ग्रामीण भारत को सशक्त बनाएगी बीमा मंडी योजना

कारोलकर उद्योग समूह बीमा मंडी व बीमा पाठशाला की अनोखी योजनाओं के साथ बीमा क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। ऐसी योजनाओं से ग्रामीण भारत में आने वाली क्रांति, छोटे-छोटे तबकों को बीमा कवच उपलब्ध कराने तथा ग्रामीण भारत को प्रशिक्षित करने की योजना पर कारुलकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री प्रशांत कारुलकर से हुई अंतरंग बातचीत के कुछ खास अंश प्रस्तुत हैं।

आप अपने व्यक्तित्व की ओर किस दृष्टि से देखते हैं?

सर्वप्रथम मैं अपने परिवार की कुछ बातें बताना चाहता हूं। मेरी दादी ग्रेजुएट थी और आजीवन वह स्कूल टीचर रही। मेरे पिताजी इंजीनियर थे। कुछ समय कुवैत में जाकर उन्होंने अपनी सेवा दी और फिर से भारत लौट कर देश सेवा करने का निश्चय किया। संघ से जुड़कर सेवाकार्य एवं वनवासी कल्याण के लिए वे विशेष रूप से कार्य करते थे। मुझ पर भी अपने परिजनों का अधिक प्रभाव हुआ है और बचपन से ही राष्ट्र-समाज सेवा के संस्कार मुझे अपने घर परिवार से मिले हैं। हम समाज को सर्वाधिक महत्व देते हैं। समाज को साथ लेकर चलना और उसकी उन्नति करना, यह हमारा लक्ष्य है। मैं गांव के जिस स्कूल में पढ़ा, वह मात्र 4000 लोगों का गांव था। उस गांव का नाम है ‘झरी’, जो तलासरी तालुका में है। मैंने बिजनेस क्षेत्र में कदम रखा और सफल भी हो गया। स्टॉक मार्केट, बैंकिंग आदि क्षेत्र में मैंने सफलता की ऊंचाई देखी है। बिजनेस करते समय भी हमारे मन में यह भावना रहती है कि हम समाजहित में कार्य करें। मैं स्वयं को समाज का ही एक छोटा सा हिस्सा मानता हूं।

इंश्योरेंस के क्षेत्र में भी आपने कदम रखा है। आपकी ‘बीमा मंडी’ योजना क्या है?

भारत में कुल मिलाकर 3.71 प्रतिशत ही लोग इंश्योरेंस लेते हैं। यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्र में तो 0.5 प्रतिशत मात्र है। ग्रामीण क्षेत्र में बीमा जैसी बात पहुंची ही नहीं है जबकि सबसे ज्यादा जरूरत ग्रामीणों को ही है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ग्रामीणों की सुविधा के लिए हम बीमा मंडी योजना लेकर आए हैं। बीते 12 माह से 30 विशेषज्ञ सदस्यों की टीम इस पर रिसर्च एवं सर्वे कर रही थी। मैं एक उदाहरण देता हूं कि पहले एक शैंपू की बोतल 230 रु. की आती थी। फिर किसी के ध्यान में आया कि शैंपू के छोटे से पैकेट को 1 रुपए में बेचा जाए। आज आप देखेंगे कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी 1 का शैंपू खरीदकर अपने बालों को धोता है। उसी तर्ज पर हमने भी पॉकेट इंश्योरेंस लॉन्च किया है। जैसे महाराष्ट्र में सर्पदंश के अनेक मामले सामने आते रहते हैं। काफी लोग इससे मरते हैं। यदि हम 49 में यानी 50 से भी कम में 1 वर्ष के लिए सर्पदंश का इंश्योरेंस देते हैं तो आसानी से लोग इसे ले सकते हैं। इससे लोगों का मेडिकल खर्च भी बचेगा और जन माल की हानि भी नहीं होगी। मेरा फोकस ग्रामीण भारत पर है। जहां पर देश की सबसे बड़ी आबादी बसती है। जब हम ग्रामीण भारत की बात करते हैं तो उसमें किसान भी आ जाते हैं। यदि एक इंश्योरेंस मैं 2000 या 1000 में ऑफर कर रहा हूं तो किसान उसे स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि यह उसके बजट के बाहर है। इसलिए हर इंश्योरेंस को हमने पॉकेट साइज कर दिया है। हमने अब तक पांच राज्यों में 30 से अधिक अलग-अलग क्षेत्रों में इंश्योरेंस देने का विचार किया है। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में हमने सर्वे किया है। जिला, तालुका एवं वार्ड स्तर तक सर्वे कर हमने पॉकेट साइज इंश्योरेंस देने का निर्णय लिया है।

