भारतीय वस्त्र परंपरा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है – विकास खेतान (संचालक, नीलकंठ फैब्रिक्स)

विश्व में बहुत से विकासशील देश है या विकासशील देश बनने की कतार में हैं, उनके पास फैब्रिक्स मैन्युफैक्चरिंग की सुविधाएं नहीं है। विकसित देशों में मूल्य इतना अधिक होता है कि वह बाहर से आयात करना पसंद करते है। हमारे यहां टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज जो इतनी प्रगति कर रही है उसके पास बहुत ही अच्छा मौका है। वह अपने आपको निर्यात करने के काबिल बनाए तो बहुत आगे बढ़ सकती है।

वस्त्र परंपरा के सन्दर्भ में आपका क्या दृष्टिकोण है ?

वस्त्र भारत सहित दुनिया में अत्यावश्यक माना जाता है। इसलिए मानव जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभुत आवश्यकता होती है। पहले के समय से ही कपड़ा को असेंशियल कहा जाता रहा है। समय के साथ ही वस्त्र परंपरा में भी बदलाव हुए है और बड़ी तेजी से फैशन और परंपरा के अनुरूप बदलाव का चक्र अनवरत जारी है। हमारे देश में कपड़ा इंडस्ट्रीज बहुत ही महत्वपूर्ण इंडस्ट्री है। कपड़ा इंडस्ट्रीज सर्वाधिक लोगों को रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है। जिसके मुकाबले अन्य इंडस्ट्री रोजगार के अवसर नहीं उपलब्ध करा पाती। फैब्रिक उत्पादन के साथ ही धीरे-धीरे गारमेंट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। गारमेंट इंडस्ट्री में भी बहुत अधिक मात्रा में कर्मचारियों का उपयोग होता है। रोजगार की दृष्टि से कपड़ा इंडस्ट्री देश के लिए बहुत महत्वर्पूण है। आने वाले समय में टैक्सटाइल इंडस्ट्री की बहुत प्रगति होगी। निर्यातक के रूप में भारत दुनिया में प्रमुख देश के रूप में जाना जा रहा है, जहां से फैब्रिक्स निर्यात होता है। उस हिसाब से भी हमारे वस्त्र परंपरा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

खेतान परिवार वस्त्र उद्योग से कब से जुड़ा हुआ है?

मेरे पिताजी और उनके भाई 70 के दशक में कपड़ा इंडस्ट्री में आये। राजस्थान के झुंझुनू गांव से वह मुंबई आए। वहां पर सभी ने कपड़े के उद्योग में नौकरी करने से अपने काम की शुरुआत की। संयोगवश सभी ने कपड़ों से जुड़ी कंपनियों में ही काम करना शुरू किया। यहां से उनके करियर की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे समय के साथ उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिला तो वह पूरे दमखम से अधिक परिश्रम करने लगे और उस अवसर का लाभ उठाया। कुल मिलाकर तब से ही हमारा खेतान परिवार वस्त्र उद्योग से जुड़े हुए हैं और हमारी दूसरी पीढ़ी भी इसी वस्त्र उद्योग से जुड़ी हुई है। हमने जो वस्त्र उद्योग में अपना एक मुकाम बनाया है, उसे ही हमारी अगली पीढ़ी तकनीकी का उपयोग कर आगे बढ़ा रही है।

फैब्रिक्स के अनेक प्रकार है, आप कौन से फैब्रिक्स का निर्माण करते हैं?

हम सिंथेटिक और सूटिंग फैब्रिक्स बनाते हैं। ट्राउजर, फुल पैंट और कोट के लिए विशेष रूप से इसे निर्माण किया जाता है। नीलकंठ फैब्रिक्स का सूटिंग फैब्रिक्स और सिंथेटिक फैब्रिक्स, ब्लेंडर फैब्रिक्स मतलब लेनिन वाला फैब्रिक्स भी चालू किया हैं लेकिन मुख्य रूप से सिंथेटिक और सूटिंग फैब्रिक्स का हम निर्माण करते है।

सिंथेटिक और सूटिंग फैब्रिक्स की विशेषता क्या है?

