चीकू के समर वेकेशंस

आज चीकू बहुत खुश था, क्योंकि अब उसके  समर वेकेशंस नजदीक आ रहे थे। वह और उसके दोस्त एक-दूसरे से पूछ रहे थे कि छुट्टियों में कौन कहां घूमने जाएगा। चीकू से उसकी दोस्त जैस्मिन ने पूछा कि इस बार तुम कहां घूमने जाओगे तो चीकू ने कहा कि हम तो गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर जाते हैं। यह सुनकर जैस्मिन ने हंसते हुए कहा कि हर बार नानी के घर जाकर तुम बोर नहीं हो जाते हो? मैं तो अपनी नानी के घर तीन सालों से नहीं गई हूं, मैं वहां बोर हो जाती हूं। मैं तो हर साल किसी न किसी नई जगह पर घूमने जाती हूं और वहां बहुत मौज-मस्ती करती हूं। उसकी बात सुनकर चीकू ने तय किया कि इस बार वह भी नाना-नानी के  घर जाने की जगह कहीं और घुमाने के लिए पापा-मम्मी से कहेगा।

स्कूल से घर लौटते ही चीकू ने मम्मी से पूछा,‘आज पापा कितने बजे ऑफिस से लौटकर घर आएंगे?’ मम्मी ने कहा,‘आज मंडे है, पापा  के ऑफिस में आज काम थोड़ा ज्यादा रहता है, इसलिए आज वो शाम सात बजे के करीब आएंगे। पर तुम क्यों पूछ रहे हो? तुम्हें क्या कोई खास काम है?’ चीकू ने कहा,‘हां, मुझे उनसे बात करके कुछ प्लानिंग करनी है। अच्छा, अभी मैं खेलने जा रहा हूं।’ इतना कहकर चीकू घर से बाहर मैदान की ओर भाग गया और शाम को ठीक पौने सात बजे घर आया। पापा भी दस मिनट बाद घर लौटे। उन्हें देखते ही चीकू ने पूछा,‘इस बार गर्मी की छुट्टी में हम लोग कहां घूमने जाएंगे?’ चूंकि चीकू के पापा उस वक्त ही ऑफिस से लौटकर आए थे, वो काफी थके हुए थे, इसलिए उन्होंने चीकू को डांटते हुए कहा,‘इस बार हम कहीं नहीं जाएंगे। इन गर्मी  की छुट्टियों में तुम घर पर  रहकर अपने स्कूल का होमवर्क पूरा करना, पिछली बार घूमने के चक्कर में तुम्हारा समर वेकेशंस का होमवर्क अधूरा रह गया था।’ यह सुनकर चीकू निराश हो गया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया।

थोड़ी देर बाद जब उसकी मम्मी उसके लिए दूध लेकर कमरे में आईं तो चीकू ने पैर पटकते हुए उनसे कहा, ‘मुझे दूध-वूध नहीं पीना है। मैं नाराज  हूं, पापा तो बेवजह ही मुझ पर झल्लाते रहते हैं।’ चीकू की बात सुनकर उसकी मम्मी ने कहा, ‘बेटा, गलती तो तुम्हारी भी है, पापा ऑफिस से लौटकर आए तो तुमने उन्हें हाथ-मुंह धोने का भी मौका नहीं दिया और अपनी डिमांड उनके सामने रख दी। हमें कभी भी पापा के ऑफिस से घर आने पर तुरंत ही उनके सामने कोई डिमांड नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि पता नहीं उनका मूड कैसा हो। दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद वो थक कर घर आते हैं। ऐसे में जब वो चाय पीकर थोड़ा रिलैक्स हो जाएं, तब तुम अगर अपनी बात उनसे कहोगे तो वो इत्मीनान से तुम्हें इसका जवाब देंगे। अभी तुम डिनर के समय उनसे बात करना तो हो सकता है कि वो समर वेकेशंस का कुछ मजेदार प्लान बनाएं। हां, पर उनकी यह बात सही है कि पहले तुम पापा से स्कूल से मिला समर वेकेशंस का सारा होमवर्क फिनिश करने का प्रॉमिस करना और उसके बाद उनसे घूमने के प्रोग्राम को लेकर प्लानिंग करने के लिए कहना।’

