लव-जिहाद की भेंट चढ़ रही हिंदू बेटियां, अंकुश लगाने के लिए सरकार बनाए कठोर कानून!


लव जिहाद कहें, या रोमियो जिहाद सब का मतलब एक ही है पूर्ण रूप से मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर मुस्लिम महिलाओं को बहला-फुसलाकर प्रेम जाल में फांस कर इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराने की एक सोची समझी साजिश। गुप्त तरीके से तो यह बहुत लंबे समय से चलता आ रहा है लेकिन सन 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक की घटनाओं को लेकर सुर्खियों में आया और तभी से सबको इसके बारे में जानकारी मिली आखिर लव जिहाद क्या होता है।

हिंदू संगठनों का मानना है कि हिंदू संस्कृति के संरक्षण एवं लव जिहाद के अंत के लिए कठोर निर्णय लेने ही होंगे। पूर्व में कहीं ना कहीं जिहादियों के साथ राजनीतिक पार्टियां, राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी खड़े नजर आए जिसके चलते समय के साथ इनके हौसले बढ़ते गए। नवंबर 2009 में पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा कि कोई भी ऐसा संगठन नहीं है जिसके सदस्य केरल में लड़कियों को मुस्लिम बनाने के इरादे से प्यार करते है लेकिन दिसंबर 2009 में न्यायमूर्ति के टी शंकरन ने जैकब की रिपोर्ट को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और निष्कर्ष निकाला कि ज़बरदस्ती धर्मांतरण के केस हर दिन बढ़ते जा रहे है। अदालत ने लव जिहाद मामलों में दो अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले 4 वर्षों में इस तरह के 3000 से 4000 मामले सामने आए है।

वर्ष 2017 में केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में लव जिहाद के आधार पर एक मुस्लिम पुरुष से हिंदू महिला के विवाह को अमान्य घोषित कर दिया था तब मुस्लिम पति द्वारा भारत की सर्वोच्च न्यायालय में एक और अपील दायर की गई थी जहां अदालत ने लव जिहाद के पैटर्न की स्थापना के लिए सभी सामान मामलों की जांच करने के लिए एनआईए को निर्देश दिया था।

यह अवधारणा पहली बार 2009 में केरल और कर्नाटक में व्यापक धर्मांतरण के दावों के साथ भारत में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई लेकिन बाद में पूरे देश से मामले सामने आने लगे। सन 2009, 2010, 2011 और 2014 में भारत में लव जिहाद के आरोपों में विभिन्न हिंदू, सिख और ईसाई संगठनों ने चिंता जताई जबकि मुस्लिम संगठनों ने आरोपों से इनकार किया। मुस्लिम समुदाय के नेताओं का प्रत्यक्ष रूप से ऐसे लोगों को सहयोग व संरक्षण मिलता रहा है। पूर्व में रही सरकारों ने हिंदू संगठनों को मुस्लिम संगठनों के आगे बौना करने का काम किया जिसके चलते मुस्लिम समुदाय के लोगों के हौसले आज इतने बुलंद हैं कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले के एक कॉलेज से परीक्षा देकर आ रही लड़की को खुलेआम दिनदहाड़े अगवा करने की कोशिश की गई और जब लड़की ने इसका विरोध किया आरोपी तौफीक ने उसे गोली मार दी। आरोपी तौफीक के परिवार के सदस्य कांग्रेस के विधायक है जिससे तौफीक को कानून का भी डर नही है। वहीं इस मामले में अब प्रशासन पर भी उंगलियां उठने लगी है। मृतक लड़की के पिता ने युवक की शिकायत पुलिस में पहले भी की थी लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और प्रशासन की तरफ से कार्रवाई ना करने की वजह अब सामने आ रही है कि आरोपी कांग्रेस विधायक का पारिवारिक सदस्य है।

यमुना नगर से युवती को लव जिहाद में फंसा कर धर्म परिवर्तन कराने वाली घटना भी किसी से छिपी नहीं है। इसमें भी प्रशासन की गैरजिम्मेदारी सामने आ गयी थी। अगस्त 2020 में पानीपत के मॉडल टाटा टाउन थाना क्षेत्र में भी लव जिहाद में फंसा कर महिला को गर्भवती कर घर में भूखा प्यासा रखा गया था। वहीं दूसरी ओर बल्लभगढ़ की एक लड़की को युवक ने बहला-फुसलाकर शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव बनाने लगा। हरियाणा की घटना पर नजर डाली जाए तो एक बात सामने आती है कि चाहे सितंबर 2019 में फ़रीदाबाद की घटना हो या फिर अक्टूबर 2020 के गुड़गांव के फिरोजपुर की घटना हो जिसमें एक मौलवी हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर ले आया और हथीन में रहने लगा था। घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों का मेवात जिले और उसके नेताओं से जुड़ाव होता है।

अधिकांश मामलों में पहले से ही शादीशुदा होते हैं नाबालिक लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसा कर धर्म परिवर्तन का कार्य करते हैं। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे तत्वों और सहायता देने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने होंगे। ऐसे संस्थानों को मिलने वाला अनुदान बंद करना होगा जनसंख्या नियंत्रण कानून सही अन्य कठोर कानून भी बनाने होंगे।

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