बीमा मंडी योजना को आप कैसे अमल में लाएंगे?

बीमा मंडी योजना को धरातल पर उतारने के लिए हमने डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘बीमा पाठशाला’ नामक एप तैयार किया है। इसके जरिए हम बीमा मंडी योजना को ग्रामीण भारत के घर-घर में ले जाएंगे। भारत सरकार ने अपने अथक प्रयास से डिजिटल गांव का निर्माण किया है। सर्वे में हमने देखा है कि जहां पर बिजली नहीं है वहां पर भी लोग 4-जी के लेटेस्ट मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं। इस एप के द्वारा हम उनकी स्थानीय भाषा में सारी योजनाएं प्रस्तुत करेंगे। 5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का हमने लक्ष्य तय किया है। हमने अपना काम शुरू कर दिया है। अब तक हम 40 हजार लोगों तक पहुंच गए हैं और आगामी कुछ दिनों में अन्य 40 हजार तक पहुंच जाएंगे। 6 घंटे से लेकर 90 घंटे तक के हमने स्थानीय भाषा में कोर्स तय किए हैं। उसमें हम फोकस कर रहे हैं ‘बचत और सुरक्षा’ पर। यदि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो जहां पर 70% से अधिक आबादी निवास करती है वहां उनकी बचत और सुरक्षा करना भी जरूरी है। 6 घंटे के कोर्स द्वारा उन्हें इनका महत्व बताया जाएगा और जागरूक किया जाएगा। कैसे पैसे बचाए? इंश्योरेंस से उन्हें कैसे लाभ मिलेगा? आपके हित में कौन-कौन सी सरकारी योजनाएं हैं? उनका लाभ वह किस प्रकार उठा सकते हैं? इन सारी बातों से उन्हें अवगत कराया जाएगा। इस कोर्स को सीखने के लिए पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है। हम ऐसे इंश्योरेंस ला रहे हैं जिनके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा। 500 प्रकार के इंश्योरेंस को हमने नोट डाउन किया है। राज्यों से हमें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। जिस राज्य में जिस तरह की आवश्यकता है उस तरह के इंश्योरेंस हम उपलब्ध कराएंगे। यदि हम किसानों को बहुत ही सस्ते दर में सुरक्षा कवच प्रदान करेंगे तो निश्चित रूप से उन में सुरक्षा की भावना बलवती होगी। कोरोना जैसे महामारी में सुरक्षा की दृष्टि से इंश्योरेंस बहुत जरूरी है।

क्या आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में आप कार्यरत है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात कही है, जिससे हम सभी में एक नई चेतना आ गई। हम बीते 12 महीने से शायद यही कर रहे थे लेकिन हमें यह शब्द नहीं मिला। अब वह शब्द मिल गया है। ‘समृद्ध गांव, समृद्ध भारत’ का ध्येयवाक्य हमने पहले ही रखा था। अब हमने ‘आत्मनिर्भर गांव, आत्मनिर्भर भारत’ को भी अपने ध्येयवाक्य में शामिल किया है। हम सभी ने देखा कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव में गए हैं। कोरोना वायरस से बहुत सारे आर्थिक बदलाव हुए हैं। शहरों के बिजनेस अब गांव की ओर बढ़ने वाले हैं। गांव में बहुत बड़ी मात्रा में जगह है, वहां पर संसाधन हैं, वहां पर मनुष्यबल है। अगले 3 साल में बड़ी संख्या में बिजनेस यूटर्न लेकर गांव की ओर चला जाएगा इसलिए अभी से गांव में अपना बेस बनाना शुरू कर दिया है। अभी हमने 5 राज्यों को कवर किया है। आगे हम अन्य 11 राज्यों तक अपने व्यवसाय को बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली प्रेरणा को लेकर हम आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम पहले से ही इस पर काम कर रहे थे और अब तेज गति से काम को आगे बढ़ाएंगे।

बीमा मंडी और बीमा पाठशाला को लेकर आपकी क्या रणनीति व कार्य योजना है?

