‘सेव वाटर’ भी राष्ट्रीय अभियान बने – संदीप आसोलकर चेयरमैन, एसएफसी एन्वायरमेन्टल टेक्नोलॉजीस प्रा. लि.

नए भारत में ‘सेव टाइगर’ की तरह ‘सेव वाटर’ अभियान भी चलाना चाहिए। प्राकृतिक स्रोतों की रक्षा के साथ सीवेज वाटर पर पुनर्प्रक्रिया में तेजी आनी चाहिए। मोदी सरकार ने इस दिशा में जलशक्ति मंत्रालय बनाकर पहल की है। प्रस्तुत है एसएफसी एन्वायरमेन्टल टेक्नोलॉजीस प्रा. लि. के डायरेक्टर संदीप आसोलकर के साथ नया भारत और जल संरक्षण पर हुई विशेष बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नए भारत की संकल्पना के बारे में आपके क्या विचार हैं?

सर्वप्रथम मैं कहना चाहूंगा कि आजादी के 70 सालों में देश में जो विकास हुआ वह सभी वर्ग के लोगों तक नहीं पहुंचा है। नए भारत की मेरी संकल्पना यह है कि देश का विकास देश के सभी लोगों तक पहुंचे और देश की संपदा का सभी लोगों के बीच में समान वितरण हो। विगत 5 वर्ष के मोदी सरकार के कार्यकाल का अगर ब्यौरा लें तो काफी सारी चीजें अच्छी हो रही हैं। परंतु अभी भी कई सारी चीजें ऐसी हैं जो अंतिम वर्ग तक नहीं पहुंच रही हैं। धारा 370 जैसे कई ऐसे विषय हैं जो सरकार ने कर दिखाएं हैं। पिछले 70 सालों से यह लोगों के मन में था परंतु उनके सपने पूरे नहीं हो रहे थे। परंतु अब ये सपने पूरे हो रहे हैं।

आज विदेशों में भी हमारी प्रतिमा बदल रही है। मैं निरंतर विदेशों का दौरा करता हूं। आज जब हम विदेश में जाते हैं तो हमें विशिष्ट सम्मान प्राप्त होता है।

नए भारत की ओर कदम बढ़ाते समय हमें अपने आप में क्या परिवर्तन करने आवश्यक हैं?

परिवर्तन संसार का नियम है। वह हमें निरंतर करना ही होगा। अभी कुछ समय पहले ही हमने चुनाव के दौरान एक बड़ा परिवर्तन देखा। लोगो ने इस बार जाति के आधार पर वोट नहीं दिया। यह दर्शाता है कि अब धीरे-धीरे सामाजिक परिवर्तन भी हो रहा है। अभी तक स्वतंत्रता मिलने के बावजूद भी समाज एकरूप नहीं हुआ था, जो अब होता दिखाई दे रहा है। एक बड़ा परिवर्तन राजनीतिक नेतृत्व की इच्छाशक्ति में भी दिखाई दे रहा है। इस बार के लोकसभा तथा राज्यसभा के सत्रों में कई प्रकार के विधेयक पारित हुए हैं जिनमें से तीन तलाक भी एक था। मुस्लिम समाज भी यह जानता था कि यह उचित नहीं है, परंतु राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं होने के कारण विधेयक पारित नहीं हो रहा था। मोदी सरकार ने इसे अपनी इच्छाशक्ति के बल पर कर दिखाया।

आप विगत दो दशकों से पानी के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे हैं। नए भारत में पानी की समस्या कितनी ज्वलंत होगी? तथा उसके लिए क्या उपाय करने चाहिए?

