अखिल भारतीय वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ


अखिल भारतीय वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ का गठन सुप्रसिद्ध चिंतक स्व. दत्तोपंत ठेंगडी की प्रेरणा से किया गया। सन् 2002 में मुम्बई में हुई इसकी प्रथम बैठक में 10 प्रदेशों से 20 कार्यकर्ता उपस्थित थे जिसमें महासंघ के प्रथम अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह अलावा धार (म. प्र.) व महामंत्री श्री अरविन्द मोघे थे।

भा. म. संघ का इस महासंध के गठन के पीछे स्व. दत्तोपंत का यह ध्येय जो उनके लेख में स्पष्ट है कि राष्ट्रीय मुख्यधारा से वनवासियों को पृथक करने की चेष्टा करने वाले फिजो आयोजक स्व. खल यंत्र भईवाह कहेडाय आदि नेताओं राष्ट्रद्रोही कहने में जहां हम सकुचाते नही है वहां हम राही गाइदिन्लयू एन.सी. जेलियान हिपसन राय आदि वनवासी नेताओं तथा सेंगखासी आदि वनवासी संस्थाओं की सराहना भी करते है। उनके प्रबल राष्ट्रीय भाव को देखते हुए सराहना करनी भी चाहिए, किसान मजदूर होने के कारण आर्थिक दृष्टि से वे हमसे अलग नही है अर्थात् हम एकात्म है। अन्य किसान संस्थाओं में यह भाव विद्यमान नही है, किन्तु भारतीय किसान संघ व भा. म. संघ में यह जागृत है। यद्यपि अभी उनकी दृष्टि से कुछ काम करने की हमारी क्षमता नही है किन्तु हमारा यह निश्चय है कि कुछ अधिक शान्ति प्राप्त होते ही हम अपने इन अभागे वनवासी किसान मजदूरों की अधिक समस्याऐं हाथ में लेंगे तथा रचनात्मक कार्य द्वारा वनवासीयों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने का प्रयास करने वाली भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संस्थाओं को यथा शक्ति सहयोग प्रदान करेंगे। जो मुख्य प्रेरणा स्त्रोत रहा है।

महासंघ ने तय किया है कि वनवासी क्षेत्र में कार्य करने हेतु बाय फोकल विजन होना चाहिए। एक भाग संघर्ष का हो एक भाग सृजन का हो। वनवासियों के अधिकारों के लिए मिश्रीत आन्दोलनात्मक गतिविधि चलाना तथा उनके आजीविका के लिए रोजगारमूलक कार्य भी करवा रहे है। उनकों जागरूक करने के लिए अभ्यासवर्गो का भी समय समय पर आयोजन किया जाता है।

महासंघ के गठन पश्चात् म. प्र. के (कुक्षी) जिला धार में प्रथम अधिवेशन सम्पन्न किया गया, जिसमें 9 प्रदेशों से 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, द्वितीय अधिवेशन अप्रेल 07 में बांसवाड़ा राजस्थान में संपन्न हुआ इसके पश्चात् तृतीय अधिवेशन रतलाम म. प्र. में 2010 में संपन्न हुआ जिसमें वनवासियों की एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई जिसमें लगभग 6 हजार वनवासी बंधु सम्मिलत हुए।

इस अधिवेशन के पश्चात् महासंघ का कार्य विस्तार तेजी से हुआ नये नये कार्यकर्ता को मिले प्रकल्प का एक नया आयाम प्रारम्भ किया गया।

महासंघ ने अपने सभी अधिवेशनों के अवसर पर वन एवं वनवासी श्रमिक स्मारिका का प्रकाशन भी किया है जिसमें महासंघ के कार्य विस्तार, व उद्देश्य को लेकर विशेष सामग्री प्रकाशित की जाती रही है जो कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन का कार्य करती है।
महासंघ अभी शैशव अवस्था में है किन्तु कार्य की गति को देखते हुए लगता है कि यह शीघ्र है। स्वप्न दृष्टा एवं दत्तोपंत ठेंगडी के चिंतन को मूर्तरूप देगा।

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