धरती क्यों डोलती है?

इतिहास में अब तक सबसे अधिक तीव्रता वाला भूकम्प चिली  देश के वाल्दिविआ में सन् 1960 में आया था। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 9.5 मापी गई थी। इस भूकम्प से निर्माण हुई सुनामी लहर उत्तर गोलार्ध में जापान तथा दक्षिण गोलार्ध में आस्ट्रेलिया तक पहुंच गई थी। इसके अलावा अनेक स्थानों पर जमीन खिसकने तथा ज्वालामुखी फटने की घटना भी हुई थी।

11 मार्च, 2011 को जापान में आए भूकम्प की तीव्रता 8.9 आकी गई थी। भूकम्प के विनाशकारी परिणाम के आंकड़ेें भूकम्प के बाद कई घंटों बाद पता चलते हैं तथा चर्चा में भी रहते हैं। सभी को उत्सुकता होती है कि भूकम्प की तीव्रता कितनी थी? लेकिन ये रिक्टर स्केल क्या है?

स्केल का अर्थ है कि नापने की तुलनात्मक मानक! उदाहरण के लिए, वजन का काटा एक स्केल है। मानिए कि उस पर हमारा वजन 70 किलों है। दूसरे शब्दों में यह वजन 60 किलों से अधिक तथा 80 किलों से कम है। इससे हमारे वजन का अंदाजा मिल जाता है। भूकम्प की तीव्रता को मापने का पैमाना या स्केल चार्ल्स रिक्टर ने 1935 में बनाया था। रिक्टर ’कैलिफोर्निया प्रौद्येगिकी संस्थान’ में बेनो गुटेनबर्ग के साथ भूकम्प विज्ञान पर अनुसंधान करते थे। उन्होंने इस स्केल का निर्माण भूकम्प मापक, सीस्मामीटर का उपयोग करके स्थानीय तुलनात्मक नापतौल के लिए किया था। रिक्टर ने खगोलशास्त्रियों द्वारा सितारों की तीव्रता को नापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्केल से प्रेरणा ली। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर गणित का उपयोग करके प्राप्त की जाती थी। इसलिए इस पद्धति का प्रसार दुनियाभर में तेजी से हुआ। इसका उपयोग आज बड़े पैमाने पर किया जाता है।

पृथ्वी के गर्भ में हमेशा हलचल होती रहती है। लेकिन वे सारी हमें अनुभव नहीं होतीं। जब धरती डोलने जैसी कोई बड़ी घटना होती है तो उसे हम अनुभव करते हैं। भूकम्प से जुड़ी जमीनी हलचल की तो जानकारी नहीं मिल पाती, पर जब यह कंपन पृथ्वी के ऊपरी भाग पर पहुंचता है, भूकम्प के रूप में अंकित होता है। वैज्ञानिक और तकनीकी

 

बड़े भूकम्प

* 8 अक्टूबर, 2005: 7.6 तीवता का भूकम्प पाकिस्तान और भारत में आया था, इस भूकम्प में 73,000 हजार लोग मारे गऐ   थे। जिसमे अधिकतर पाक अधिकृत कश्मीर के लोग मारे गऐ तथा जम्मूकश्मीर में 1,300 लोग मारे गए थे.

* दिसंबर, 2004: भारत के तटीय क्षेत्रों में एशियाई सुनामी की लहर से लगभग 11,000 लोग मारे गऐ थे। इस भूकम्प का केंद्र इंडोनेशिया था।

*26जनवरी, 2001: 6.7 तीव्रता वाले भूकम्प से गुजरात में 20,000 लोग मारे गऐ थे।

* 20अक्टूबर, 1991: हिमालय के तलहटी इलाके से सटे उत्तर प्रदेश में 6.6 तीव्रता वाले भूकम्प से 768 लोग मारे गऐ थे।

से परिपूर्ण संसार में भूकम्प को नापने के लिए यंत्र अनेक स्थानों पर स्थापित किए गये हैं। ये यंत्र जमीन की हलचल की जानकारी लेते रहते हैं। इन यंत्रों की रचना एवं कार्य करने की पद्धति इसी अनुसार होती है। मध्य में स्थिर वस्तु के चारों तरफ भूकम्प के झटकों के समय होने वाली हलचल यह यंत्र नाापता है। इस हलचल का निरंतर उल्लेख ’सीस्मोगा्रफ’ स्थिर गति के साथ हमेशा आगे बढ़ते हुए ठााफ पेपर पर रेखा के माध्यम से अंकित करता जाता है। ह्दय में होने वाली हलचल को जिस तरह ई.सी.जी. पद्धति से नापा जाता है, यह पद्धति भी इसी अनरूप होती है। ठााफ पेपर पर रेखाचिह्न ऊंचे प्रतिरोध के भूकम्प को दर्शाता है। भूकम्प का रोध जितना अधिक होता है, चौखट में रेखाओं की हलचल उतनी ही अधिक होती है। इन रेखाओं को रिक्टर स्केल पर निहित गणित के अनुसार दर्शाया जाता है। इन ऊंचे रोधकों की पूर्ण संख्या ’लॉग’ में देखा जाती है जैसे कि स्कूल और कॉलेजों में पढाये जाने वाले गणित विषय में ’लॉगरिदम’ संज्ञान को लिया जाता है। जिसमें 10 संख्या को बेस के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और 1000 इस संख्या को प्राप्त करने के लिए 10 का तीन बार गुणा किया जाता है