इसकी मुख्य विशेषता यही है कि हम वैरायटी के रूप में फैब्रिक्स बनाते हैं। बहुत सारे कॉरपोरेट्स के लिए भी काम करते हैं जो स्टैंडर्ड मिल ग्रेड का कपड़ा बनाते हैं। उदाहरण के लिए हम ‘सियाराम’ के लिए कपड़ा बनाते हैं। जो प्रोडक्शन उस फैब्रिक्स में आवश्यक होता है वही हूबहू कलचर हमारा पूरा कार्य प्रणाली हो गयी है। अच्छी-अच्छी मिलों से कपड़ा बनाते हैं, जैसे कि सियाराम है, डोमिनीज है। उन सभी कंपनियों से हमारा हमेशा ही काम होता है और कई ब्रांड है, जिसमें हमारा सीधे आपूर्ति होता है। हमारा 100% सेल बिजनेस टू बिजनेस होता है। हमारा खरीदार वही है जो हम से लेकर आगे बेचने वाला है। उनको हमारा आश्वासन है कि हमारी क्वालिटी अच्छी देंगे, सबसे बढ़िया देंगे। उदाहरण के लिए कुछ लोग किसी प्रोडक्ट का 100 रुपये में व्यापारी से सौदा कर लेते हैं तो उसमें मुनाफे के लिए चालाकी से गुणवत्ता में कुछ कमी कर देते हैं। हमारे यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। हमने जो आश्वासन दिया है तो 100% उस पर खरा उतरेंगे। किसी कारणवश उसमें हमें नुकसान भी हो रहा है तो भी हम वादा नहीं तोड़ते हैं। यही हमारी विश्वसनीयता और विशेषता है।

नीलकंठ फैब्रिक्स यह संस्था बीते 40 वर्षों से अधिक समय से उद्योग जगत में योगदान दे रही है, इस दौरान आप की विकास यात्रा कैसी रही?

जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि नौकरी से मेरे पिताजी ने शुरुआत की। फिर अपने भाई के साथ मिलकर संयुक्त रूप से एक फैक्ट्री उन्होंने लगाई थी। उसके बाद नीलकंठ फैब्रिक्स जो हमारी फर्म है उसकी स्थापना 1989 हुई थी। तब हमने तारापुर में लूम लगाई थी। जैसे-जैसे मार्केट चेंज होता गया, हमने भी अपने आप को अपडेट किया। जो क्वॉलिटी और फैब्रिक्स आवश्यक है, टाईप ऑफ़ फैब्रिक्स है, उसमें बहुत प्रकार के चेंजस आते रहे, समय की मांग के अनुरूप हमने सुधार प्रक्रिया जारी रखी और नए रूप रंग एवं कलेवर में अपग्रेड होना आज भी जारी है।

नीलकंठ फैब्रिक्स की यात्रा के दौरान आई हुई चुनौतियों का सामना आपने कैसे किया ?

आज हम मुंबई मार्केट में बैठे हैं। कुछ समय पहले हम जो प्रोडक्ट और क्वालिटी बनाते थे उस में प्रतिस्पर्धा होने लगी। राजस्थान में भीलवाड़ा क्षेत्र में उसी समय एक सूटिंग का मार्केट विकसित होनेे लगा। भीलवाड़ा में लेबर कॉस्ट कम है, जमीन की कीमत कम है, अन्य जरूरतें कम दर में उपलब्ध होने के कारण वहां पर मार्केट तेजी से विकसित हो गया। वहां के लोगों ने हमारे प्रोडक्ट एवं क्वालिटी जैसा ही फैब्रिक्स बनाकर हम से भी सस्ती दरों में बेचने लगे। वह जो सस्ती दरों में माल बेचने लगे, उतने सस्ते दरों में हम नहीं बेच सकते थे, यह हमारे लिए संभव नहीं था। अचानक नया बाजार खुलने सेे थोड़ा हम पर असर हुआ। हम ने बेहतरीन क्वालिटी के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। उस हिसाब से अपने आप को चेंज किया, हमने नया क्रिएशन और अधिक क्वालिटी के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया जो भीलवाड़ा में नहीं बन सकते थे। इसके लिए भीलवाड़ा मास प्रोडक्शन के रूप में जाना जाने लगा और हम लोग स्पेशलिस्ट प्रोडक्शन के रूप में विख्यात हुए। हमने ऐसे-ऐसे प्रोडक्ट विकसित किए जो वहां पर उनके लिए करना बड़ी कठिनाई का काम था। शुरू में उन्होंने हमारी नकल करने की कोशिश की लेकिन उसमें वह सफल नहीं हुए। अंततः उन्होंने डेवलप और क्रिएशन का काम छोड़ दिया। इसके बाद हमने नए प्रोडक्ट और फैंसी फैब्रिक्स बनाने लगे। यदि आपके हाथ से मार्केट जा रहा है तो आप को अपने आप में एवं अपनी कार्य प्रणाली में परिवर्तन करना ही होगा और हमने वो किया।

नीलकंठ फैब्रिक्स की यूएसपी क्या है?

