नई शिक्षा नीति से बदलेगा भारत का भविष्य

सन 1989 के बाद से करीब हर पांच साल बाद सरकारें बदलती गयी जिसमें से कुछ सरकारों ने देश हित में काम किया तो कुछ ने नहीं किया और सिर्फ सत्ता का सुखभोग कर समय गवां दिया लेकिन जिन सरकारों ने काम करने दावा किया वह भी सिर्फ सड़क, स्कूल और अस्पतालों तक ही सीमित रह गयी। इस दौरान शिक्षा पर किसी का भी ध्यान नहीं गया और शिक्षा की जो पद्धति सन 1989 में तय की गयी थी हम उसी के आधार पर आज भी चले जा रहे थे लेकिन आखिरकार इस पर भी विराम लग गया और वर्तमान की मोदी सरकार ने इस पर विचार किया और इसमें जरूरी बदलाव भी किए। 
 
बुधवार को पीएम मोदी ने कैबिनेट बैठक की और इस दौरान शिक्षा की नई प्रणाली को लेकर नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गयी। जानकारों की मानें तो यह शिक्षा में किसी तरह का बदलाव 34 साल बाद हो रहा है जो कि अब जरूरी हो चुका था। इसके साथ ही सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम भी बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। 
 
नई शिक्षा नीति में कई तरह के बदलाव किये गये लेकिन इसमें सबसे अहम बदलाव 10+2 हुआ है और इसे बदलकर अब 5+3+3+4 के फ़ॉर्मेट में कर दिया गया है। अब आप को समझाते है क्या है यह नया 5+3+3+4 का फ़ॉर्मेट ? नई शिक्षा प्रणाली के तहत पहले 5 साल में प्री प्राइमरी व प्राइमरी के तीन साल होंगे और कक्षा 1- 2 शामिल होगी फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 तक में विभाजित किया गया है इसके बाद और तीन साल कक्षा 6 से 8 के लिए निर्धारित किया गया है जबकि अंतिम के 4 साल कक्षा 9 से 12 के लिए बनाए गये है। 
 
नई शिक्षा नीति के तहत अब 12 तक की पढ़ाई को 4 भागों पर विभाजित कर दिया है और सभी का अपना अपना महत्व भी तय किया गया है जबकि इससे पहले सिर्फ 10वीं और 12वीं को ही महत्तव दिया जाता था और बच्चे सिर्फ दो ही परीक्षाओं को सबसे महत्तवपूर्ण मानते थे। नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को खुद के पसंदीदा विषय पढने की आजादी मिलेगी और वह विज्ञान व कला के बाहर भी अपना भविष्य बना सकेगा जबकि इससे पहले सिर्फ विज्ञान की पढ़ाई करने वाले को ही समाज में उचित स्थान मिलता था जबकि कला और बाकी का अध्ययन करने वाले को समाज कमजोर की नजर से देखता था। 
 
नई शिक्षा नीति के कुछ अहम बदलाव
1. कक्षा 5वीं तक के छात्र सिर्फ स्थानीय भाषा या फिर मात्र भाषा में ही पढ़ाई करेंगे और अंग्रेजी उनके लिए सिर्फ के विकल्प के तौर पर होगी। 
2. नई शिक्षा प्रणाली का रुप 5+3+3+4 को होगा और 9वीं से 12वीं की परीक्षा समेंस्ट के अनुसार होगी।
3. स्नातक के लिए अब 3 की पढ़ाई करनी होगी जबकि स्नातकोत्तर के लिए एक ही साल और पढ़ना होगा यानी आप 4 साल की पढ़ाई के बाद मास्टर डिग्री पा सकेंगे। 
4. एमफिल को खत्म कर दिया गया है और पीएचडी करने वालों को अब एमए के बाद सीधे एडमिशन मिल जायेगा। 
5. हायर एजुकेशन के दौरान छात्र पढ़ाई रोक कर कोई दूसरा शार्ट टर्म कोर्स कर सकता है और बाद फिर से अपनी पढ़ाई जारी कर सकता है। 
6. वर्ष 2030 तक हर जिले में एक मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टीट्यूट होगा जिससे छात्रों को पढ़ाई के लिए दूर नहीं जाना होगा। 

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