पानी की समस्या तो सदियों से ज्वलंत ही है। रहीम का एक दोहा है- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून। पहले इस प्रश्न पर अधिक गंभीरता से विचार नहीं किया जाता था परंतु अब गंगा स्वच्छता अभियान, नदी जोड़ परियोजना, बांधों की सफाई इत्यादि कई बातों पर ध्यान दिया जा रहा है। आज हम देख रहे हैं कई जगहों पर सूखा पड़ रहा है और कई जगहों पर बाढ़ आ रही है। इस तरह मौसम की अनियमितता के कारण होने वाली असुविधा के लिए पानी का नियोजन करना अत्यंत आवश्यक है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारी कृषि बारिश पर निर्भर करती है। अतः रेन वॉटर हार्वेस्टिंग या सीवेज के पानी का पुनर्प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। आज हमारे देश के सभी लोगों को अगर पानी चाहिए तो पानी का पुनर्प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। नागपुर इसका बेहतरीन उदाहरण है। नागपुर में जितना भी पानी सीवेज से आता है, उस पर रासायनिक प्रक्रिया करके उसका पुनर्प्रयोग करते हैं। इस पानी को वे पावर प्लांट्स में भेज देते हैं। पावर प्लांट को कोई भी पानी देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि वहां पानी पीने के लिए उपयोग नहीं होता है केवल ठंडा करने की प्रक्रिया के लिए ही उपयोग किया जाता है। नागपुर में लगभग 380 एमएलडी पानी का पुनर्प्रयोग किया जा रहा है।

पानी के पुनर्प्रयोग के क्षेत्र में आप पिछले 20 सालों से कार्य कर रहे हैं। आपका अनुभव क्या है? तथा आपने इस संकल्पना पर और क्या क्या प्रयोग किए हैं?

मेरे व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन भी है। हमने अभी तक 7000 से 8000 एमएलडी पानी पुनर्प्रयोग के अनुकूल बनाया है। हमने जब लोगों को पानी पर होने वाली इस प्रक्रिया के बारे में बताया तब लोगों ने हम पर विश्वास किया और इस प्रक्रिया के लिए तैयार हुए। एक और सकारात्मक बात यह थी कि अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने भी हमें बहुत सहायता प्रदान की। हम भी अपने प्रयोग करने के लिए हर प्रकार से तैयार थे।

विगत 5 सालों में इस क्षेत्र में और अधिक सुधार हुआ है। इस सरकार ने जलशक्ति नाम से अलग मंत्रालय बनाया है। यह मूलभूत परिवर्तन हुए हैं जो कि बहुत आवश्यक हैं।

आपकी कम्पनी वॉटर रीसाइकलिंग के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे रही है। आपकी तकनीक क्या है?

हमारी तकनीक का नाम सी टेक है। यह पूर्णतया बायोलॉजिकल मेथड है। इसमें किसी भी प्रकार के रसायनों का प्रयोग नहीं होता। प्लांट की कॉस्ट भी बहुत कम लगती है और चलाने का खर्च बहुत कम आता है। इन सबके बावजूद भी रीसायकल किया हुआ पानी इतना अच्छा होता है कि उसका सभी प्रकार के उपयोग के लिए पुनर्प्रयोग किया जा सकता है।

इस तकनीक का सामाजिक फायदा यह है कि इससे पर्यावरण रक्षा हो जाती है। पानी का पुनर्प्रयोग हो रहा है अर्थात एक प्रकार से आप पानी की बचत ही कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के कारण अधिक लोगों को पानी मिल सकता है। इस पानी को जब बेचा जाता है, तो उससे इस प्रोजेक्ट की कॉस्ट निकल आती है। एक प्रकल्प को चलाने का खर्च निकल आता है। महानगर पालिका द्वारा अगर प्लांट लगाया जाता है तो उनको भी फायदा होता है। इससे मिलने वाले पैसे को भी किसी दूसरे प्रकल्प में निवेश कर सकते हैं। इस कारण प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लोगों का फायदा ही होता है। समाज का फायदा होता है क्योंकि पर्यावरण का नुकसान कम होता है, महानगरपालिकाओं का फायदा होता है क्योंकि उन्हें आमदनी होती है और कंपनी का भी फायदा होता है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एक प्रकार से बांध का काम करता है। इसकी एक विशेषता यह है कि आपके घर में अगर नल में पानी नहीं भी आता है तो भी सीवेज में पानी जरूर आएगा। क्योंकि आदमी पानी को प्राप्त करने के लिए हर प्रकार की कोशिश जरूर करता है। हम टैंकर मंगवाते हैं, मिनरल वॉटर पीते हैं, या अब तो समुद्र से पानी निकालने की कोशिश भी की जा रही है। इसका अर्थ यह है कि चाहे कुछ भी हो जाए लोग पानी पीएंगे, नहाएंगे और टॉयलेट का प्रयोग करेंगे। इन सभी से सीवेज का निर्माण तो होगा ही। मेरे हिसाब से तो सीवेज को एक दूषित नदी के रूप में देखना चाहिए।

