कांग्रेस अध्यक्ष का गोल-मोल नाटक

  • कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान
  • राहुल ने आजाद और सिब्बल पर लगाया बीजेपी से मिली भगत का आरोप
  • सिब्बल के ट्वीटर अकाउंट से कांग्रेस का चिन्ह गायब 
  • सोनिया गांधी अब भी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष 

कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि स्वतंत्रता के बाद से इस पर सिर्फ एक परिवार का दबदबा हमेशा से रहा है और वह अब भी कायम है। दशकों का समय गुजर गया और तमाम पार्टियों और भारत की राजनीति में परिवर्तन देखने को मिला लेकिन कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद तब भी गांधी परिवार के पास था और आज भी उसे कायम रखने की भरपूर कोशिश जारी है। सन 1998 से अब सोनिया गांधी ही पार्टी की प्रमुख बनी हुई है हालांकि बीच में उन्होने 2017-2019 तक यह कमान राहुल गांधी को सौंप दी थी लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद सोनिया गांधी को फिर से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था और वह अब भी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही है।
 
 
राहुल गांधी के इस्तीफ़े के करीब एक साल बाद फिर से पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस की बैठक हुई जहां पार्टी नेताओं को सोनिया ने अध्यक्ष पद के लिए किसी नेता को चुनने को कहा लेकिन सभी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम पर ही मुहर लगायी हालांकि वह अलग बात है कि इन दोनों के नाम लोगों ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के हिसाब से तय किया लेकिन सवाल यह है कि आखिर किसी ने गैर गांधी नेता का नाम क्यों नहीं लिया। कांग्रेस पार्टी सबसे पुरानी पार्टी है लिहाजा उसमें कुछ ऐसे भी नेता है जो सोनिया गांधी से भी ज्यादा सियासत कर चुके है और देश की जनता को भलिभांति समझते है लेकिन उनके नाम पर किसी ने मुहर लगाना तो दूर जिक्र तक नही किया गया। 
 
काँग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के करीब 23 नेताओं ने सोनिया को पत्र लिख कर यह मांग की थी पार्टी को अब स्थायी अध्यक्ष की जरुरत है। पत्र लिखने वालो में वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेता शामिल थे लेकिन बैठक के दौरान राहुल गांधी ने पत्र की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए इन नेताओं पर बीजेपी के साथ मिली भगत होने का आरोप लगा दिया जिसके बाद बैठक का माहौल बिगड़ गया और गुलाम नबी आजाद ने राहुल के बयान का पुरजोर विरोध किया और कहा कि अगर बीजेपी से मिली भगत साबित हो जाती है तो वह पार्टी से इस्तीफ़ा दे देंगे वहीं कपिल सिब्बल ने ट्वीटर पर अपना गुस्सा निकाला और अपनी प्रोफाइल से कांग्रेस के चिन्ह को गायब कर दिया।  
 
 
अब सवाल है कि अगर पार्टी को सिर्फ राहुल को ही अध्यक्ष बनाना है तो फिर उसमें इतना सब नाटक करने की क्या जरुरत है। आखिर देश की जानता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को क्यों भ्रमित किया जाता है कि पार्टी में सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से किया जा रहा है। लोकतंत्र की बात करने वाली कांग्रेस खुद की पार्टी से परिवारवाद नहीं खत्म कर पा रही है जबकि राहुल गांधी बिना वजह सरकार पर भी आरोप लगाते रहते है। कांग्रेस की सोमवार की बैठक में सोनिया गांधी ने इस्तीफ़े की पेशकश की थी लेकिन बात नहीं बनी और उन्हे फिर से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया जबकि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद देने के लिए सैंकड़ो पार्टी नेताओं ने सोनिया को चिट्ठी लिखी थी। वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के अगले अधिवेशन में राहुल गांधी को अध्यक्ष पद सौंप दिया जायेगा।

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  1. DR.PAWAR VEENA SUNIL

    काँग्रेस चोर पार्टी है.

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