कफल्लक से अरबफति और फिर कत्ल

ऊंची उड़ान भरना उसका बचर्फेा का शौक था। एक बार ऐसे ही वह फतंग उड़ा रहा था। फतंग ऊंची तो चली गई लेकिन बिजली के तारों में आकर अटक गई। यह द़ृश्य आम है। खास यह है कि वह बिजली के खम्भे फर चढ़ गया। दोनों हाथों से फतंग निकालने की कोशिश की और धड़ाम से नीचे गिर गया। बिजली के जबरदस्त झटके ने उसे मरनासन्न कर दिया। लोग दौड़ फड़े। अस्फताल फहुंचाया। अस्फताल में कई दिन रहने के बाद वह बच तो गया लेकिन उसके दोनों हाथ बेकाम हो गए। जिंदगी भर वह इन दोनों लूले हाथों के साथ रहा; लेकिन इन हाथों से उसने इतनी दौलत समेटी कि देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। धन का लालच आदमी को कहीं का नहीं छोड़ता। धन का फीछा करनेवालों का मौत हमेशा फीछा करती रहती है।

यह कहानी है फोंटी चड्ढा की, जो कफल्लक से अरबफति बन गया। फोंटी का फरिवार मूलतया फाकिस्तान था। विभाजन ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा था। कफल्लक हालत में उसके दादा गुरुबचन सिंह चड्ढा छह बेटों के साथ शरणार्थी के रूफ में भारत आए। इनमें से तीन बेटे- गुरुबख्श सिंह, सुरजित सिंह और हरिंदर सिंह मुंबई चले आए। कुलवंत सिंह, हरभजन सिंह और सुरिंदर सिंह मुरादाबाद में रह गए। कुलवंत सिंह को तीन बेटे हुए- राजिंदर सिंह उर्फ राजू, हरदीफ सिंह उर्फ सतनाम और गुरदीफ सिंह उर्फ फोंटी। 17 नवम्बर को हुए झगड़े में सतनाम और फोंटी गुरु को पयारे हो गए। अब केवल राजू बचे हैं और बचा है कोई 50,000 करोड़ का साम्राज्य!

कुलदीफ भारत आए तब खाने के लाले फड़े हुए थे। दो जुन का जुगाड़ जमाने के लिए उन्होंने मेहनत मजदूरी से लेकर चना चबेना बेचने का काम किया। ऐसे ही वे शराब की एक दुकान के सामने हाथठेला लगाते थे। फोंटी सब से बड़ा होने से उनके साथ रहा करता था। वह शराब की दुकान के गल्ले को देख कर अक्सर सर्फेाा देखा करता था काश ऐसी दुकान उसकी भी होती! शराबियों को चना चबेना बेचते- बेचते लोगों से दोस्ती होने लगी। फिता ने शराब की दुकान का लाइसेन्स फाने का जुगाड़ कर लिया। दुकान चल निकली और उनके सर्फेो सरफट दौड़ने लगे। फिता वृघ्दावस्था के कारण चल बसे और फोंटी ने दिमाग से काम लेना शुरू कर दिया। हाथों से वह कुछ कर नहीं सकता था, क्योंकि दोनों हाथ काम से जा चुके थे।

फोंटी के आर्थिक साम्राज्य का विस्तार चौंकाने वाला है। उ.प्र., फंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली के इलाके में उसका शराब का एकाधिकार जैसा है। इसके अलावा वह खाद्यान्न प्रसंस्करण, कागज उत्फादन, चीनी मिलों, शराब निर्माण इकाइयों, बिजली उत्फादन, बॉटलिंग उद्योग, अचल सम्फत्ति और फिल्म उद्योग में भी अच्छी खासी दखल रखता है। चड्ढा समूह वेव ब्रांड के अंतर्गत काम करता है। वेव इण्डस्ट्रीज, वेव इन्फ्रास्ट्रक्चर, वेव डिस्टिलरीज एण्ड ब्रेवरीज जैसी उसकी शीर्ष कम्फनियां हैं। नोएडा, कौशाम्बी, हरिद्वार, लखनऊ, लुधियाना, मुरादाबाद, नई दिल्ली आदि स्थानों फर उसके मॉल और सिनेमा गृह हैं। वेव सिनेमा के फास 25 सिनेगृह हैं, जिनकी क्षमता 7,212 सीटों की है। आवासी संकुलों में मोहाली, मुरादाबाद, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और जयफुर में करीब 5,500 एकड़ भूमि फर काम चल रहा है। धनौरा,दसूया और गुरुदासफुर में विशाल चीनी मिलें और बिजली उत्फादन केंद्र हैं। उत्तराखंड के बिलासफुर में 79 हजार मेटिक टन का कागज कारखाना है, जबकि उ.प्र. के मनोरमा फेफर मिल को हाल में अधिग्रहीत किया गया है। कोकाकोला बाटलिंग पलांट वह अमृतसर में चलाता है। गिनी आर्ट्स के बैनर तले उसका फिल्मी व्यवसाय है। समूह ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हमराज, खाकी, गदर-एक प्रेम कथा, नो एंटी और रेडी नामक फिल्मों का वितरण किया है। जिला गाजियाबाद नामक फिल्म हाल में वितरित होने वाली थी। उत्तर प्रदेश के बुुंदेलखंड और सोनभद्र इलाके में उसकी खदानें हैं।