जिस प्रकार से नदियों को स्वच्छ करने का कार्य चल रहा है, उसी प्रकार अगर सीवेज को साफ किया गया तो उस पानी का पुनर्प्रयोग हो सकता है।

आपने अपनी तकनीक के माध्यम से भारत तथा विदेशों में कहां सेवाएं प्रदान की हैं?

विदेशों में दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, थायलैंड, चीन, वियतनाम आदि विभिन्न देशों में हमारे लगभग 200 से अधिक प्लांट लगे हैं। भारत में विगत दस वर्षों में हमने 700-800 प्लांट लगाए हैं। यह एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। दुनिया की किसी भी कम्पनी ने पिछले दस सालों में सीवेज में इतना काम नहीं किया हैै।

क्या आपको आपके कार्य के लिए राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की ओर से कुछ पुरस्कार प्राप्त हुए हैं?

मूलत: हम लोग यह काम किसी भी पुरस्कार के लिए नहीं कर रहे हैं। हालांकि इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की ओर से कुछ पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। परंतु हमारा ध्यान अपने काम पर है। हमें पता है कि अगर हम निरंतर अच्छा काम करते रहे तो कोई न कोई हमें जरूर नोटिस करता है। हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी या पुरस्कार यह है कि हमारे काम से लोग खुश हैं। और आज अगर कहीं भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का नाम लिया जाता है तो लोग एसएफसी को छोड़कर अन्य किसी की बात कर ही नहीं सकते। जहां तक राज्य और केंद्र सरकार का प्रश्न है तो वे भी जान ही जाएंगे, क्योंकि हम निरंतर अच्छा कार्य कर रहे हैं। दुनिया में जहां भी ट्रेड शो होते हैं, हम भले ही उसमें हिस्सा ने लें परंतु हमारी चर्चा जरूर होती है।

पानी की समस्या आज विकराल रूप ले चुकी है। नए भारत की ओर कदम बढ़ाते समय इस समस्या का निराकरण करने के लिए आप क्या करना चाहेंगे?

मेरे हिसाब से तो रीसायकलिंग ही इसका सर्वोत्तम उपाय है। भारत जैसे बड़े देश में विभिन्न स्थानों की आवश्यकता के अनुरूप पानी के शुद्धिकरण हेतु प्लांट लगाने चाहिए। हम विगत 30 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आज मुझे लगता है कि अगर सरकार जलशक्ति मंत्रालय के अंतर्गत हमारे अनुभवों का उपयोग करके समाजोपयोगी कार्य करना चाहे तो हम सदैव तैयार रहेंगे। पानी के शुद्धिकरण और पुनर्प्रयोग के संदर्भ में अगर कुछ नीतिगत उपाय योजना करनी हो हम अवश्य सहयोग करना चाहेंगे। हम चाहते हैं कि हमने इतने वर्षों में जो अनुभव लिया है उसे अन्य लोगों तक भी पहुंचाया जाए। तभी आगे की पीढ़ी को भी इसके बारे में पता चलेगा।

पानी की समस्या से से छुटकारा पाने के लिए आप आम भारतीय नागरिकों से क्या अपील करेंगे?

