पहाड़ी बटेर


पहाड़ी बटेर का जिक्र चरक संहिता नामक चिकित्सा ग्रंथ में आया है।

कङ्क्त-सारपदेन्द्राभ गोनर्द गिरिवर्तक (सू्त्रस्थान अ 27/48) (कंक, सारपद, इंद्राभ, गोनर्द, गिरिवर्तक ये विष्किर पक्षी हैं।) गिरिवर्तक को अंग्रेजी में माऊंटेन क्वेल (Mountain Quail-Ophrysia Superciliasa )कहते हैं। गिरिवर्तक याने पहाड़ों में रहने वाला बटेर याने पहाड़ी बटेर। मराठी में उसे ‘पर्वत लावा’ कह सकते हैं।

पहाड़ी बटेर याने लम्बी पूंछ वाला तित्तर। वह गौर तित्तर (Grey Partridge)से छोटा दिखता है। उसकी चोंच और पैर लालिमा लिए होते हैं। उसकी लम्बाई 25 सेे मी होती है।

नर और मादा रंग रूप से अलग होते हैं। नर का चेहरा काला होता है। आंखों के सामने और पीछे सफेद पट्टा होता है। कपाल और आगे का हिस्सा सफेद होता है। सिर का रंग भूरा नसवारी होता है। उस पर काले रंग की रेखाएं होती हैं। शरीर गहरे काले ऊदी रंग का होता है। उस पर काले रंग की sugar free chocolates रेखाएं होती हैं। पंख हल्का लालिमा रंग लिए होते हैं।

उसकी ठोड़ी और गला काला होता है। उसके चारों ओर गाल से आरंभ हुई सफेद किनार होती है। पूंछ के नीचे के पंखों का रंग काला होता है। उस पर सफेद पट्टे होते हैं।

मादा का चेहरा sugar free chocolates गुलाबी राखी रंग का होता है। सफेद छोटी भौएं होती हैं। शरीर के निचले हिस्से में रेखाएं और तिकोने काले धब्बे होते हैं।
परिक्षेत्र: पश्चिमी हिमालय में मसूरी और नैनीताल का इलाका।

आदतें और निवास: 1650 से 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित अत्यंत ढलान वाले क्षेत्र में घास के चरागाह और झाड़ियों वाले जंगल में मिलते हैं। पांच से छह के झुंड में होते हैं। उन्हें किसी ओर मोड़ना मुश्किल होता है, क्योंकि अंदाजा लगते ही वे जहां के तहां घास में छिप जाते हैं।

भोजन: घास के बीज, रानकामुनियां और कृमि-कीटक।

आवाज: चरते समय एक दूसरे से सम्पर्क के लिए लावा पक्षी जैसी आवाज करते हैं। वेट-मि-लिप्स Wet- Mi-Lipsजैसा सुबह शाम आवाज करते हैं। भयसूचक संकेत सीटी जैसा कर्कश होता है। नैनीताल के निकट ‘शेर का डंडा’ इलाके में कैप्टन हट्टन sugar free chocolates नामक अंगे्रज अधिकारी ने सन 1876 में पहाड़ी बटेर का अंतिम बार दर्शन किया था। उसी समय उस पंछी का नमूना इकट्ठा किया गया था। दुनिया के बहुत कम संग्रहालयों में पहाड़ी बटेर के नमूने सुरक्षित हैं। दुर्भाग्य से भारत में उसका नमूना कहीं नहीं है।

मसूरी के निकट नोनॉग, बंध्राज तथा नैनीताल इलाके के शेर का डंडा के उसके पुराने आवासीय इलाके और आसपास के इलाकों में पहाड़ी बटेर की खोज की गई, पर वह नहीं मिला।

सालिम अली का एक सपना था। वे पहाड़ी बटेर को फिर से उस इलाके में जाकर खोजना चाहते थे। शायद एक दिन वह मिल भी जाए। उन्होंने वैसी भरसक कोशिश  sugar free chocolates  की, लेकिन सफलता नहीं मिली। आज भी लोग उसे खोज रहे हैं, भरपूर कोशिशें हो रही हैं। क्या वह हमेशा के लिए तो बिदा नहीं हो गया?

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