जिला स्तर पर समाज के लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित लोगों को हम अपने साथ जोड़ रहे हैं। उन्हें हम नेतृत्व करने के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्हें 6 घंटे का प्रशिक्षण मुफ्त में दिया जाएगा। जो ग्रामीण या किसान मेरे लिए 6 घंटे का समय दे रहा है उसे भी तो कुछ लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए हमने नई योजना लाई है। जो ग्रामीण प्रशिक्षण लेगा उसे हम गाय का इंश्योरेंस मुफ्त में देंगे। उसे कैटल इंश्योरेंस का नाम दिया गया है। गाय की जोड़ी हो या बेल की जोड़ी हो, भैंस, बकरी, भेड़ जो भी पशु होगा उसका हम इंश्योरेंस देंगे। बीम ामंडी योजना को सफल बनाने के लिए हमने ‘पाठशाला’ का बहुत बड़ा पैनल बनाया है जो जिला स्तर पर कार्यरत होगा। जो वही का स्थानीय होगा और वहां की लोकल भाषा बोलता होगा। ऐसे लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इंश्योरेंस की आपकी योजनाओं को समाज का कितना प्रतिसाद व समर्थन मिल रहा है?

मैं एक किसान हूं। मेरी सात पीढ़िया किसान रही हैं। खेती मेरा आज भी मुख्य व्यवसाय है। इसलिए किसानों के दुख, तकलीफ, समस्या एवं परेशानियों को मैंने बहुत करीब से देखा है। गुजरात और महाराष्ट्र से सर्वाधिक प्रतिसाद व समर्थन हमें मिल रहा है। मुझे लोगों के फोन सिर्फ इसलिए आ रहे हैं कि सर यह प्रोडक्ट या इंश्योरेंस कब आएगा? आप कब लांच कर रहे हैं? हमें अपनी सुरक्षा करनी है। कोरोना का प्रभाव कहे या सुरक्षा के प्रति जागरूकता के चलते लोग हमें बहुत बड़ी मात्रा में प्रतिसाद दे रहे हैं। मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द बड़े-बड़े ब्रांड हमारे बिजनेस पार्टनर बनेंगे। क्योंकि हम अपने इंश्योरेंस भी बनाएंगे। हमने कई ऐसे क्षेत्रों को देखा है जिसका हम इंश्योरेंस बना सकते हैं। इसके साथ ही समाज से भी हमें सकारात्मक रिस्पांस मिल रहा है।

भारत की सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर आपके क्या विचार हैं?

कोरोना संकट और भारत-चीन तनाव के घटनाक्रम को देखते हुए समाज में एकजुटता का भाव निर्माण हुआ है। लोगों को लगने लगा है कि सच में हमें आत्मनिर्भर बनना है। राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी हम बहुत अच्छी स्थिति में है। हम किसी भी तरह से हताश, निराश व उदास नहीं है बल्कि हममें नई ऊर्जा और उत्साह भरा है। आप दूसरे देशों में देखेंगे तो पता चलेगा कि वह कितने भयभीत हो चुके हैं। भारत में लोग नए-नए बिजनेस शुरू कर रहे हैं। भारत सदा से ही आशावादी रहा है और भारतीयों की यह खासियत है कि वह संकट में भी समाधान ढूंढ लेते हैं। मुझे लगता है कि अब भारतीय समाज संगठित भी होगा, आत्मनिर्भर भी होगा और हम अपनी ताकत व संसाधनों का सही इस्तेमाल करेंगे।

ग्रामीण विकास के लिए आपने जो बीमा मंडी और बीमा पाठशाला योजना बनाई है, उसमें प्रमुख चुनौतियां कौन सी हैं?