यूएसपी ऐसा है कि मेरे पिताजी शिवकुमार खेतान जी ने जो व्यापार चालू किया और उन्होंने जो गुडविल बनाया उसका लाभ हमें आज भी मिल रहा है। आज भी कुछ व्यापारी ऐसे है जिनसे मेरा कभी संपर्क नहीं रहा लेकिन आज जब वह मेरे संपर्क में आते हैं तो वह मुझसे बेहद खुलकर खुशी-खुशी बात करते हैं, ऐसा लगता है मानो वह मुझे बहुत पहले से जानते हो। मैंने पहले भी बताया था कि ‘जो हम कहते हैं, वह करते हैं’ हमारी प्रतिबद्धता ही हमारे व्यापार-व्यवसाय का मूल है। इसके साथ ही हमारी हर बार यहीं कोशिश होती है।

कोरोना के चलते कपड़ा उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है और कई प्रकार की समस्याओं एवं चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में सरकार से आपकी क्या मांग और अपेक्षाएं हैं?

अभी हम बहुत ही सीमित मार्जिन वाला काम कर रहे हैं। हमारा यह मानना है कि इतने वर्षों से मैं बिजनेस में हूं तो मेरे पास कुछ जमापूंजी है, उसके आधार पर मैं हमारे परिवार का गुजारा कर सकता हूं लेकिन मेरे जो कर्मचारी है जो तनख्वां ले रहे हैं उनके पास बहुत जमापूंजी नहीं होती है तो उनको कहीं ना कहीं किसी रूप में मदद मिले, जैसे कि हमारा काम बंद पड़ा है या कम हुआ है तो हम लोग एक सीमित रूप में सहायता उन्हें दे रहे हैं। अब प्रोडक्शन चालू हुआ है तो कुछ कारीगर ऐसे हैं जो लोग कोरोना से डरकर अपने गांव चले गए, अब जबकि हमारा प्रोडक्शन पूरा चालू हो गया है लेकिन अभी भी मजदूर किसी कारणवश गांव से यहां पर नहीं आ पा रहे हैं, तो उसके लिए सरकार कुछ व्यवस्था कर दे तो यह ज्यादा बेहतर होगा। हमें भी उनकी जरूरत है और उन्हें भी हमारी जरूरत है लेकिन वह पहुंच नहीं पा रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से मार्केट बंद थे। हम तो प्रोडक्शन कर रहे हैं लेकिन उसकी खपत नहीं हो रही है। उसका रास्ता कैसे निकले? उसमें यदि सरकार से मार्गदर्शन और समाधान मिलेगा तो बहुत अच्छा रहेगा।

कपड़ा उद्योग के विकास और निर्यात नीति में प्रभावकारी योजना बनाने पर क्या परिणाम आ सकते है?

विश्व में बहुत से विकासशील देश है या विकासशील देश बनने की कतार में हैं, उनके पास फैब्रिक्स मैन्युफैक्चरिंग की सुविधाएं नहीं है। विकसित देशों में मूल्य इतना अधिक होता है कि वह बाहर से आयात करना पसंद करते है। हमारे यहां टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज जो इतनी प्रगति कर रही है, उसके पास बहुत ही अच्छा मौका है। वह अपने आपको निर्यात करने के काबिल बनाए तो बहुत आगे बढ़ सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने भी सीधे निर्यात करना पिछले वर्ष से चालू किया है। कुछ देशों में उसमें हमें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। आगे हमें इससे बेहद अच्छे परिणाम मिलेंगे। निर्यात बढ़ने से हमारे देश में रोजगार-स्वरोजगार, विदेशी मुद्रा भंडार तो बढ़ेगा ही, इसके साथ ही देश का नाम भी रोशन होगा। अलग-अलग देशों में अलग-अलग क्वालिटी की मांग होती है। हर व्यापारी को इस पर ध्यान देना चाहिए कि अपना भी निर्यात शेयर मार्केट में जितना ज्यादा बड़े उतना अच्छा है। इसमें हमें मुख्य रूप से प्रतिस्पर्धा चीन से करनी पड़ती है, क्योंकि वह बड़ी मात्रा में अधिकाधिक प्रोडक्शन करता है और बहुत ही कम दरों में अपना माल बेचता है। चीन की कंपनियों को चीनी सरकार की बहुत ज्यादा सहायता मिलती है। बड़े पैमाने पर उन्हें सब्सिडी मिलती है इसलिए वह ऐसा कर पाते हैं। यह सुविधा भारत में अपने यहां नहीं मिल पाती है। अपने यहां जो सरकार की ओर से सब्सिडी मिलनी होती है, उसे प्राप्त करने में सालों-साल निकल जाते हैं। वह सुविधा इंडस्ट्री को नहीं मिल पाती है तो उनकी भी हिम्मत टूटती है इससे भविष्य में कोई बड़ा प्रोडक्शन शुरू करने में उन्हें हिचक होती है। यदि हमें वैश्विक बाजार पर छाना है तो हमें सर्वप्रथम अपने उत्पादों की दरों में कमी लानी होगी तभी हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मुकाबला कर पाएंगे। इसके लिए सरकार का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।

