कांग्रेस में जारी है ओल्ड बनाम युवा की लड़ाई!

  • सोनिया गांधी पुराने काँग्रेसी नेताओं को देती है महत्तव
  • कांग्रेस में युवा नेताओं को किया जा रहा दरकिनार
  • पार्टी में जारी है ओल्ड बनाम युवा की लड़ाई
  • ज्योतिरादित्य और सचिन पायलट है इसके उदाहरण
कांग्रेस पार्टी में यंग बनाम ओल्ड का झगड़ा काफी दिनों से चला आ रहा है लेकिन इसे समय के साथ साथ दबाया गया और पार्टी में तजुर्बे वाले ओल्ड लोगों को पार्टी में अहम पद दिये गये। राहुल गांधी ने जब पार्टी के अध्यक्ष की कमान संभाली तो एक बार फिर से पार्टी के युवाओं को मौका मिला और बहुत से युवा नेता राहुल के करीबी भी हो गये लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 की हार के बाद राहुल गांधी ने अपना पद छोड़ दिया और एक बार फिर से पार्टी में युवाओं को दरकिनार किया जाना शुरु हो गया। 
 
मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को जीत। कांग्रेस की तरफ से मध्य प्रदेश के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया को इस जीत के लिए अहम भागीदार बताया गया लेकिन यह तारीफ सिर्फ शब्दों तक ही सीमित रह गयी और सिंधिया को कोई भी बड़ा पद ऑफर नहीं किया गया यहां तक की उन्हे राज्य के पार्टी का अध्यक्ष तक नहीं बनाया गया जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उन्हे मुख्यमंत्री के रुप में देखना चाहते थे। राज्य में फिर से ओल्ड बनाम युवा हुआ और आखिर में ज्योतिरादित्य ने आगे की राजनीतिक लड़ाई के लिए बीजेपी का दामन थाम लिया।
 
 
राजस्थान की सत्ता में 2018 में कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की और जनता ने भी बड़ा सहयोग दिया लेकिन यहां भी मध्य प्रदेश की तरह ओल्ड बनाम युवा की लड़ाई नजर आयी। अशोक गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट के बीच आपसी मतभेद देखने को मिला। पार्टी की तरफ से अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद ऑफर किया गया जबकि राज्य के युवा सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन आखिरकार पार्टी ने एक बार फिर से अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार चुन लिया। सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री का पद देकर मना लिया गया लेकिन कहीं ना कहीं पायटल को राज्य का को पायलट बनना पसंद नहीं और उन्होने दो साल बाद अब फिर से बगावत से सुर तेज कर दिये है। 
 
 दरअसल पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने कार्यकाल में उन लोगों को ज्यादा महत्तव देती है जो पहले से कांग्रेस में है और उनके विश्वास पात्र है जबकि राहुल गांधी युवाओं को पार्टी में मौका देना चाहते है लेकिन खुद की काबिलियत साबित नहीं कर पाने की वजह से अब उनकी पार्टी में सुनवाई कम होती है अन्यथा आज ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट बगावत नहीं करते।  

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