तीन खेमें में बंटी राजस्थान की राजनीति, कांग्रेस के विरोध में मायावती

  • राजस्थान की राजनीति में छिड़ा कानूनी दांव पेंच
  • तीन खेमें में बंटी राजस्थान की राजनीति 
  • मायावती ने खुल कर किया कांग्रेस का विरोध
  • गहलोत ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी

राजस्थान में जारी राजनीतिक तूफान को करीब 2 सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो रहा है कि यह राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा। अभी तक की लड़ाई में अशोक गहलोत और सचिन पायलट प्रमुख रुप से आगे नजर आ रहे थे जिसके बाद कोर्ट को भी इसमें शामिल किया गया और कोर्ट से पायलट ग्रुप को जीत मिली लेकिन सियासी ऊंट अब भी किसी करवट बैठ सकता था क्योंकि विधायकों का पाला बदलना जारी था लेकिन अंतिम समय में जब अशोक गहलोत को यह लगने लगा था कि अब उनकी जीत लगभग तय है ठीक उसी समय बसपा प्रमुख मायावती ने एक नया दांव चला और बसपा के विधायकों को कांग्रेस के पक्ष में वोट करने से मना कर दिया। मायावती की इस चाल से कांग्रेस चित हो गयी और अब कांग्रेस को अपनी हार नजर आने लगी है। 
 
 
कांग्रेस के विरोध में मायावती  
मायावती का अचानक से कांग्रेस के खिलाफ होना किसी को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर मायावती ने ऐसा क्योंकि किया लेकिन बसपा प्रमुख ने खुल कर कांग्रेस का विरोध किया और कहा कि उन्हे सही समय का इंतजार था ताकि वह कांग्रेस को सबक सिखा सकें। दरअसल राजस्थान में बसपा के कुछ विधायकों ने पार्टी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था जिससे मायावती को झटका लगा था। मायावती ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह कांग्रेस पार्टी को बिना शर्त समर्थन दिया था लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनकी ही पीठ में छूरा घोपा और बसपा के विधायकों को तोड़ने का काम किया। बसपा प्रमुख इस मामले में कोर्ट का भी रुख करने वाली है। 
 
 
गहलोत का राष्ट्रपति को पत्र
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान की राजनीति में जारी घमासान को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें गहलोत ने राजस्थान के वर्तमान हालात का जिक्र करते हुए यह निवेदन किया है कि इस मामले पर अब हस्तक्षेप करना जरूरी है। गहलोत ने अपने पत्र में राजस्थान में जारी विवाद के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि बीजेपी राजस्थान में लोकतंत्र का मज़ाक बना रही है। 
राजस्थान में जारी सियासी सियासत भी अब तीन भाग में बंट चुकी है पहला अशोक गहलोत का खेमा है जो हर हाल में सत्ता बरकरार रखना चाहता है, दूसरा खेमा सचिय पायलट का है जो किसी भी हाल में अपनी जीत चाहता है हालांकि अभी तक पायलट को क्या चाहिए वह किसी को पता नहीं चला है जबकि तीसरा दल अब बसपा सुप्रीमों मायावती का सामने आ रहा है जो अब खुल कर कांग्रेस के विरोध में आ चुकी है। तीनों दल राजनीति के साथ साथ कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है लेकिन यह अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है कि आखिर जीत किस की होगी।  
  

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