बहुत लोग सरकार की सब्सिडी मिलने के भरोसे एक बड़ा कैपासिटी विकसित कर लेते हैं इसी उम्मीद से कि 20 – 30% सब्सिडी मिलेगी लेकिन 10 साल तक वह सब्सिडी नहीं मिलती तो उन्होंने जो कर्ज लिया होता है, उसकी ब्याज दर उन्हें भारी पड़ने लगती है, और वह फिर से संघर्ष नहीं कर पाते हैं।

कपड़ा उद्योग के संबंध में सरकार की नीतियों पर आपकी क्या राय है?

सरकार ने हमेशा इंडस्ट्री को प्रोत्साहन दिया है चाहे वह मजदूर से संबंधित हो या नई इंडस्ट्री लगाने के लिए जगह देने की बात हो। इसी तरह की कई सारे सराहनीय कदम सरकार द्वारा समय-समय पर लिए जाते रहे है लेकिन अब धीरे-धीरे सरकार के सब इंसेंटिव खत्म होते जा रहे हैं। सरकार जो सब्सिडी हमारे लिए जाहिर करती है उसके भुगतान का समय बहुत लंबा होता है। मान लो आज हमने कोई फैक्ट्री इकाई लगा ली है जिसके आधार पर सरकार ने हमें यह आश्वासन दिया कि 20% आपको कैपिटाल मशीनरी का भुगतान करेंगे। फिर सारी प्रोसेस शुरू हो गई, प्रोडक्शन चालू होकर 3 साल गुजर गए, सब्सिडी के सारे नियमों व शर्तो को हमने पूरा कर लिया, फिर भी वह सब्सिडी जो भी कारण हो वह हमें नहीं मिलती है। जैसे हम पर बंधन रहता है कि यह काम आपको इतने समयसीमा में करना है तभी आपको इसका लाभ मिलेगा, उसी तरह सरकार के द्वारा भी सब्सिडी के भुगतान के लिए समय सीमातय करनी चाहिए और सरकार को भी आश्वासन देना चाहिए कि इतने समयसीमा में आपको सब्सिडी की राशि मिलेगी ही मिलेगी। यदि सरकार ने इस संबंध में पर्याप्त कदम उठाया तो इंडस्ट्री को सरकारी नीतियों का लाभ मिलेगा वर्ना नहीं मिलेगा। मजदूरों के लिए प्रशिक्षण केंद्र विकसित करके यदि सरकार दे तो मजदूरों को इसका सर्वाधिक लाभ मिलेगा। मान लो जैसे कि तारापुर में हमारी फैक्ट्री है वहां पर प्रशिक्षण केंद्र में कुछ और विकास सरकार के द्वारा किया जाए तो लोगों का आकर्षण बढ़ेगा, लोग बड़ी संख्या में आएंगे और कुशल सक्षम प्रशिक्षण लेकर स्वयं को अपने पैरों पर खड़ा कर काबिल बनेंगे। इससे रोजगार-स्वरोजगार में भी वृद्धि होगी। अनस्किल्ड से स्किल्ड हेतु जितना उन्हें समय लगता है वह बहुत कम समय में प्रशिक्षण प्राप्त कर अनस्किल्ड से स्किल्ड में आ जाएंगे। इस एक काम से मजदूरों को बड़ी सहायता मिल सकती है।

फेब्रिक्स इंडस्ट्री के सर्वांगीण विकास के लिए कलस्टर का निर्माण, नई टेक्नोलॉजी को अंगीकार करना और प्रशिक्षण देना बेहद जरूरी है, इस सम्बन्ध में आपकी क्या विचार है?

