दोस्ती का विश्वास

 

दो बचपन के दोस्त थे अजय और विजय. उन्होंने स्कूल और कॉलेज साथ में पढ़ा और यहाँ तक कि फौज में भी एक साथ ही भर्ती हो गये. दोनों सेना के एक ही ग्रुप में थे.

एक रात युद्ध के दौरान उन पर हमला हुआ,चारों ओर गोलियाँ बरस रही थी।अजय और विजय भी युद्ध में शामिल थे। अचानक अंधेरे में से एक आवाज आई- (अजय), इधर आओ,मेरी मदद करो.

अजय ने अपने दोस्त विजय की आवाज को पहचान लिया और अजय ने अपने कैप्टेन से पूछा-क्या मैँ वहाँ जा सकता हूँ ?

कैप्टन ने जवाब दिया-नहीं,मैँ तुम्हेँ जाने की इजाजत नहीँ दे सकता क्योंकि मेरे पास पहले से ही आदमी कम हैँ,मैँ अपने एक और आदमी को नहीं खोना चाहता.

तभी फिर विजय की वही आवाज आई-अजय,इधर आओ मेरी मदद करो।अजय चुप बैठा रहा क्योँकि कैप्टन ने उसे जाने की इजाजत नहीं दी थी।

फिर वही आवाज बार-बार आने लगी तो अजय खुद को और ज्यादा रोक नहीं पाया।उसने कैप्टन से कहा- कैप्टन,वह मेरे बचपन का दोस्त है. मुझे उसकी मदद के लिये जाना ही होगा।कैप्टन ने बेमन से उसे जाने की इजाजत दे दी।अजय अंधेरे मेँ रेँगता हूआ आगे बढ़ा और विजय को खीँचकर अपने खड्डे मेँ ले आया। उन लोगोँ ने देखा कि विजय तो मर चुका था।

अब कैप्टन नाराज हो गया और अजय पर चिल्लाया-मैँने कहा था न कि वह नहीँ बचेगा, वह मर गया है और तुम भी मारे जाते, मैँ अपना एक और आदमी खो बैठता, तुमने वहाँ जाकर गलती की थी। अजय ने जवाब दिया-सर, मैँने जो किया वह ठीक था। जब मैँ विजय के पास पहूँचा तो वह जिँदा था, और उसके आखिरी शब्द थे अजय, मुझे यकीन था कि तुम जरूर आओगे।

दोस्तों ! इस कहानी को पढ़कर आपको जरूर Feel हुआ होगा की अच्छे रिश्ते बड़ी मुश्किल से बनते हैँ, और जब ऐसे रिश्ते एक बार बन जायेँ तो उन्हेँ हर हालत में निभाना चाहिये।

ऐसे ही गहरे रिश्ते माता-पिता और बच्चो के बीच होते हैँ, Husband-wife के बीच होते हैँ, भाई-बहन और सच्चे दोस्तो के बीच होते हैँ। इसलिये अपने रिश्तो की डोर को हमेशा बचाये रखे उसे टुटने मत दीजिये, और जो आप पर विश्वास करते है उनके उस विश्वास को बनाये रखिये,उस विश्वास को टूटने मत दीजिये।

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