सुशांत सिंह की मौत पर मुंबई व बिहार पुलिस क्यों है आमने सामने?

बिहार के IPS अधिकारी के साथ BMC की ज़बरदस्ती
सुशांत सिंह राजपूत केस में मुंबई पुलिस की तरफ से उठाये जा रहे कदम से अब मुबई पुलिस के फ़ैसलों पर सवाल उठने लगे है। सोमवार को बीएमसी ने बिहार से आये आईपीएस स्तर के अधिकारी को जबरन क्वारंटाइन कर दिया जिसके बाद से यह मुद्दा और गरम हो गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो भी हुआ वह ठीक नहीं हुआ। बिहार के डीजीपी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और बताया कि मुंबई में पहले से मौजूद बिहार पुलिस की सहायता के लिए आईपीएस अधिकारी बिनय तिवारी को मुंबई भेजा गया लेकिन वहां उन्हे बीएमसी द्वारा क्वारंनटाइन किया गया वह भी आईपीएस मेस की जगह उन्हे किसी गेस्ट हाउस में रखा गया है। 

 

सुशांत सिंह राजपूत केस में अब मुंबई पुलिस और बिहार पुलिस आमने सामने होती नजर आ रही है। सुशांत की मौत को लेकर आज मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेस की और बिहार पुलिस के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें रिया के पैसे लेने का आरोप बिहार पुलिस की तरफ से लगाया गया था। मुंबई पुलिस कमिश्नर ने सुशांत केस को लेकर यह भी इशारा किया कि बिहार पुलिस को इस मामले में जांच करने का अधिकार नहीं है अब यह परमबीर सिंह का यह बयान किस आधार पर है इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस केस में कुछ बड़ी हस्तियों के शामिल होने से यह केस पूरी तरह से राजनीतिक दबाव में होता नजर आ रहा है और यही वजह है कि दो राज्यों की पुलिस एक दूसरे को सहयोग नहीं कर रही है। 
 
मुंबई पुलिस का नया खुलासा
मुंबई पुलिस शुरु से ही सुशांत सिंह की मौत को आत्महत्या बता रही है जबकि बिहार पुलिस यह मानने को तैयार नही है कि यह आत्महत्या ही है इस मामले पर मुंबई पुलिस की तरफ से एक और जानकारी साझा की गयी है कि सुशांत सिंह ने मौत से पहले गूगल पर अपना नाम, अपनी मैनेजर दिशा सालियान और अपनी बिमारी के बारे में सर्च किया था जबकि परिवार और सुशांत की पूर्व गर्लफ्रैंड अंकिता लोखंडे की मानें तो सुशांत किसी भी बिमारी से पीड़ित नही थे। मुंबई पुलिस ने बताया कि सुशांत केस में अब तक कुल 56 लोगों के बयान दर्ज किये जा चुके है और इस केस की आत्महत्या और हत्या दोनों की प्रकार से जांच की जा रही है। 

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