मध्यप्रदेश में कौन होगा मुख्यमंत्री? BJP को 10 सीटें जीतना क्यों होगा जरूरी

मध्य प्रदेश का राजनीतिक समीकरण अब करीब करीब साफ हो चुका हैं। कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब उनकी राज्य से विदाई हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार आज शाम को 5:00 बजे फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया गया था लेकिन कमलनाथ के इस्तीफे के बाद से फ्लोर टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब भाजपा की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा और उसे बहुमत साबित करना होगा।

लेकिन देखने वाली बात यह है कि बीजेपी की तरफ से किसे मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया जाएगा? हालांकि बीजेपी के इतिहास पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे है लेकिन राजनीति में समीकरण के बनते और बिगड़ते देर नहीं लगती है। पार्टी की तरफ से किसी नए चेहरे को भी मौका मिल सकता है या फिर किसी पुराने अनुभवी को भी राज्य की कमान दी जा सकती है।

हालांकि अब तक के कामकाज पर नजर डालेंगे तो शिवराज सिंह चौहान सबसे मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके पास लगातार तीन बार सत्ता में रहने का अनुभव है, वह संघ के भी काफी करीबी बताए जाते हैं और वह दलित समाज से भी ताल्लुक रखते हैं।

अगर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं तो उनके पास 3 साल से ज्यादा का कार्यकाल होगा। इस दौरान वह राज्य की जनता की पूरी सेवा कर सकते हैं और जिस काम को कमलनाथ सरकार ने अधूरा छोड़ा है उसे भी पूरा कर सकते हैं।

इसके साथ ही आने वाले समय में मध्य प्रदेश में 25 सीटों पर उपचुनाव भी होंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था तो उनके साथ 22 विधायकों ने भी कांग्रेस की सत्ता को छोड़ दिया था जिसमें 6 मंत्री भी शामिल थे। वहीं शुक्रवार को भाजपा के एक विधायक ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया जबकि 2 विधायकों का निधन पहले ही हो चुका है जिससे कुल 25 सीटें खाली हैं और इन पर 6 महीने के अंदर ही चुनाव कराने होंगे।

फिलहाल में भाजपा के पास कुल 106 विधायक हैं अगर उनके समर्थन में चार निर्दलीय विधायक आते हैं तो इसकी संख्या 110 हो जाती है, 25 सीटों के उपचुनाव में भाजपा को बहुमत के लिए 6 सीटों की जरूरत होगी लेकिन अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव से भाजपा के लिए 10 सीटें जीतना जरूरी होगा वरना एक बार फिर से मध्य प्रदेश का खेल बिगड़ सकता है।

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