ण विकास की बात कोई नहीं करता। फेरीवाला, पार्किग जैसी मुंबई की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। अनेकानेक प्रकार की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। लेकिन मुंबई शहर के लिए स्थायी समाधान कोई नहीं निकाल पा रहा है। इसलिए वर्तमान समय में सभी राजनीतिक पार्टियों को मिलकर मुंबई शहर के समुचित सर्वांगीण विकास का स्थायी समाधान निकालने हेतु प्रयास करना होगा।

शिक्षा का अधिकार और शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों को आप किस नजरिए से देखते हैं?

शिक्षा का व्यवसायीकरण होता देख कर मन बहुत दुखी होता है। जो ज्यादा आधुनिक और महंगे स्कूल-कॉलेज हैं, उसमें प्रवेश करने की होड़ मची हुई है। ऐसा सिस्टम शिक्षा जगत के लिए ठीक नहीं है। शिक्षा तंत्र का केंद्रित होना आवश्यक है। जो केंद्र में होगा वही राज्य एवं शहर में होना चाहिए। कोई भी आकर पैसे के बल पर विदेशी शिक्षा प्रणाली को यहां पर लाए और मनमाने तरीके से धन वसूली करें, यह ठीक नहीं है। निजी विद्यालयों के कारण शिक्षा क्षेत्र में अमीर और गरीब छात्रों के बीच खाई बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे सभी की यह मानसिकता बनती जा रही है कि सरकारी विद्यालयों में अच्छी पढ़ाई नहीं होती। सरकारी स्कूल में पढ़ना पिछड़ेपन की निशानी माने जाने लगी है। जिससे मध्यम व गरीब घर के लोग भी अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर प्राइवेट स्कूल में डाल रहे हैं। जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। सरकार ने सभी को शिक्षा का अधिकार दिया है। इसलिए समय रहते प्राइवेट शिक्षा प्रणाली पर अंकुश लगाते हुए सभी को समान रूप से अच्छी आधुनिक शिक्षा मिलनी चाहिए। मेरा ऐसा मानना है कि 100-200 वर्ष हम से आगे रहने वाले विदेशियों की शिक्षा प्रणाली को भारत में लादने का प्रयास किया जाएगा तो शिक्षा महंगी होगी ही और समस्याएं भी सामने आएंगी। इसलिए हमें विदेशियों की नकल करने के बजाए भारतीय मूल्यों के तहत आधुनिक शिक्षा तंत्र स्थापित करना चाहिए, जिससे सभी छात्रों को अच्छी शिक्षा मिले और उन पर आर्थिक बोझ न पड़े।

आप लगातार 7 बार चुनाव जीते हैं। लोगों की यह अपेक्षा है कि आपको मंत्री पद मिलना चाहिए। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

किसी के प्रति लोगों की अपेक्षा अच्छी हो, इसमें कोई गलत बात नहीं है पर हमें वास्तविकता को भी स्वीकार करना चाहिए। कोई व्यक्ति बार-बार चुनाव जीतता है अथवा बड़े मार्जिन से जीतता है तो उसे मंत्री बना देना, यह मानदंड मुझे ठीक नहीं लगते। पार्टी ने हमें टिकट दिया, सांसद बनाया। इसके बाद भी यदि मंत्री बनने की लालसा हो तो यह अच्छी बात नहीं है। पार्टी जो भी निर्णय करती है वह सोच-समझ कर ही करती है। देश चलाना है तो सभी लोगों को साथ लेकर चलना पड़ता है। सहयोगी पार्टी शिवसेना के लोग भी जीतकर आए हैं, लेकिन उन्हें केवल एक मंत्री पद ही मिला। उसी तरह एनडीए के अन्य लोग भी जीते। जिस मानदंड के अनुसार मंत्री पद का दायित्व जिसे देना चाहिए सरकार ने दिया है। इससे हमें संतुष्ट होना चाहिए। पार्टी के दिए हुए दायित्वों से मैं बेहद खुश हूं। यदि महाराष्ट्र में एक मंत्री पद का दायित्व किसी को देना हो तो वह शिवसेना को देना चाहिए। ताकि गठबंधन धर्म में विश्वास बना रहे और उसे मजबूती मिले।

इस साक्षात्कार के माध्यम से मतदाताओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

मैं सर्वप्रथम मतदाताओं का अभिनंदन करना चाहूंगा क्योंकि भारतीय मतदाता अब परिपक्व होता जा रहा है। यह देश के लोकतंत्र के लिए बहुत ही अच्छी बात है। यदि हम गलती करेंगे तो जनता हमें भी सुधार देगी, यह निश्चित है। देश का मतदाता अब बहुमतों से राष्ट्रवाद के मुद्दों पर राष्ट्रहित में मतदान कर रहा है, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। जनता का यही जनादेश विधान सभा के चुनाव में भी देखने को मिलेगा यही अपेक्षा मैं करता हूं। इसके साथ ही मैं इतना विश्वास दिलाता हूं कि आगामी समय में केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार की ओर से जनता की आशा-आकांक्षा एवं अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करूंगा।

 

 

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