बॉलीवुड हॉरर फिल्में भी हैं दर्शकों की ख़ास पसन्द

बॉलीवुड में फिल्में तो हर शुक्रवार रिलीज़ होती हैं लेकिन वो फिल्में जो जनता को सिनेमा घर से लेकर अपने घर तक एक डर के साये से घेर लें, हर हफ्ते देखने को नहीं मिलतीं – जी हाँ “हॉरर फिल्में” अपनी विशिष्टता के कारण लोगों में एक क्रेज़ पैदा करतीं हैं।

और यही कारण है कि रोमैंटिक और कॉमेडी फ़िल्मों के साथ-साथ हॉरर फिल्में भी अब बड़ी स्टारकास्ट को लेकर बनने लगीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में हॉरर फिल्मों का क्रेज़ बढ़ते दिखा है। दर्शकों का रुझान भी इस तरफ हुआ है। और हॉरर फ़िल्मों के लिए एक विशेष स्थान बॉलीवुड फिल्मों में बन गया है।

बॉलीवुड की सबसे पहली हॉरर फिल्म थी “महल” जो कि सन उन्नीस सौ उनचास में रिलीज हुई थी। उस दौर के सुपरस्टार कलाकार, अशोक कुमार और मधुबाला ने इस फ़िल्म में बतौर मुख्य कलाकार काम किया। और ये फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट साबित हुई। इसकी पठकथा और लुभावने संगीत ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस फ़िल्म का मशहूर गीत ‘आएगा, आएगा, आने वाला, आएगा’, इतने वर्षों बाद आज भी संगीत प्रेमी गुनगुनाते सुनाई पड़ते हैं।

इस फ़िल्म ने कुछ ऐसा माहौल पैदा किया कि बहुत सी हॉरर फिल्में इससे प्रेरित होकर बनाई गईं। इस फ़िल्म ने एक नया आयाम बॉलीवुड फिल्मों को दिया। यूँ भी लगने लगा था कि इसके बाद आने वाली हॉरर फिल्में अच्छा बिज़नेस करेंगी क्योंकि हॉरर फिल्मों में दर्शकों को रुचि है, ये इस फ़िल्म ने सुपरहिट होकर साबित कर दिया था।

लेकिन, इसके बाद कुछ ऐसी हॉरर फिल्में आईं जो कि दर्शकों की उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरी नहीं उतर पाईं। हालाँकि, कुछ फ़िल्में जैसे कि उन्नीस सौ पैसठ में रिलीज़ हुई, नंदा, मनोज कुमार, प्राण और हेलन अभिनीत फिल्म ‘गुमनाम’ को भी दर्शकों ने सराहा। और उन्नीस सौ अड़सठ में आई, वहीदा रहमान मनोज कुमार और राजकुमार स्टाररर फ़िल्म  ‘नील कमल’ दर्शकों को काफी पसंद आई। फ़िल्म गुमनाम का गीत ‘गुमनाम है कोई’ और नीलकमल का गीत ‘आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार’ सदाबहार गीत सिद्ध हुए। और भी कुछ हॉरर फिल्में इस दौरान रिलीज़ हुईं जो कि स्टारकास्ट, रोमांच और संगीत की दृष्टि से अच्छी भी थीं लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कमज़ोर पकड़ के कारण दर्शकों को फ़िल्म ‘महल’ जितना लुभा नहीं पाईं। धीरे-धीरे हॉरर फिल्मों का क्रेज़ भी कम हो गया। और फ़िर इस बीच जो भी हॉरर फिल्में बनाई गईं वो बॉलीवुड फिल्मों की तृतीय श्रेणी में ही रहीं। ‘लो बजट’ और छोटी स्टारकास्ट के साथ बनीं ये फिल्में बॉलीवुड के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने में असमर्थ रहीं।

*लेख जारी रहेगी अगले अंक में

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