हमारे समाज में जागरूकता की जो कमी है, वही हमारे सामने प्रमुख चुनौती है। इसके लिए हमें एक जन जागरण अभियान चलाना होगा। क्यों किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं? क्यों भारत विकास यात्रा में पिछड़ा हुआ है? ग्रामीण भारत शहरों की अपेक्षा क्यों पिछड़ गया है? ग्रामीण स्वस्थ्य, निरोगी, समृद्ध, सुरक्षित, स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर कैसे बन सकते हैं? इन सारे विषयों पर सर्वप्रथम जागरूक किया जाएगा। जब ग्रामीण जागरूक हो जाएंगे तो हमारी योजना इतनी तेजी से सफल होगी जितनी हम ने कल्पना भी नहीं की है। मेरा मानना है कि जागरूकता के अभाव में ही लोग इंश्योरेंस नहीं लेते। यदि जागरूकता आ जाएगी तो हमारी योजना भी सफल हो जाएगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार हो जाएगा।

आपके बीमा क्लेम को पास करने में कितना समय लगेगा?

ज्यादातर लोगों को बीमा क्लेम पास कराने में ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हमने पहले ही इसे सुविधाजनक बना दिया है। इसके लिए हमने ‘बीमा सारथी’ योजना बनाई है, जिसके जरिए आसानी से क्लेम पास कराया जा सकेगा। केवल 24 घंटे के अंदर क्लेम पास हो जाएगा। बहुत जल्द ही मात्र एक मैसेज में तत्काल क्लेम पास करने की सुविधा दी जाएगी। हमने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।

इंश्योरेंस क्षेत्र में आने के पीछे आपका क्या उद्देश्य है?

मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सारे बिजनेस कर लिए। यहां तक कि भारत सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी डील कर लीं। पहले से ही एक युनीकोन कंपनी खड़ी करने का मेरा सपना था। जो आकार में 8 से 10 हजार करोड़ रूपये के ऊपर की हो। लेकिन वह सिर्फ बिजनेस एटीट्यूड से नहीं बनानी है। उसमें सिर्फ पैसा कमाना ही हमारा लक्ष्य ना हो। मेरी कोशिश है कि हमारे बिजनेस का लाभ समाज को भी मिले। इंश्योरेंस ऐसा ही क्षेत्र है जिसमें अपार संभावनाएं हैं। इसके द्वारा समाज की सेवा भी की जा सकती है और इसमें देशसेवा एवं देशभक्ति की भावना भी छुपी हुई है। हमें ऐसा लगता है कि हम देश को मजबूत बना रहे हैं। राष्ट्र – समाज को सुरक्षित और सशक्त बनाने के उद्देश्य मैं इस क्षेत्र में आया हूं।

प्रधानमंत्री आवास योजना में आपका क्या योगदान है?

हमने पहले ही बहुत सारी जमीन खरीदी थी। यदि मैं स्वयं निर्माण कार्य करता तो शायद बड़ी संख्या में घर बनाने में 20 साल लग जाते इसलिए हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल होने का निर्णय लिया। हमारे साथ कुछ बड़े पार्टनर भी हैं। वसई में 417 एकड़ जमीन जो हमारी थी। वह हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में डाल दी। वहां पर एक ही सेक्टर में लगभग 90 हजार घर बनेंगे। यदि हम प्राइवेट बिल्डिंग बनाते तो लगभग 25 हजार ही घर बना पाते लेकिन सरकार के साथ मिलकर हम अधिक लोगों को लाभ दे पाएंगे। मात्र 15 लाख रुपए में आपको यहां पर घर मिल जाएगा। पालघर की योजना में हम काम कर रहे हैं। उसमें मात्र 10 लाख के अंदर आपको घर मिल जाएगा। वर्तमान समय में उद्योग जगत को राहत देने के लिए सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप के तहत स्वरोजगार व स्वव्यवसाय को प्रोत्साहित कर रही है। हम यह सर्च कर रहे हैं कि इंश्योरेंस क्षेत्र में सरकार कहां-कहां मदद कर सकती है। हम अपना काम करते जा रहें। हमें विश्वास है कि सरकार भी कहीं ना कहीं हमारे कामों से प्रभावित होकर इंश्योरेंस क्षेत्र में भी हमसे जरूर जुड़ेगी।

कारुलकर प्रतिष्ठान द्वारा लॉकडाउन के समय में कौन से सेवा कार्य किए गए हैं?

