कर्मयोगी बच्छराज दुगड़

संघ में हम सब एक गीत गाते हैं‡
चिरेवैती चिरेवैती…
आगे बढ़ो, आगे बढ़ते जाओ
साथ में कोई हो या ना हो
आगे बढ़ोगे तो लोग जुड़ते जाएंगे एवं
समूह बनकर कारवां बन जाएगा।

इसी सिद्धान्त पर बच्छराज दुगड़ चल रहे हैं। राजस्थान के नागौर जिले के लाडनूं में 8 सितम्बर 1944 में जन्मे बच्छराज दुगड़ के पिताजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। बचपन से ही पिताजी द्वारा संघ के संस्कार मिले व बच्छराज दुगड़ बाल स्वयंसेवक बन गये। लाडनूं मेंअनेक सामाजिक कार्य किये। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किये, वहां गरीब विद्याथिर्र्यों के लिए ‘आदर्श विद्या मन्दिर’ की स्थापना की, जिसमें भारतीय संस्कृति एवं संस्कार के साथ शिक्षा प्रदान की जाती है। इस समय आदर्श विद्या मन्दिर लाडनूं में सात सौ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनका खर्च बच्छराज दुगड़जी वहन करते हैं।

जनवरी 1961 में बच्छराज दुगड़ का मुंबई आगमन हुआ एवं भाई के साथ मिलकर स्वत: का व्यवसाय आरम्भ किया जो आज बुलन्दियों को छू रहा है। वे व्यवसाय से प्राप्त लाभ का कुछ अंश संघ कार्य में व्यय करते हैं। ‘स्वामी समर्थ नगर’ अंधेरी (प.) में राजस्थानी समाज बिखरा हुआ था। लोग एक- दूसरे को पहचानते तक नहीं थे, बच्छराज दुगड़ ने घर‡घर जाकर राजस्थानी लोगों से सम्पर्क किया एवं राजस्थानी मण्डल की स्थापना कर राजस्थानी परिवारों को एक सूत्र में पिरो दिया। स्वयं अध्यक्ष का पद सम्भालते हुए अनेक कार्यक्रम किये।

बच्छराज दुगड़ ने अथक परिश्रम कर स्वामी समर्थ नगर में ‘महाराणा प्रताप‡चौक’ एवं ‘बाला साहब देवरस मार्ग’ के नामकरण में विशेष योगदान दिया। वे शास्त्री नगर रहिवासी असोसिएशन के उपाध्यक्ष एवं स्काय वे सोसाइटी के सम्मानित चेयरमैन हैं। वे हमेशा गरीब विद्यार्थियों के सहायतार्थ तत्पर रहते हैं। गरीबों की चिकित्सा में विशेष योगदान देना अपना परम धर्म समझते हैं।

बच्छराज दुगड़ ने आचार्य तुलसी जी की परिकल्पना से लाडनूं जैन विश्व भारती की स्थापना की जो संस्कारयुक्त व्यक्तित्व निर्माण का सशक्त माध्यम है। राष्ट्र के प्रति चिन्तनशील सुसंस्कारित नयी पीढ़ी का सफल निर्माण व सामाजिक समरसता बनाना ही विश्व भारती का मुख्य उद्देश्य है। मुंबई में लाडनूं नागरिक परिषद के माध्यम से अनेक कार्य किये एवं सम्मानित किये गए। ‘आचार्य महाप्रज्ञ विद्यानिधि मानव सेवा समिति से जुड़कर विविध सेवा कार्य किया एवं कर रहे हैं।

बच्छराज दुगड़ जी प्रकृति एवं पर्यावरण प्रेमी हैं। वर्तमान समय में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, महंगाई, आतंकवाद एवं युवा पीढ़ी के नैतिक पतन से उनका मन बहुत व्यथित रहता है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से इस व्याधि से देश को मुक्त कराने के लिए प्रयासरत हैं।

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