मुसाफिर जाएगा कहां…


भारतीय फिल्म जगत में देव आनंद का नाम उन चंद चर्चित कलाकारों में शामिल है, जिन पर फिल्माए गए गीत मील का पत्थर साबित हुए। अपने खास अंदाज के लिए पहचाने वाले देव आनंद अभिनीत फिल्में के गीत जब कानों पर पड़ते हैं तो सुनने वाले आनंदित हो जाते हैं।

देव आनंद अभिनीत फिल्मों में हेमंत कुमार तथा किशोर कुमार की आवाज में जो गीत फिल्माए गए उनकी कोई सानी नहीं है। पार्श्वगायक मोहम्मद रफी ने जब देव साहब के लिए गाना शुरू किया तो वह सोने में सुहागा हो गया। ‘न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जाने’ गीत हो या फिर र्आज पंछी अकेला है’, जैसे गीत उस दौर के फिल्मी गानों के मिठास का खुद बखुद बखान करते हैं। ‘अपने भरोसा है तो ये दांव लगा ले’ गीत भी अपने दौर मे काफी सराहा गया। टैक्सी ड्रायवर, घर नं 44, फंटूश, नो दो ग्यारह, गाइड, ज्वेल थीफ, बंबई का बाबू जैसी फिल्मों के गीत आज मी जब कानों पर पड़ते हैं, तो सुनने वाले कहते हैं वाह क्या गाना है। ‘आज पंछी अकेला है’, ‘जब किसी से प्यार होता ह’ै फिल्म का गीत ‘तेरी जुल्फों में’ या फिर ‘असली-नकली’ फिल्म का तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है’, जैसे गीत जैसे ही बजते हैं, शरीर में अलग सी थिरकत पैदा हो जाती है। दुनिया नामक फिल्म का ‘फलसफा प्यार का’ चर्चित गीतोंमें शुमार है। ‘‘गाता रहे मेरा दिल’’ कहने वाले देव आनंद ‘जिदंगी का साथ निभाता चला गया’ कहकर सचमुच चले गए। उनका जाना उन्हें चाहने वालों को हर पल सालता रहेगा, लेकिन उनके फिल्माएं गीतों को जब गुनगुनाया जाएगा, उनका चेहरा हम सब के सामने आ जाएगा। अपने अभिनय के साथ-साथ भारतीय फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ गीतों की सुमधुरता ने देव आनंद की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ाने में अहम योगदान दिया। देव आनंद अभिनीत फिल्मों के लिए सी रामचंद्र (बारिश, अमरदीप, जयदेव (हम दोनो किनारे-किनारे), लक्ष्मीकांत प्यारेलाल (अमीर-गरीब और जानेमन), ओ. पी. नैयर (सी आई डी, जाली नोट), अनिल बिश्वास (जीत) राजेश रोशन (देश-परदेश, मनपसंद) नेे संगीत देकर उन सभी गीतों को अमर बना दिया।

19 फिल्मों में खुद्द निर्देशन करनेवाले देव आनंद की फिल्मों में अभिनय की यात्रा देश आजाद होने से एक वर्ष पहले यानी 1946 में ‘हम एक हैं’ फिल्म से शुरू हुई और इस फिल्म अभियन निर्देशन यात्रा का सभापन सन् 2005 में ‘प्राइम मिनिस्टर’ के बाद हुआ। बॉक्स ऑफिस में सफलता के झंडे गाड़ने वाले इस उम्दा कलाकार पर फिल्माए गए गीत खुद्द ही बोल देते हैं कि वे कितना गंभीर अर्थ लिए हुए हैं। ‘याद किया दिल’ ने जैसा गीत हो या फिर ‘मुसाफिर जाएगा कहां’ गीत अपने आप ही बता देता है कि इस गीत के माध्यम से देव आनंद ने दर्शकों के बीच नया संदेश पहुंचाया है। अपनी नटखट नायिका, नाराज नायिका, शोख नायिका को मनाने के लिए देव आनंद पर फिल्माए गीत का भाव अपनी खास शैली में प्रस्तुत करने का जो हुनर देव आनंद ने अपने अभिनय में दिखाया, उसकी जितनी तारीफ की जा कम ही कही जाएगी। बॉम्बे टॉकिज की फिल्म ‘जिद्दी’ (1983) से अपने फिल्म करिअर में स्थायित्व पाने वाले देव आनंद के लटके-झटके जब किसी गीत के बीच आते थे तो उसे दर्शक खूब सराहते थे। दर्शकों ने उनके हर अंदाज को तो सराहा ही, साथ ही गीतों के माध्यम से अपनी नायिका को मनाने का अलहदा अंदाज दर्शकों को खूब भाता था। प्रेम का अंदाज-ए-बयां तो मत पूछिए। उनके इस अंदाज से ही नाराज नायिका पलभर में हंसने के लिए बाध्य हो जाती थी। अपने यह दशकीय फिल्मी करिअर में देव आनंद जिन-जिन नायिकाओं के नायक रहे, वे भी इस बात की कायल रहीं कि देव आनंद अभिनीत फिल्मों के गानो को देव साहब ने अपने अलग अंदाज के कारण अमर कर दिया है। ‘अपना दिल तो आवारा’ गीत जब सुनने वालों के कानों पर पड़ा तो दर्शकों को देव आनंद के पागलप्रेमी के रूप का दर्शन हो गया। बतौर अभिनेता देव आनंद को चाहने वाले लोगों की सूची भी कम नहीं है, साथ ही उन पर फिल्माए गए गीत यह बताने में भी सफल रहे हैं कि अच्छे गीतों के लिए अच्छे अभिनय की भी जरूरत रहती है। इस तरह देव आनंद अभिनीत फिल्मों तथा उनके गीतों का तुलनात्मक अध्ययन करने से यह ज्ञात होगा कि देव आनंद ने जिस भी फिल्म में अभिनय किया, वह यादगार तो रहा ही, साथ ही उनके द्वारा अभिनीत प्रत्येक फिल्म के हर गानों को अमरता ही प्राप्त हो गई।

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