मम्मी की बात सुनकर चीकू को लगा कि उसी ने गलत टाइम पर अपनी डिमांड रखी और इसीलिए उसे डांट पड़ गई। अपनी गलती का एहसास होने के बाद चीकू ने रात को डिनर टेबल पर पापा को सॉरी बोला। और साथ ही कहा ‘पापा, मैं गर्मी की छुट्टियों के  शुरुआती 15 दिनों में ही अपना सारा होमवर्क निपटा लूंगा, उसके बाद हम लोग घूमने चलेंगे।’

उसकी बात सुनकर पापा ने कहा,‘ठीक है। तुम बताओ, इस बार तुम्हारा समर वेकेशंस में कहां घूमने का मन है?’ उनकी बात सुनकर चीकू को तो लगा कि जैसे उसके मन की मुराद पूरी हो गई। उसने तुरंत कहा, ‘इस बार हम नानी के घर न जाकर, किसी फॉरेस्ट रिजॉर्ट चलेंगे। मैं वहां पर खूब एंजॉय करूंगा।’
चीकू की बात सुनकर उसके पापा ने कहा,‘ठीक है। हम तुम्हें फॉरेस्ट रिजॉर्ट तो ले चलेंगे, पर नानी के घर नहीं जाएंगे, ऐसा मत कहो। तुम ही सोचो कि पूरे साल नाना-नानी तुम्हें फोन करते रहते हैं, तुम्हें कितना मिस करते हैं, गर्मी की छुट्टियों का इंतजार करते हैं ताकि तुम उनके पास जाओ और वो भी तुम्हारे साथ मस्ती करें। और यह भी तो सोचो कि जैसे तुम्हें अपने मम्मी-पापा हर समय चाहिए, उसी तरह मम्मी भी तो कुछ दिन अपने मम्मी-पापा के साथ गुजारना चाहती हैं। हमें उनकी भी फीलिंग्स समझनी चाहिए।’

पापा की बात सुनकर चीकू ने कहा, ‘हां, आप सही कह रहे हैं। यह बात तो मैंने सोची ही नहीं थी। हम नानी के घर से जब फॉरेस्ट रिजॉर्ट के लिए जाएंगे तो नाना-नानी को भी अपने साथ ले चलेंगे। सब मिलकर खूब मस्ती करेंगे।’
चीकू ने यह बात नाना को तुरंत फोन करके बताई तो उसके नाना ने कहा,‘अच्छा, तुम्हें फॉरेस्ट रिजॉर्ट जाना है। यह तो अच्छा आइडिया है। मेरे एक दोस्त वहां काम करते हैं। मैं उनसे वहां की बुकिंग कल ही करा दूंगा।’ नाना की बात सुनकर तो चीकूफूला न समाया और पूरे घर में नाच-नाचकर गाने लगा।

उसने यह बात दूसरे दिन क्लास में जाकर जैस्मिन को भी बताई कि हमें कुछ दिन के लिए नाना-नानी के घर भी जाना चाहिए और कुछ दिन हम अपनी मनचाही डेस्टिनेशन पर भी जा सकते हैं। उसने पापा की पूरी बात जैस्मिन को समझाते हुए कहा कि मम्मी को भी कुछ दिन अपने मम्मी-पापा से मिलने का मन होता होगा, हमें उनकी फीलिंग्स समझनी चाहिए। चीकू की बात जैस्मिन और क्लास के दूसरे बच्चों को भी समझ में आ गई। उन्होंने भी कहा कि हम भी गर्मी की छुट्टियों में कुछ दिन अपने नाना-नानी के साथ जरूर बिताएंगे।

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