मेरी दादी ने सेवाकार्य शुरू किया था। उन्होंने गांव में एक स्कूल बनवाया था। अपनी सैलरी में से उन बच्चों को अपने घर पर रखा जिनके पास घर नहीं थे या जो बच्चे दूरदराज से चलकर स्कूल आ नहीं सकते थे। जब उन्होंने 1969 में स्कूल बनाया था तब 30 किलोमीटर में कोई स्कूल नहीं था। इतने दूर से बच्चे पढ़ने आ नहीं सकते थे। संघ से मिले संस्कार एवं सेवाभावना की प्रेरणा से वह काम करते गए। मेरे पिताजी ने जो भी बिजनेस में पैसा कमाया था उसे भी उन्होंने समाजसेवा में लगा दिया। मैं भी उसी माहौल में बड़ा हुआ हूं इसलिए मुझ पर भी संघ और मेरे माता पिता के संस्कार हुए हैं। लॉकडाउन के समय में रोजाना 1500 लोगों को कारुलकर प्रतिष्ठान के द्वारा भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। जहां पर सरकार भी नहीं पहुंच पाई, वहां पर भी हमारे स्वयंसेवकों की मौजूदगी के चलते हम पहुंच गए और सेवाकार्य किया। अगले 2 माह तक हमारा सेवा कार्य जारी रहेगा।

बीमा योजना की जो शुरुआत आपने की है वह आगामी 1 साल बाद किस पायदान पर होगी?

मेरा अनुमान है कि आने वाले 1 वर्ष में हम 200 प्रोडक्ट के साथ 20 राज्यों में अपना विस्तार कर लेंगे। हमारी कार्यप्रणाली बहुत ही तेज गति से इन योजनाओं को अमल में ला रही है। हमारा टीमवर्क बहुत ही शानदार है और सभी लोग मार्केट के अनुभवी एवं विशेषज्ञ हैं। जैसे ही अलग-अलग भाषाओं में हमारा वीडियो ऑडियो आदि प्लेटफार्म तैयार हो जाएगा, उसे हम सभी राज्य में प्रचारित-प्रसारित करेंगे।

बीमा योजना से जुड़ी आपकी टीम के बारे में कुछ जानकारी देना चाहेंगे?

मेरी टीम से जुड़े अनिल सच्चिदानंद जी का नाम मैं जरूर लेना चाहूंगा। जब से वे आए हैं तब से उनके साथ कई सीनियर लोगों का समूह हमारे साथ जुड़ा हैं। उनके साथ बहुत ही अच्छे लोग शामिल हैं। आज हम साथ में मिलकर काम कर रहे हैं। उनके सीनियर ग्रुप में उम्र के लिहाज से मैं ही सबसे छोटा हूं लेकिन ग्रामीण भारत की जो मेरी पकड़ है वह कहीं ना कहीं उनको भा गई। उन्होंने मुझ पर भरोसा जताया और हमने साथ में मिलकर बीमा योजना पर काम किया। उन्होंने आश्वासित किया है कि वह ग्रामीण भारत को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में अवश्य सफल होंगे। टीम से हमें बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हमारा आइडिया सुपरहिट है। बोर्ड ओरिएंटेड हमारी कंपनी है। भारत के बड़े नाम इस बोर्ड में शामिल हैं। रिलायंस जैसे बोर्ड के पदाधिकारी और बड़े-बड़े बैंकों के बोर्ड में शामिल बड़ी हस्तियां हमारे बोर्ड में शामिल होकर कुछ नया करना चाहती हैं। अन्य महान हस्तियां भी हमसे जुड़ सकती हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के रूप में बहुत जल्द ही बीमा मंडी से जुड़ी हुए बड़ी हस्तियों के नाम की घोषणा की जाएगी।

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