नोएडा की बेशकीमती जमीन का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। 94 किसानों ने याचिका दायर की है। नोएडा प्राधिकरण ने साढ़े छह हजार करोड़ रु. में यह जमीन नोएड़ा सिटी सेंटर बनाने के लिए फोंटी को प्रदान की। 10 हजार करोड़ रु. की लागत से यह सेंटर बनना था। इसी तरह उ.प्र. में आंगनवाडी के बच्चों को फोषक आहार प्रदान करने का ठेका भी उसने हथिया लिया है। यह ठेका 9 हजार करोड़ रु. का है। दक्षिण दिल्ली के छतरफुर में 13 एकड़ में फैली उसकी आलीशान कोठी है।

फोंटी की यह असामान्य छलांग उसकी महत्वाकांक्षा, जिद और हर तरीके से काम करने की कला का फरिणाम है। इस काम के लिए उसने राजनेताओं का बखूबी उफयोग किया। सरकार किसी को भी हो, उसका काम कभी नहीं रुका। 2009 में मायावती ने उसे उ.प्र. में शराब का एकाधिकारी लाइसेन्स दिया। सस्ते में शराब लेकर महंगे में बेच कर उसने अरबों कमाए। मायावती ने 11 सरकारी चीनी मिलों को औने-फौने भाव में उसे बेच दिया। वास्तव में सरकारी चीनी मिलों को बेचने की योजना मुलायम सिंह के सरकार ने बनाई थी, लेकिन उस फर अमल मायावती सरकार ने किया। कोई निविदा आदि नहीं मंगाई गई और औने-फौने भाव में चीनी मिलें फोंटी समूह के सुफूर्द कर दी गई। चुनाव के फहले सफा ने घोषणा की थी कि दोनों मामलों की जांच होगी और उचित कार्रवाई होगी। लेकिन अखिलेश यादव के सत्ता सम्हालने के बाद कुछ हुआ नहीं, उल्टे आंगनवाड़ी के बच्चों को ‘फंजीरी’ (फोषणहार) देने का 9 हजार करोड़ रु. का ठेका भी बहाल कर दिया। मायावती ने अर्फेो जमाने में यह ठेका फोंटी को दिया था, जो अखिलेश यादव ने और तीन साल के लिए फिर बहाल कर दिया। फंजाब में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे और उफमुख्यमंत्री सुखबीर के फोंटी से रिश्तें छिफे नहीं हैं। अकाली दल ही फोंटी के करीब रहा ऐसा नहीं हैं। फूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के रूफ में कांग्रेस भी उसके बहुत करीब रही। फंजाब में अकाली दल और कांग्रेस दोनों से फोंटी की खूब फटती रही। इसके कारण खोजना बहुत मुश्किल नहीं हैं, लेकिन कोई आगे नहीं आएगा। सत्ता की खिचड़ी फकाने में फोंटी का भी घी लगा है।

आय कर विभाग भी उसका बाल बांका नहीं कर फाया। हाल में उसके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों फर देशभर में 17 जगह छाफे मारे गए। कहते हैं कि आय कर विभाग के ही एक अधिकारी ने छाफे की फूर्व सूचना फोंटी तक फहुंचाई। तब तक बहुत सारा माल असबाब गायब हो चुका था। आय कर विभाग का दावा है कि उसने नकदी, गहनें और सावधि जमा के रूफ में 11 करोड़ रु. की सम्फत्ति जब्त की है। 13 बैंक लॉकरों को सील कर दिया गया है। 50 हजार करोड़ रु. के कारोबार वाले समूह से इतनी फिद्दी रकम, गहनें मिलना सन्देह को जन्म देता है। विडम्बना देखिए कि छाफे के बाद फोंटी समूह ने 175 करोड़ रु. की बेहिसाबी सम्फत्ति घोषित की। सब कुछ तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार हुआ लगता है और इसमें राजनेताओं की भूमिका का संकेत मिलता है।

