मुंगेर गोली कांड: दूर्गा पूजा समिति पर पुलिस ने क्यों किया फायर?

बिहार के मुंगेर में नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। मुंगेर में दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते यह संख्या थोड़ी कम थी। दुर्गापूजा तो पूरे राज्य में मशहूर है लेकिन सादिकपुर की बड़ी दुर्गा की प्रतिमा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मुंगेर में कुल 1 से लेकर 110 नंबर तक दुर्गाजी की प्रतिमा बिठायी जाती है जिसमें सादिकपुर की 1 नंबर की प्रतिभा सबसे बड़ी होती है और विसर्जन के दौरान सबसे पहले 1 से लेकर 3 नवंबर तक की प्रतिमाओं की शोभा यात्रा निकाली जाती है। बड़ी दुर्गाजी को उठाने में करीब 50 से 60 लोगों की जरूरत पड़ती है। इस शोभा यात्रा में मुंगेर और अन्य स्थानों की दुर्गा प्रतिमा जुड़ती जाती है लेकिन सबसे पहले बड़ी दुर्गाजी और फिर अन्य स्थानों की दुर्गा माता की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। जमालपुर में भी दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है यहां की प्रतिमा का विसर्जन भी इनके साथ ही किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 दिन लग जाते हैं। एक प्रकार से दशवीं और एकादशी मुंगेर के लिए ब्लैक आउट होता है और मुंगेर व जमालपुर में शेष गतिविधि नाम मात्र की होती है क्योंकि प्रतिमा विसर्जन की शोभायात्रा में ही सब लोग लगे रहते हैं।

इस बार भी मुंगेर में दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ कोरोना और चुनाव के कारण बाकी समय की तुलना में यह आयोजन थोड़ा छोटा लग रहा था। प्रशासन बार-बार 25 लोग को ही विसर्जन में शामिल होने का आग्रह कर रहा था लेकिन रविवार और विजयादशमी की तिथि ना होने के कारण आयोजकों ने प्रशासन से आग्रह किया की 26 को ही प्रतिमा विसर्जन संभव है। आयोजकों की तरफ से दो विकल्प रखे गए थे या तो पारंपरिक तरीके से 26 को प्रतिमा विसर्जन की अनुमति दी जाए या फिर कलश विसर्जन पहले करने दिया जाए और बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पारंपरिक तरीके से दुर्गा जी की प्रतिमा विसर्जन हो। मुंगेर में 28 अक्टूबर को विधानसभा का चुनाव है।

प्रशासन ने 26 अक्टूबर को पारंपरिक तरीके से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की अनुमति दे दी वैसे ज्यादातर शाम के समय ही सादिकपुर की बड़ी दुर्गा जी की प्रतिमा का विसर्जन शुरू होता है लेकिन प्रशासन की व्यवस्था को देखते हुए दिन में 11:00 बजे ही प्रतिमा विसर्जन के लिए शोभा यात्रा शुरू कर दी गई, शाम को 7:30 बजे दीनदयाल चौक के पास प्रतिमा को रखा गया यहां पर आजाद चौक और अन्य स्थानों से प्रतिमाएं आनी थी उसके बाद यह शोभायात्रा आगे बढ़ती लेकिन बाकी प्रतिमाओं के आने में विलंब होने लगा जिससे प्रशासन उतावला होने लगा। पुलिस ने पूजा मंडली पर दबाव बनाना शुरु किया कि वह मूर्ति को आगे बढायें जबकि पूजा समिति के लोगों ने कहा कि जब तक अन्य मूर्तियां नहीं आ जाती तब तक वह आगे नहीं जा सकते है। इसी बीच पूजा मंडली और पुलिस के बीच कहा सुनी हो गयी और इस दौरान पथराव की बात सामने आ रही है और अंत में पुलिस ने गोली चला दी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी।

हालांकि की घटना के बाद प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासन का अलग-अलग मत है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि शोभायात्रा को नियंत्रित करने में जो पुलिस बल लगा था उसके प्रमुख को कहीं से फोन आया कि एक्शन लो और प्रशासन की ओर से गोलियां गरज उठी जबकि मुंगेर के जिलाधकारी राजेश मीना एवं पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने इसे उपद्रवी तत्वों की साजिश बताया है। पुलिस का मानना है कि की मुंगेर में पंडित दीनदयाल चौक के पास शंकरपुर में मूर्ति विसर्जन के लिए प्रशासन ने आदेश दिया था। मूर्ति विसर्जन की शोभा यात्रा में पुलिस और स्थानीय लोगों में कहासुनी हो गई जिसमें किसी ने फायरिंग कर दी। फायरिंग में ही एक युवक अनुराग कुमार को गोली लगी जिससे उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस फायरिंग में 5 अन्य लोग भी घायल हुए हैं। जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। गंभीर लोगों को पीएमसीएच रेफर किया गया है। पुलिस का मानना है कि हिंसक भीड़ के कारण संग्रामपुर के थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार, कोतवाली थाना अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, कासिम बाजार थाना अध्यक्ष शैलेश कुमार समेत कुल 17 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। वहीं घटना के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में पुलिस का फ्लैग मार्च निकाला जा रहा है।

प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के एक हवाई फायर करने के बाद चार राउंड गोली चलाई जिसके कारण एक युवक की मृत्यु हो गई और 5 लोग घायल हो गए जबकि पुलिस का मानना है कि असामाजिक तत्वों ने 12 राउंड गोली चलाई जिसमें सभी लोग घायल हो गए हैं। वहीं इस घटना के बाद स्थानीय लोग सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है आखिरकार विसर्जन करने जा रहे युवक अनुराग का कसूर क्या था वह तो अन्य लड़कों की तरह ही शोभा यात्रा में शामिल था। अनुराग के पिता हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। अनुराग चार बहनों का इकलौता भाई था।

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