राष्ट्रोत्थान परिषद

सन 1942 में जब प्रसिद्ध क्रान्तिकारी विनायक दामोदर सावरकर बंगलूरू आये तो वे एक सिल्क फैक्टरी के पास एक बंगले में जो कि नारायण राव जी. नायक का था, ठहरे थे। इस घटना के बाद ही नारायण राव के मन में तीव्र इच्छा उठी कि वह स्थान सामाजिक कार्यों का केन्द्र बने। उनकी इस तीव्र इच्छा ने तब मूर्त रूप लिया जब राष्ट्रोत्थान परिषद ने स्वयं की जमीन खरीदी। सन 1983 में ‘केशव शिल्प’ की इमारत तैयार हो गयी और सन 2004 में ‘सेवा सुधा’ की। तब से लेकर आज तक यह स्थान समाज सेवा का केन्द्र बिन्दु बन गया है जिसकी कल्पना नारायण नायक ने की थी।

सन 1965 में राष्ट्रोत्थान परिषद की शुरुआत बंगलूरू के साउथ एण्ड रोड के एक किराये की इमारत से हुई थी। अब यह राज्य की अग्रगण्य समाज सेवी संस्थाओं में से एक है।

परिषद ने इसकी शुरुआत से ही पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने के बजाय स्वदेशी संस्कृति को ही कायम रखा है। परिषद ने इस बात का सदैव खयाल रखा कि समाज सेवा करते समय राष्ट्रीय विचारों को सदैव सामने रखा जाये, हालांकि निचले स्तर पर कार्य करते समय कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

परिषद की जनकल्याणकारी सेवाओं द्वारा समाज को समृद्ध करने और परम्पराओं को आगे बढ़ाने की आज तक की यात्रा ने कई मानव हृदयों को छुआ है।

अपनी 40 वर्षों की यात्रा में परिषद ने समाज के प्रत्येक स्तर को छुआ है चाहे वह प्रभावशाली हो या अल्पसुविधा प्राप्त। इस सामाजिक यज्ञ में कई बुद्धिजीवी, समाज सेवक, लेखक,वक्ता, तकनीकी विशेषज्ञ इत्यादि लोग शामिल हैं। आदर्शों को मन में और व्यावहारिक वास्तविकताओं को दिमाग में रखकर परिषद ने समाज को एकता के सूत्र में बांधने का दृढ़ संकल्प किया है।

उद्देश्य

राष्ट्रीय विचारों पर चलकर राष्ट्र का निर्माण करना।
समाज के वंचित भाइयों की सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक स्तर को बढ़ाना।
अन्तर सांप्रदायिक लोगों से मधुर सम्बन्ध बनाना।
भारतीय तत्वों के आधार पर ग्रामीण भागों का विकास।
प्रकल्प
जागरण प्रकल्प: झोपड़पट्टियों और गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिये यह योजना चलायी जाती है जो सामान्य शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते या किसी कारणवश किसी कक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाये हैं।

राष्ट्रोत्थान शिक्षण संस्था: मुख्यत: ग्रामीण भागों में संस्था के द्वारा 25 से अधिक शिक्षण संस्थाएं चलायी जाती हैं।

राष्ट्रोत्थान योगिक विज्ञान एवं अनुसंधान केन्द्र : इसके माध्यम से परिषद लोगों की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नर्िंत करने का प्रयास करती है।

राष्ट्रोत्थान बलगा : यह एक ऐसा समूह है जो विचारों के आदान-प्रदान के लिए व्याख्यानमाला आयोजित करता है। इसके द्वारा कई सेवा प्रकल्प भी चलाये जाते हैं।

मन्थन : इसके माध्यम से विभिन्न विषयों पर अधिवेशन आयोजित किया जाता है।

राष्ट्रोत्थान अध्ययन एवं समाशोधन वेदी : यह सामाजिक विषयों पर चलाया जाने वाला एक अनुसंधान केन्द्र है जिसके ग्रंथालय में विभिन्न दुर्लभ पुस्तकें हैं।

गोशाला : परिषद देशी गायों के बचाव और विकास में प्रयत्नशील है क्याोंकि देशी गायें आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

राष्ट्रोत्थान साहित्य : यह एक प्रकाशन संस्था है जो इतिहास, मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य पर पुस्तकें, और महापुरुषों की जीवनियां प्रकाशित करती है।

गीता भारती : इसके द्वारा कई सीडी और केसेट्स रिलीज किये जाते हैं जो कि राज्य में काफी लोकप्रिय हैं।

उत्थान : राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत मासिक जिसमें वैचारिक और मनोरंजक लेख होते हैं।

राष्ट्रोत्थान मुद्राणनालय : राज्य की अग्रणी और अत्याधुनिक तकनीकोेंं से युक्त प्रेस जिसकी स्थापना सन 1967 में की गयी थी।

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