आम कश्मीरियों को अपना बनाने के लिए व्यापक प्रयासों की दरकार

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान होने के बाद तुरंत सभी मीडिया ने एक्जिट पोल दिखाना शुरू कर दिया। तदनुसार  दोनों राज्यों में यह भविष्यवाणी की गई है कि भाजपा फिर से सरकार में आएगी। चुनाव में  भारतीय जनता पार्टी ने धारा 370 को एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में जनता के सामने पेश किया था। भाजपा की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि धारा 370 को हटाने के लिए देश की जनता का उसे पूरा समर्थन है।

  • घाटी में शांति भंग करना चाहता है पाक

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एएनआई समाचार एजेंसी को बताया कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू और कश्मीर में शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है।

२० अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष के बारे में बोलते हुए रावत ने कहा  “परिस्थितियों को बदतर बनाने के लिए सीमा पार से अधिक कट्टरपंथियों को भेजने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे के क्षेत्र में कुछ कैंपों को सक्रिय कर दिया है, विशेष रूप से करेन, कंधार और नौगांव क्षेत्र में। हमने उन्हें निशाना बनाया है। इस हमले में 6-10 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए है, ऐसी जानकारी हमें मिली है। इसके अलावा 35 – 40 चरमपंथी आतंकवादी भी हमलें में मारे गए हैं। आतंकवादियों के तीन ट्रेनिंग केम्प भी नष्ट हुए है।

जम्मू-कश्मीर घाटी में शांति भंग करने के लिए पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों को भारत भेजने के लिए सीमा पर गोलीबारी कर रहा है। पाकिस्तान के हर नापाक मंसूबे को मिटाने के लिए सेना अलर्ट पर है। आज सुबह  पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ करने के लिए आतंकवादियों पर गोलियां चलाईं। जिसमें हमारे दो जवान शहीद हो गए।

  • स्थानीय चुनावों पर रहें सावधान

२४ अक्टूबर के बाद कश्मीर घाटी में स्थानीय स्वायत्त चुनाव होने वालें हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हताश हैं और वे आम नागरिकों में दहशत पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कश्मीर घाटी में शांति, स्थिरता स्थापित करने और कश्मीरियों को मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार लगातार सकारात्मक प्रयास कर रहीं है, वहीँ दूसरी ओर हथियारों के दम पर आतंकवादी घाटी में डर का माहौल बनाने में जुटे हुए हैं।

  • पंचायत राज को मजबूत करें

कश्मीरी लोग पर्यटकों की खूब मेहमाननवाज़ी और आदर सत्कार करते हैं। ”अब्दुल्ला और मुफ़्ती को हिरासत में रखने के बाद  क्या घाटी में राजनीतिक प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो गई है ?  इसका जवाब जम्मू-कश्मीर पंचायत राज आंदोलन के सदस्यों से मिलता है। पंचायत राज कार्यकर्ता बहुत स्पष्ट रूप से कहते हैं “हम कट्टरपंथियों से लड़े, लेकिन मुख्यधारा के राजनीतिक दलों (पीडीपी और नेकां) ने पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था।” जम्मू-कश्मीर में सरपंचों और पंचायतों ने लोकतांत्रिक और राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत किया है। इसलिए  कश्मीर के लोगों के साथ संवाद करने के लिए  घाटी में पंच और सरपंच मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवारों की तुलना में अधिक उपयोगी हो सकते हैं। कश्मीर के लोगों को अभी भी प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा है। प्रशासन में अनेक वर्षो से कुंडली मार कर बैठे नौकरशाह केंद्र सरकार की योजनाओं को गलत तरीके से चला रहें है, कश्मीरियों को डराने की कोशिश की जा रही है।

कई स्थानीय स्कूल के शिक्षक ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मदद से स्कूल बंद करना चाहते हैं। क्योंकि कई सालों से  यह ‘प्रशासन’ स्कूलों को सामान्य रूप से जारी नहीं रखना चाहता है। कई स्थानों पर  बच्चों को स्कूल में जाते हुए भी देखा जाता है लेकिन शिक्षक संचार बंदी, हड़ताल या संप्रदायवाद के डर के कारणों का हवाला देते हुए  स्कूल आने से इनकार कर रहे हैं।

इसलिए इन अधिकारियों को  जो कई वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात हैं, को हटाकर नए और कुशल अधिकारियों को नियुक्त करना होगा।

  • शियाओं की शिकायत

5% से अधिक आबादी वाले राज्य सरकार में शिया मुसलमानों का कोई प्रतिनिधि क्यों नहीं है ? साजिश कर के  राज्य की सभी सरकारों ने वक्फ बोर्डों पर भी, हर जगह शिया मुसलमानों को बाहर कर दिया। शिया अपने स्वतंत्र मुस्लिम औकाफ ट्रस्ट चाहते हैं। शिया मुसलमान दुखद कहानियां बताते हैं कि कैसे उनके कलात्मक,  नक्काशी और पेपरमेकिंग उद्योग को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया गया। अरबों रुपये के निर्यात होने वाली शाल बनाने की कला प्रक्रिया भी नष्ट की गई। डल झील में शिया मुसलमानों का एक भी हाउसबोट नहीं है।