(10×10×10 =1000) इस तरह 1000 का लॉग निकाला जाता है। इसी प्रकार भूकम्प मापक यंत्र में भूकम्प का सबसे तीव्र रोध 1000 दिखाया तो रिक्टर स्केल पर भूकम्प की तीव्रता 3 दी जाती है। इसी अनुसार संख्याओं में एक सुधार किया जाता है। पृथ्वी पर भूकम्प आने वाले स्थान से ये यंत्र कितनी दूरी पर है, इस पर भी सुधार टिका होता है, क्योंकि ये यंत्र नजदीक होने पर धक्के की तीव्रता ज्यादा होगी और रोध रेखाओं के रूप में ज्यादा होंगे। इसलिए जापान में आए हुए भूकम्प की तीव्रता, इंडोनेशिया में आए भूकंप जितना ही दर्ज किया गया तथा फ्रास में भूकम्प की तीव्रता को कम ही आएगी। इसी अनुसार भूकम्प की तीव्रता सभी देशों में अलग-अलग मापी जाएगी। अंतरों के अनुसार किए हुए सुधार से इस परेशानी को दूर किया जा सकता है। रिक्टर स्केल लॉगरिदम का प्रयोग करते हुए उस पर एक संख्या का बदलाव (जैसे 3.5 से 4.5) बहुत बड़ा अंतर हो जाता है। इस मापक पर 6.2 तीव्रता वाले भूकम्प से 7.2 तीव्रता वाला भूकम्प का रोध 10 गुणा और उसकी शक्ति 31 गुणा ज्यादा होती है।

18 सितंबर, 2011 को भारत के उत्तर पूर्वी इलाके, नेपाल और भूटान में भूकम्प के झटके को महसूस किया गए। भूकम्प की तीव्रता रिकटर स्केल पर 6.8 मापी गई। इससे लोग संभल भी नहीं पाऐ थे कि फिर दोबारा भूकम्प के झटके महसूस किए गए। दोनों भूकम्प के केंद्र सिक्किम थे। भूकम्प में सबसे ज्यादा नुकसान सिक्किम के उत्तरी इलाकों में हुआ है। भूकम्प में अबतक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। इन पंक्तियों के लिखने तक भूटान तथा नेपाल समेत भारत में मरने वालो की संख्या 150 से अधिक थी और तथा 200 से अधिक लोग घायल भी हुए थे। सब से ज्यादा नुकसान उत्तरी सिक्कीम में हुआ है और राहत कर्मी अभी दूरदराज के इलाकों तक पहुंच नहीं पाए हैं। भूकम्प प्रभावित सिक्किम और आस-पास के इलाकों में भूस्खलन और खराब मौसम के कारण बचाव कार्यों में काफी दिक्कत आ रही थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण इमारतों, सड़कों और मोबाइल टॅावरों को काफी नुकसान पहुंचा, जिससे दूरसंचार सेवा और यातायात व्यवस्था ठप हो गई।

इस तरह रिक्टर स्केल को समझा जा सकता है। इस मापक पर  भूकम्प का तीव्रता अनुसार वर्गीकरण किया जाता है। 2 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले 8000 भूकम्प धरती पर रोजाना होते हैं, पंरतु इसकी जानकारी हमें नहीं मिल पाती है। लेकिन 4 रिक्टर स्केल के भूकम्प की कंपन का आभास हमें हो जाता है। भूकम्प की तीव्रता भूकम्प के केंद्र के पृथ्वी के नीचे की दूरी पर भी अवलंबित होती है। जापान के समुद्री किनारों पर आए भूकम्प जमीन के 32 कि.मी नीचे होने के बावजूद उसकी तीव्रता 8.9 रिक्टर स्केल पर थी, जो कि लातूर में भूकंप से कई गुणा अधिक था।

इस प्रकार के विनाशकारी भूकम्प दुनियाभर में साधारण रूप से वर्ष में एक बार होते हैं। भूकम्प की तीव्रता अधिक होने पर जान-माल की हानि अधिक होती हैं, ऐसी बात नहीं है। इसका उदाहरण 1556 में चीन के शांसी प्रांत में हुए भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8 थी और इस भूकम्प में 8 लाख 20 हजार लोग मारे गये थे, ऐसा अंदाजा है। सुमात्रा- इंडोनेशिया 2004 में आए भूकम्प की तीव्रता 9.2 आकी गई थी, इस भूकम्प में 2लाख 30 हजार लोग मारे गये थे। ये भूकम्प अधिक तीव्रता होने के साथ इससे 100 फुट ऊंची सुनामी का भी निर्माण हुआ था। इसका प्रमुख कारण चीन में जनसंख्या का अधिक घनत्व होना, ऐसा हो सकता है। शांसी प्रांत में अधितकर लोग पहाड़ों को खोद कर तैयार की गई गुफाओं में रहते थे, जो मिट्टी से बनी गुफा भूकम्प के झटकों को सहन नहीं कर पाए और गुफा में रहने वाले लोग मिट्टी में दफन हो गये।

पृथ्वी के किसी विशिष्ट भाग के भूगर्भ में हलचल होती रहती है। इसलिए इस स्थान पर भूकम्प अधिक होता है। जापान एक ऐसा ही देश है। जापान में भूकम्पन दूसरे देशों की तुलना में अधिक होता है। लेकिन, सबसे अधिक भूकम्प इडोनेशिया देश में होते हैं। चीन तथा ईरान में अब तक के सबसे विनाशकारी भूकम्प दर्ज किए गये हैं। इन देशों में जो अर्थिाक और नागरिक हानियां हुई है, वह अन्य देशों की अपेक्षा काफी अधिक है रिक्टर स्केल मापक से हमें भूकम्प की तीव्रता का ज्ञान होता है, पंरतु विनाश का अंदाजा वहां की भौगेलिक एवं अन्य परिस्थितियों पर निर्भर होता है। हम सिर्फ रिक्टर स्केल पर भूकम्प की तीव्रता को माप सकते हैं।

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