कश्मीर की धारा 370 रद्द करने की बात को लेकर भाजपा सरकार के संदर्भ में संपूर्ण देश में अत्यंत उत्साहजनक माहौल था। इसी माहौल में भारतीय जनमानस पूरा डूब ही रहा था ऐसे में मध्य रात्रि भारत की पूर्व विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी के निधन के समाचार से संपूर्ण देश यकायक सदमे में चला गया। आज विश्व में नरेंद्र मोदी सरकार का जो एक रुतबा दिखाई दे रहा है ,उस रूतबे को निर्माण करने में सुषमा स्वराज का विदेश मंत्री के रूप में बहुत बड़ा योगदान रहा है। भारत के कपटी
पड़ोसियों पर प्रहार करते हुए सुषमा स्वराज जी दुर्गा के अवतार में दिखाई देती थी और जब कभी भी विश्व भर में फैले हुए भारतीयों को परेशानी निर्माण होती थी, तभी उस समस्या को सुलझाने का काम सुषमा स्वराज मातृहदय से करती थी। सुषमा स्वराज जी के इसी प्रभावी कार्य के कारण भारत के अब तक के सबसे प्रभावी विदेश मंत्रियों की सूची में सुषमा स्वराज जी का नाम भी समाविष्ट हुआ है।
कर्तृत्व पालन, देशप्रेम, राष्ट्राभिमान इन गुणों के साथ ममता और मानवता यह अत्यंत परिणामकारी बातें सुषमा स्वराज जी के पास मौजूद थी। वह संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में पाकिस्तान को अपनी जगह दिखा देती थी। साथ ही पाकिस्तान की औकात और करतूत पूरे विश्व के सामने लाती थी। लेकिन पाकिस्तान की एक सात साल की लड़की की ओपन हार्ट सर्जरी के लिए उसकी माता नीदा शोएब के निवेदन पर सुषमा स्वराज जी ने तत्काल सकारात्मक प्रतिसाद दिया था।
उरी में हुए हमले के बाद सुषमा स्वराज ने इसी प्रकार से संयुक्त राष्ट्र संघ मे पाकिस्तान के कान मरोड़े थे और बलूचिस्तान में मानवतावादी कानून का उल्लंघन किस प्रकार से हो रहा है, इस विषय को उन्होंने पहली बार अंतरराष्ट्रीय व्यासपीठ पर जोर-शोर के साथ उपस्थित किया था। सुषमा स्वराज जी के जोरदार वक्तव्य के कारण पाकिस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने वाली बात चरितार्थ हुई थी। लेकिन उसके तुरंत बाद भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। उस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चंडीगढ़ के जागतिक युवा शांतता महोत्सव के लिए आये 19 पाकिस्तानी महिला विद्यार्थी भारत में फस गए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच बढते तनाव की पार्श्वभूमि पर यह लड़कीयां अपने घर सुरक्षित कैसे पहुंच सकती है, इसका ध्यान सुषमा स्वराज ने रखा थी। जब उन बच्चियों को अपने घर पाकिस्तान मे सही सलामत रवाना कर दिया गया तब सुषमा स्वराज जी का वक्तव्य था की ,”बेटियां तो सबकी सांझी होती है……”
370 कलम रद्द करने के बाद सुषमा स्वराज जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देने वाला ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने कहा था ,” मुझे अपने जीवन में इसी दिन का इंतजार था ,आज वो इंतजार खत्म हो गया।”
सही में एक राष्ट्रभक्त के रूप में धारा 370 रद्द होने का इंतजार होना सही बात है। लेकिन उसी खुशी को साथ लेकर इस दुनिया से सुषमा जी का अलविदा होना सबके लिए दुख की बात है। इसी पार्श्वभूमि पर उनके विदेश मंत्री पद के कार्यकाल के समय नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के 10 मंत्रियों के ट्विट्स के विश्लेषण एक संस्था ने किए थे। उन विशेषणों में सबसे ज्यादा लोकप्रियता का सम्मान सुषमा स्वराज जी को मिला था।
वे उम्र के 25 साल से राजनीति में अपना योगदान दे रही थी। दो दशकों से वह मधुमेह के कारण त्रस्त थी। किडनीयों का नाकाम होना और उसके बाद उनका यशस्वी प्रत्यारोपण इन सब आपदाओं के बाद भी फिर से खड़े होकर सुषमा स्वराज जी अपने कार्य को जोर शोर से करती रही।
