पाकिस्तान बना आतंकियों का घर, FATF के फैसले के बाद नहीं मिलेगा पाक को कर्ज!

पाकिस्तान का आतंक से जो रिश्ता है वह किसी से भी छुपा नही है। भारत सहित दुनिया के तमाम देशों की तरफ से लगातार बढ़ते दबाव के बाद भी पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान की पैदाइश को भी कई दशक बीत चुके है इस दौरान कई सरकारें आयी और गयी लेकिन आतंक का अंत किसी भी सरकार ने नहीं किया और शायद यही वजह है कि पाकिस्तान की जनता आज भी अपनी नियमित ज़रूरतों के लिए भी मोहताज है। आज पूरी दुनिया यह जानती है कि पाकिस्तान टेरिरिज्म, टेरर फंडिन, मनीलांड्रिंग सहित तमाम गैरकानूनी काम कर रहा है। विश्व के ज्यादातर आतंकी हमलों में पाक का कनेक्शन होता है इसलिए हर बार पाक को अलग अलग देशों द्वारा दुदकारा जाता है।

पाकिस्तान की सरकारों ने आज तक खुद के विकास के लिए नहीं सोचा है। पाक की सरकारों ने सिर्फ आर्मी को आगे किया और उनकी आड़ में आतंकियों को पनाह दी जिसका परिणाम यह हुआ कि आज पाकिस्तान की जनता अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रही है। दुनिया एक तरफ चांद पर जाने की तैयारी कर रही है जबकि पाकिस्तान सिर्फ आतंकियों को भारत की सीमा में भेजने में लगा हुआ है। पाकिस्तान की चिंताजनक हालत को देखते हुए अमेरिका ने काफी समय तक मदद की थी लेकिन उसका परिणाम भी अमेरिका को भुगतना पड़ा। अमेरिकी सरकार के बार बार मना करने के बाद भी पाकिस्तान से आतंकी घटनाएं कम नहीं हो रही थी जिसके बाद अमेरिका ने भी पाक को आर्थिक मदद भेजनी बंद कर दी।

पाकिस्तान भी गिरगिट की तरह रंग बदलता है जब उसे पता चला कि अब अमेरिका उसे भीख नहीं देने वाला है तो उसने चीन को अपना आका बना लिया और अब चीन की भीख पर पलने लगा है। उधर चीन की भी नजर पाकिस्तान पर पहले से थी क्योंकि चीन को एक ऐसा कुत्ता चाहिए था जो उसके इशारे पर भारत पर भौंक सके। चीन ने पाकिस्तान को इतना कर्ज दे दिया है कि पाकिस्तान की वापस करने की हैसियत ही नही है। अब पाकिस्तान को हर हाल में चीन के डंडे के सामने नांचना होगा। उधर सउदी अरब भी आज कर पाकिस्तान से नाराज चल रहा है जिससे उसने पाकिस्तान का तेल और राशन बंद कर दिया है।

जून 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान की रैंकिग को कम कर दिया था क्योंकि पाक में आतंकवादियों को समर्थन दिया जा रहा था और उनकी फाइनेंशियल तौर पर मदद की जा रही थी जिसके बाद एफएटीएफ ने पाक को ग्रे सूची में डाल दिया था और यह हिदायत दी थी कि देश में आतंकी घटनाओं को कम किया जाए और उन्हे मिल रहा सरकारी संरक्षण भी जल्द से जल्द खत्म किया जाए। इसके बाद फरवरी 2020 में एफएटीएफ ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि पाक ने कुल 27 मापदंडो में से 14 पर अमल किया है जबकि बाकी पर अभी भी काम करने की जरुरत है। पाकिस्तान सरकार की तरफ से संसद में आतंक के खिलाफ कुछ बिल पास किये गये थे जिसमें आतंकियों की फंडिग को रोकने, उन्हे सरकारी सहयोग देने जैसे कई नियमों पर रोक लगाई गयी थी लेकिन यह सिर्फ एक दिखावा साबित हुआ। आतंकी संगठन आज भी उसी रफ्तार से काम कर रहे है जैसे वह पहले करते थे।

एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए पाक के पीएम इमरान खान ने अमेरिका को साधने के लिए अमेरिकी लॉबिंग कंपनियों की मदद ली लेकिन वह भी उनके काम नहीं आये। इतना ही नहीं पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में चीन, तुर्की और मलेशिया भी पाक की मदद नहीं कर सके। एफएटीएफ ने पाक को अभी भी अगले साल फरवरी 2021 तक के लिए ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। एफएटीएफ की 39 सदस्यों की टीम में सिर्फ तुर्की ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने की बात कही बाकी किसी ने भी पाकिस्तान के पक्ष में वोट नहीं किया। इस घटना से पाकिस्तान को सीखना चाहिए कि वैश्विक स्तर पर उसकी क्या इज्जत है लेकिन शायद ऐसा नहीं होगा। पाकिस्तान कभी भी आत्मचिंतन नहीं करता है इसलिए उसे सही और गलत का फर्क नहीं पता चलता है। पाक ने खुद को बचाने के लिए बहुत कोशिश की लेकिन उसके मौसमी दोस्तों ने उसे धोका दे दिया और पाक को फिर से ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया।

पाकिस्तान के एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में रहने से उसे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रे लिस्ट की वजह से विदेशी निवेश, आयात और निर्यात जैसी चीजों पर सीधा असर पड़ेगा इसके साथ ही आईएमएफ जैसी अंतराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाले कर्ज पर भी असर होगा। ई-कॉमर्स और डिजिटल फ़ाइनेंस के लिए भी गंभीर बाधा बनी रहेगी। पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों की वजह से अब उसे कोई भी देश कर्ज देने को तैयार नहीं होगा लेकिन अब यह पाकिस्तान की सरकार को तय करना है कि वह चीन और तुर्की की कठपुतली बनकर नाचेगा या फिर आत्मनिर्भर बन पाक की जनता के जीवन स्तर को सुधारेगा।

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