यह रुकना चाहिए और शियाओं को कश्मीर घाटी में उनका योग्य स्थान मिलना चाहिए।

लेन-देन जारी है लेकिन —

सभी एटीएम आज चल रहे हैं और उनमें पैसा भी है। सड़क के किनारे का बाजार अन्य शहरों की तरह अच्छी तरह से चल रहा है। हर दूसरे वर्ग में टेलीफोन बूथ उपलब्ध हैं। बंद के दौरान, कश्मीरियों ने एक नए प्रकार के व्यवसाय की शुरुआत की है। एक बंद शटर के सामने बैठकर  युवा, अगर मांग की जाती है, तो दुकान के शटर खोल कर सामान देते है और फिर शटर को बंद कर देते है और फिर से दुकान के सामने बैठ जाते है।

जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था दो प्रमुख कारकों पर निर्भर है। एक पर्यटन है और दूसरा सेब एवं अन्य सूखा मेवा है। आतंकवादियों ने पिछले कुछ दिनों से लगातार सेब उद्योग को निशाना बनाया है। उन्होंने पहले राजस्थान के एक ट्रक ड्राइवर की हत्या की, फिर छत्तीसगढ़ में एक मजदूर की हत्या कर दी। तब थोक सेब खरीदने के लिए पंजाब से आए दो व्यापारियों पर प्राण घातक हमला किया गया। सेब से भरे एक ट्रक को जला दिया गया। यह स्पष्ट है कि कश्मीर का सेब उद्योग अभी आतंकवादियों का प्रमुख निशाना है।

धारा ३७० हटाने के बाद केंद्र सरकार ने कश्मीर की जनता के लिए सीधे  नेफेड के माध्यम से सेब खरीदने का एक बड़ा फैसला किया। इसके अलावा सेब के लिए न्यूनतम आधार दर भी लागू की गई। आतंकवादियों ने पहले ही महसूस कर लिया कि कश्मीरी सेब उत्पादक उत्साहित होंगे और इस अवसर का लाभ उठाकर अपने व्यापार को बढ़ाएंगे और अगर ऐसा होता है, तो भारत विरोधी अब तक के सभी जहरीले प्रचार बेकार में चले जाएंगे। इसलिए  कुछ भी कर के  कश्मीर घाटी में सेब उद्योग के सामने संकट खड़ा करना और उन उत्पादकों के गुस्से को भारत सरकार के खिलाफ करना है। कश्मीर घाटी के पांच जिलों में सेब उगाए जाते हैं – बारामूला, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग। इनमें से पुलवामा, शोपियां, आदि क्षेत्र आतंकवादियों के गढ़ हैं। घाटी में सामान्य स्थिति को ये देशद्रोही कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं ? और स्थानीय लोग भारत सरकार द्वारा पेश किए गए अवसर का लाभ उठाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, इसके कारण  वर्तमान में व्यापार से जुड़े परप्रांतियों को निशाना बनाया जा रहा है।

इसलिए  सरकार ने भी कुछ उपाय किये है। अन्य राज्यों के ट्रकों को सीधे सेब के बागों में जाने के बजाये तय किये गए विशेष सुरक्षित स्थान पर माल को चढाने और उन वाहनों को सुरक्षा प्रदान करने की सुविधा भारत सरकार ने दी है। अन्य राज्यो के व्यापारियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने की सुविधा दी जा रहीं है। सेब उद्योग का बढ़ता दायरा देखते हुए किये गए आतंकवादी हमले मामूली सी बात लगती है।

क्या करें?

कश्मीर ऐतिहासिक रूप से समृद्ध और उदारवादी सोच का देश रहा है। हिंदू, गुर्जर, बक्करवाल, शिया, और सिख एकमात्र कश्मीरी हैं। स्थानीय स्तर पर  आतंकवाद ही हिंदुओं और  सिखों को स्थायी रूप से छोड़ने का मुख्य कारण रहा है। डर के मारे दुकाने बंद पड़ी देखाई देती होगी लेकिन बाकी सब ठीक है।

भारत सरकार के प्रयास से कश्मीरी मुख्यधारा में आ रहे है और सौहार्द पूर्ण वातावरण बनने लगा है, जिससे कट्टर आतंकवादी बौखलाए हुए है। इसलिए आतंकवादियों के खिलाफ अभियान को तेज करने के साथ – साथ आम कश्मीरियों को अपना बनाने के लिए और अधिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए अधिक से अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

लोगों का मानना ​​है कि केंद्र सरकार की घोषणाओं को यहां लागू नहीं किया गया है। इसलिए केंद्र सरकार को पंचायतों की मदद लेनी चाहिए। धारा ३७० समाप्त तो हो गया है लेकिन ७० वर्षो से उनके दिमाग में जो जहर भरा गया है उसे निकालने के लिए जमीनी स्तर तक एक अभियान शुरू करने की जरूरत है। हर गाँव और अंदरूनी हिस्सों में बैनर लगाकर तथ्यों को बताने की जरूरत है, व्यापक जनजागरूकता अभियान की दरकार है। ३७० हटाने के बाद जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए कितने अवसरों के द्वार खुले है इसे बताना आवश्यक है।

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