क्लस्टर डेवलपमेंट हमेशा ही लाभदायक है। मान लीजिए हमारे तारापुर में आज निर्माण होती टेक्सटाइल की 10 फैक्ट्री है और उसकी तुलना में क्लस्टर से यहां टेक्सटाइल की 100 फैक्ट्री निमार्ण होती है। तो इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा तो वह फायदेमंद ही है। यहां पर रोजगार के अवसर ज्यादा है। कर्मचारियों के लिए काम के अनुकूल वातावरण का होना भी आवश्यक है। यह सब टैक्सटाइल पार्क के माध्यम से हो सकता है। सरकार को इस संबंध में लगातार कुछ नया-नया करते रहना पड़ेगा। जिससे लोग जुड़े रहे, उनमें नया प्रोडक्शन कैपेसिटी डेवलप करने की हिम्मत बने। और दूसरी बात यह है कि ‘कोस्ट ऑफ़ प्रोडक्शन’ कम करना आज बहुत जरुरी है। ‘कॉस्ट ऑफ प्रोडक्ट’ कम करने का एक ही तरीका है कि तेज गति की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की मशीन लगाएं, जिससे मजदूरों का कम से कम योगदान रहे तो ‘कॉस्ट ऑफ प्रोडक्ट’ निश्चित रुप से कम होगा।

आगामी 20 वर्षों में फैब्रिक्स इंडस्ट्री का भविष्य आप किस दृष्टिकोण से देखते हैं?

फैब्रिक्स इंडस्ट्री सदाबहार है जो हमेशा चलेगी। आज हमारा प्रोडक्ट विदेशों के विकासशील देशों में जाता है तो उन देशों में भी हमारी टैक्सटाइल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान रहेगा। मजदूर, कर्मचारी, कंपनी और देश को फायदा हो, इस दृष्टि से हमें आगे बढ़ना है। हमारा फोकस यही है कि अपग्रेशन करना है, प्रगति करनी है लेकिन समस्याएं यहां आती है कि न्यू टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा एक्सपेंसिव रहती है। टेक्सटाइल में मार्जिन थोड़ा कम है, उसमें यदि सरकार से हमें मदद मिलेगा तो हम उंची छलांग लगा सकते है। सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। आप यदि अच्छा काम करेंगे, सबसे अच्छा फैब्रिक्स बनाएंगे तो हमारा आने वाला भविष्य भी उज्जवल रहेगा। बस इस काम में सरकार से भी सहयोग की दरकार है।

आज हम वर्ष 2020 में आपसे बात कर रहे हैं, वर्ष 2025 में आप अपने नीलकंठ फेब्रिक्स को किस ऊंचाई पर देखना चाहते है?

नीलकंठ फैब्रिक्स को लेकर हम यह चाहते हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन बढ़ाएं और अच्छे-अच्छे ग्राहकों से अधिक जुड़े, जिससे हमारा व्यापार भी फले फुले और हमारे प्रोडक्शन को भी गति मिले। कोरोना के कारण हम कितना पीछे हो गए है, अभी तक हम उसका अंदाजा भी नहीं लगा पा रहे हैं। एक बार जैसे ही स्थितियां सामान्य होगी उसके बाद ही हम यह अनुमान लगा पाएंगे कि अब हमें आगे कैसे बढ़ना है? किस दिशा में जाना है? क्योंकि उस समय हमारे सामने स्थितियां स्पष्ट रहेगी लेकिन अभी तक स्थितियां स्पष्ट नहीं है, आगे बाजार कैसा रहेगा? यह अभी नहीं कहा जा सकता।

खेतान परिवार व्यापार जगत में अपना योगदान दे रहा हैं, उसी तरह ‘भारत विकास परिषद’ से जुड़कर आप समाजसेवा में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, इस संबंध में कुछ बातें बताइए?

मेरे पिताजी शिवकुमार खेतान जी की शुरु से ही सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी थी। बहुत पहले ही वह ‘भारत विकास परिषद’ से जुड़कर सामाजिक क्षेत्र में अपना योगदान देने लगे। सामाजिक कार्यों में उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया। गोवंश संरक्षण व संवर्धन के लिए वह पालघर के तलासरी में गौशाला चलाते हैं। गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए प्राथमिक विद्यालय का उन्होंने निर्माण किया। इसके अलावा असोसिएशन के माध्यम से भी वह सेवा कार्य करते रहते है। कई ऐसे लोग है जिनसे हम परिचित है यदि यह पता चला कि उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है तो मेरे पिताजी ने उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की है। मेरे पिताजी दयालु सेवाभावी विचारों के धनी है।

 

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