सुषमा स्वराज मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का एक चमचमाता हीरा थीं। विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने जो सकारात्मकता दिखाई थी उसके पीछे उनके परिश्रम थे। वैसे देखा जाए तो एक महिला पर विश्वास करके विदेश मंत्री जैसे अत्यंत महत्व के पद की जिम्मेदारी उन्हें दी गयी थी और सुषमा स्वराज जी ने भी उन्हें मिले हुए इस अवसर को आज तक के स्वर्ण युग में तब्दील कर दिया। विदेश मंत्री इस नाते अपना दायित्व को निभाते हुए सुषमा स्वराज जी ने अपने दृढ़ निश्चयी स्वभाव का दर्शन पूरे विश्व को दिया। साथ में उन्होंने मानवतावादी भारतीय महिला का परिचय भी पूरे विश्व को कर दिया। विदेश मे जाकर किसी प्रकार का संकट आने पर उन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारतीय सरकार प्रयास तो करती है। लेकिन विदेश में होने वाले किसी भी घटना क्रम की जिम्मेदारी भारत सरकार नहीं ले सकती। वहां कि हुकूमत और शासन व्यवस्था अपने हाथ में नहीं होती है। लेकिन आज आपस में लड़ते इस्लामिक राष्ट्र जहां पर कोई कानून अस्तित्व में नहीं है और ना कोई अंतरराष्ट्रीय कायदों का बंधन पालन किया जाता है। ऐसी जगह से परराष्ट्र मंत्री सुषमा स्वराज जी ने अपने भारतीय नागरिकों को भारत देश में वापस लाने का कार्य किया है। इस संदर्भ में सुषमा स्वराज जी की बड़ी उपलब्धि के रूप में यमन से रिहा करके लाए हुए भारतीय नागरिकों की घटना है। सऊदी अरेबिया और अन्य मित्र राष्ट्रों ने मिलकर यमन पर हमला बोल दिया था। उसके बाद “ऑपरेशन राहत” के अंतर्गत वहां फंसे हुए भारतीयों को रिहा करने के लिए प्रयास शुरू किए थे । सुषमा स्वराज जी के मानवतावादी निवेदन पर एक दूसरे के विरोध में खड़े हुए मुस्लिम राष्ट्र दो घंटे के लिए युद्ध विराम की घोषणा करते हैं। उस 2 घंटे की युध्द विराम में समुद्र और हवाई मार्ग से 4660 भारतीयों को रिहा किया जाता है ।और साथ में विश्व के 41 देशों के 960 लोगों को भी उस संग्राम भूमि से भारत के सहयोग से रिहा किया जाता है। इस्लामिक राष्ट्रों से सुषमा स्वराज जी ने भारत के परस्पर राजनीतिक सबंध और व्यवहार मे कितनी गहराई और आत्मीयता निर्माण कि थी इस बात का दर्शन पूरे विश्व को हुआ था। उनके इस व्यवहार के कारण भारत की महिला समय आने पर दुर्गा भी होती है और माता-बहन का भी रूप लेती है यह साबित होता था। विदेश मंत्री के रूप में कार्य करते वक्त उन्होंने विविध देशों से अपने राजनीतिक संबंधों को सुधारने के प्रयास किस हद तक किये थे, “ऑपरेशन राहत” इसका उत्तम उदाहरण है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सफल कार्य परंपरा की अत्यंत आवश्यक बुनियाद तैयार करने का कार्य सुषमा स्वराज जी ने किया है।राजनीति जैसे जटिल क्षेत्र में भी सुषमा स्वराज जी जैसी संवेदनशील व्यक्ति अपना कार्य दृढनिशचयता से कर सकती है, यह एक आश्चर्य की बात थी। इसी प्रकार के सकारात्मक कार्य की परंपरा निर्माण करने वाली सुषमा स्वराज जी कल अचानक इस जहां को अलविदा कह गई है। देश और विदेश में भारतीय महिलाओं का ममतामयी और निश्चयी चेहरा प्रस्तुत करने वाली सुषमा स्वराज जी की यादें भारतीयों के हृदय से कभी भी अलविदा नहीं हो सकती है। ऐसी मातृहृदयी और दृढ निश्चयी स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी को हिंदी विवेक की ओर से हम विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
भावपूर्ण श्रद्धांजलि