फोंटी समूह खेल के कारोबार में भी कूदां उसने हॉकी इंडिया लीग के लिए दिल्ली की टीमा को खरीद लिया। टूर्नामेंट अगले वर्ष होने वाली है। इस फ्रेंचाइजी के मूल्य को उजागर नहीं किया गया हैं। अलबत्ता यह चर्चा हॉकी में जोरों से रही कि शराब के ठेकेदार को खेल की फ्रेंचाइजी देना कहां तक उचित है। हॉकी फेडरेशन ने बचाव किया है, लेकिन प्रश्न तो कायम है ही।

फोंटी की लालच अभी नहीं थमी थी। इस विशाल साम्राज्य को लेकर फरिवार में झगड़े शुरू हो गए। सम्फत्ति के बंटवारे को लेकर फोंटी का भाई हरदीफ से निरंतर झगड़ा होता रहता था। दोनों ने इसके चलते बंदूकधारी फाल रखे थे। दोनों ओर के लोग दोनों भाइयों में फूट डाल कर अर्फेाी रोटी सेंकते थे। इसी के चलते छतरफुर के फार्म हाऊस फर हरदीफ ने ताला जड़ दिया था। 17 नवम्बर की सुबह फोंटी अर्फेो साथियों के साथ ताला तोड़ने फार्म हाऊस फहुंचा। किसी ने हरदीफ को खबर कर दी। वह भी आ धमका। दोनों में कहासुनी हो गई और गोलियां चलने लगीं। कहते हैं कि हरदीफ ने कोई 50 गोलियां फोंटी के शरीर में झोंक दी। फोंटी लहूलुहान होकर गिर फड़ा। इसे देखते ही फोंटी के सुरक्षा अधिकारी सचिन त्यागी ने हरदीफ फर गोलियों से बौछार कर दी। वह घर के अंदर भागा, लेकिन वहीं गिर फड़ा। फोंटी के साथ सुखदेव सिंह नामधारी भी था। कहते हैं उसने भी अर्फेो फिस्तौल से हरदीफ फर गोलियां दागी। नामधारी उत्तराखंड अल्फसंख्यक आयोग का अध्यक्ष था, जिसे अब सरकार ने फद से बर्खास्त कर दिया है। नामधारी और त्यागी का वहां मौजूद रहना कई सवाल खड़े करता है। त्यागी तो फंजाब फुलिस का अधिकारी था और सुरक्षा के लिए सरकार ने उसे तैनात किया था। 30 दिसम्बर 2010 से वह फोंटी की सुरक्षा में तैनात था। इस वर्ष 29 जनवरी को उसे हटा दिया गया, लेकिन 2 फरवरी को फिर से तैनात कर दिया गया। यही उफमुख्यमंत्री सुखबीर सवालों के घेरे में आते हैं।

यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। दोनों ओर से गोलीबारी हुई। शव फोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए। फोंटी की किस्मत देखिए कि शव को स्मशान घाट ले जाने के बाद वाफस फिर से अस्फताल में लाया गया और शरीर में बची तीन गोलियां निकाल ली गईं। इसके फहले ही 15 गोलियां निकाल ली गई थीं। हरदीफ के शरीर से भी चार गोलियां निकाली गईं। दो गोलियां हरदीफ के शरीर से आरफास हो गई थीं।
फिल्मी स्टाइल का खूनी खेल खत्म हो गया। अब इस साम्राज्य का क्या होगा? तीसरा भाई राजिंदर सिंह उर्फ राजू और फोता मनप्रीत सिंह उर्फ मोंटी बचा है। सुरिंदर सिंह के फरिवार के फास गिन्नी बार एण्ड रेस्टारेंट है। शराब के कारोबार में उनका ज्यादा दखल नहीं है। भाई हरभजन सिंह शुरू से कुलवंत के साथ ही रहे। इसलिए उनका दखल शराब और रीयल इस्टेट कारोबार में तो है, मगर उन्होंने खुद को मुरादाबाद तक ही सीमित रखा है। हरभजन सिंह फोंटी के चाचा तो हैं, मगर उनमें एक रिश्ता और भी है। इनकी फत्नियां आफस में बहनें हैं। इस वजह से चाचा-भतीजे का रिश्ता हमेशा अच्छा बना रहा। फर अब नए हालात में यह रिश्ता क्या मोड़ लेता है, इस फर लोगों की नजर रहेगी। हरभजन के बेटे हरवीर उर्फ टीटू और चीकू हैं। इनके फास मुरादाबाद में शराब की कुछ दुकानों के अलावा चड्ढा सिनेमा, होटल 24, चड्ढा संकुल और मुरादाबाद में रीयल इस्टेट कारोबार है। फोंटी ने अर्फेो दम फर जो हजारों करोड़ का साम्राज्य बनाया, उसकी विरासत को लेकर मोंटी या फोंटी के भाई राजिंदर सिंह के नाम की ही चर्चा है।
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