‘हिंदी विवेक’ के माध्यम से मैं सभी से निवेदन करना चाहूंगा कि सभी लोग पानी का अत्यंत नियंत्रण पूर्वक उपयोग करें। क्योंकि पानी कोई विकल्प नहीं है। जिस तरह पेट्रोल के बदले अन्य ईंधन चल सकते हैं उस तरह पानी के बदले अन्य कुछ नहीं चल सकता। दूसरी बात यह कि हर बार, हर जगह पानी का प्रयोग करते समय हमें यह सोचना होगा कि किस तरह इसका पुनर्प्रयोग किया जा सकता है। अभी तक हम पानी के लिए बरसात पर ही निर्भर रहते थे। परंतु अब बारिश की अनियमितता को देखते हुए हमें उपलब्ध पानी को ही कम से कम तीन बार प्रयोग करना होगा।

मोदी सरकार ने नए भारत की जो संकल्पना रखी है, उसमें पानी की ओर देखने का दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए?

मेरे हिसाब से तो पानी को सोने जितना कीमती समझना आवश्यक है। कल अगर आपके पास सोना न भी रहा तो कोई फर्क नहीं पडेगा, परंतु पानी नहीं रहा तो क्या होगा इसकी कल्पना की जा सकती है। ‘सेव टाइगर’ की तरह ही ‘सेव वॉटर’ अभियान भी चलाना आवश्यक हो गया है। इसे प्रथमिकता देना बहुत आवश्यक हो गया है। पानी की बर्बादी को अपराध की श्रेणी में रखना होगा।

भारत में पानी बहुत सस्ता है। 2-5 रुपए में हजार लीटर पानी मिल जाता है। अत: हमें पानी की कद्र नहीं है। इसे महंगा कर देना चाहिए। जब अधिक पैसे देने पड़ेंगे तो लोगों को पानी संभालकर उपयोग करने की आदत पडेगी। 

सार्वजनिक नलों को मुफ्त पानी मिले जो झुग्गी झोपड़ियों में लगे होते हैं परंतु जिन घरों में नलों में पानी आता है, उनसे कर के रूप में अधिक कीमत ली जाए।

जलशक्ति मंत्रालय बनाने की तरह मोदी सरकार के अन्य किन निर्णयों को आप स्वागत योग्य मानते हैं?

गंगा और अन्य नदियों के शुद्धिकरण का जो कार्य सरकार ने शुरू किया है, वह सचमुच बड़ा कदम है। यह सही है कि यह पांच सालों में होने जैसा कार्य नहीं है परंतु शुरुआत होनी आवश्यक थी। इसके लिए भगीरथ प्रयत्न आवश्यक है।

क्या आपको लगता है कि भारत की जनता और सरकार मिलकर नए भारत की संकल्पना को मूर्त रूप दे सकते हैं?

सौ प्रतिशत दे सकते हैं। आज सरकार कई ठोस निर्णय ले रही हैं। वे निर्णय सही होंगे या नहीं यह तो भविष्य की बात है। परंतु कुछ निर्णय तो हो रहे हैं। यूपीए के दस सालों में तो कुछ निर्णय ही नहीं होते थे। मेरे हिसाब से वह अवस्था अधिक खराब थी। मोदी सरकार को और पांच वर्ष कार्य करने का अवसर भारत की जनता ने दिया है। मेरे अनुसार तो आगे के बीस वर्ष भी इनके ही होंगे, अगर कार्य करने की और निर्णय लेने की गति यही रही तो। विदेशों में भी इसका असर दिखाई देता है। सरकार की इच्छाशक्ति और वास्तविकता में लाने की ताकत के प्रति आज सभी भारतीय निशंक हैं; अत: मुझे लगता है कि ये नया भारत जरूर साकार कर सकते हैं।

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