बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शंकरलाल केजरीवाल

शंकरलाल केजरीवाल मुंबई के उद्योग, समाज सेवा और आध्यात्मिकता से जुड़ा सुपरिचित नाम है । उद्यमी केजरीवाल जी उद्योग के अनेक आयामों से ज़ुडे हैं, पर अपना कार्य समाज के वंचितों को सहारा देने में कितना योगदान देने वाला होता है, इस विचार ने उन्हें समाज की सेवा करने से प्रवृत्त किया । आज से 15 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने जैसे ही उद्योग‡व्यवसाय से जुड़े अपने मित्रों को साथ लेकर ‘परोपकार’ संस्था की स्थापना की।

भगवान का दिया उनके पास बहुत कुछ है, पर उसका उपयोग समाज के वंचितों को देने के विचार से उन्होंने परोपरकार की नींव रखी । शिक्षा, चिकित्सा, राष्ट्रीय आपदा और आध्यात्मिक विषयों पर समाज को सहयोग देना यह ‘परोपकार’ का मुख्य उद्देश्य रहा है ।

गत 15 वर्षों में 13 वर्ष श्री केजरीवाल जी परोपकार संस्था के अध्यक्ष रहे हैं । अपने कार्यकाल में उन्होंने सदस्यों की संख्या 2000 तक पहुंचायी। कॉरपस फण्ड में भी अच्छी खासी वृद्धि हुई है । समर्पित भाव से कार्य करने वाले, समाज सेवा की भावना रखने वाले अनेक उद्यमियों को संस्था से जुड़े उनके योगदान से संस्था को एक क्रान्तिकारी रूप उन्होंने प्रदान किया है ।

संस्था के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, राष्ट्रीय, प्राकृतिक आपदा के समय सहायता, गरीबों की कन्याओं का विवाह, इन सेवा कार्यों के साथ संस्था के माध्यम से मनोरंजन, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक समारोह का आयोजन सफलता पूर्वक किया है ।

वैसे देखा जाये तो राजस्थान में नाट्य या रंगमंच की परम्परा इतनी प्रभावशाली नहीं है, फिर भी उन्होंने विविध राजस्थानी समाज संस्था को साथ में लेकर नाट्य समारोह संपन्न किये, जिसमें परेश रावल का कृष्ण कन्हैया, स्मृति इरानी का मुक्तिधाम, मनोज जोशी का चाणक्य, चिन्ता छोड़ो चिन्तामणि, राधेश्याम जैसे अभिरुचि वाले नाटक राजस्थानी लोगों को उपलब्ध कराये, जिनमें राष्ट्रीय, आध्यात्मिक विचारों के साथ चिन्तन एवं मनोरंजन भी था । गत 15 वर्षों से परोपकार का कवि सम्मेलन याने मुंबई के काव्य जगत या साहित्य जगत से जुड़े लोगों के लिए एक मेजबानी ही होती है । हर साल मुंबई के लोग परोपकार के कवि संमेलन की राह देखते हैं ।
शंकरलाल केजरीवाल मूलत: राजस्थानी हैं, पर उनकी जन्मभूमि बिहार है और कर्मभूमि मुंबई रही है। उनका कहना है कि मेरे पूर्वज राजस्थान से थे पर जिस बिहार की भूमि में मैं जन्मा हूं, जहां मेरी बचपन की संस्कार रूपी शिक्षा मिली है, ऐसे बिहार के सन्दर्भ में मेरे मन में अटूट श्रद्धा है । साथ में मुंबई शहर ने मेरे अन्दर के उद्यमी स्वभाव को मूर्त रूप दिया है । इसने मुझे नाम दिया है, पहचान दी है । बिहार, मुंबई की मैं जितनी सेवा करूं, वह कम ही होगी । आज परोपकार में उन मान्यवरों की कार्य समिति है, जिसमें क्षेत्रीय समिति और महिला समिति जैसे विभाग हैं जिनके माध्यम से कार्य संचालित किये जा रहे हैं । मुख्य समिति से 10 पदाधिकारी हैं। परोपकार के साथ शंकरलाल जी विविध औद्योगिक संस्था से ज़ुड़े हैं, वह कपड़ों के व्यवसाय से 1968 से जु़ड़े हैं । एक सफलतम कप़ड़ा कारोबारी के रूप में उनकी भारत वर्ष में पहचान है । हिंदुस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स नामक संस्था से 27 सालों से जुड़े हैं । मन्त्री, उपाध्यक्ष, चेयरमैन जैसे पदों की वे जिम्मेदारी निभा चुके हैं । इस संस्था के माध्यम से 1993 और 1997 में एशिया टेक्समीट जैसे विश्व स्तरीय प्रदर्शनी का आयोजन उन्होंने किया, साथ में ऑल इण्डिया बिजनेस काउंसिल के संस्थापक सदस्य और एग्जिक्युटिवप्रेसिडेंट पद की जिम्मेदारी सफलता पूर्वक निभा चुके हैं। इन दोनों संस्था के माध्यम से उन्होंने व्यापारी संस्था के हित में अनेक आन्दोलन सफल किये हैं। जिनमें पावरलूम, एलबीटी जैसे मुद्दों पर उन्होंने आवाज उठायी है । परोपकार ने आध्यात्मिक क्षेत्र में अपने कार्य से कीर्तिमान स्थापित किया है । 2004 में सवा लाख हनुमान चालीसा अनुष्ठान, 2008 में हनुमान चालीसा, अनुष्ठान समारोह में मंच पर 4 राष्ट्रीय सन्त उपस्थित थे, जिनमें गुरु श्री शरनानी महाराज, संत मुरारी बापू, संत रमेश भाई ओझा, राम ब्रह्मचारी जैसे महान सन्तों की उपस्थिति में संपन्न यह समारोह अपने आप में एक कीर्तिमान ही था।

नयी‡नयी कल्पना को जन्म देकर उसे साकार करना शंकरलाल जी की खाशियत रही है । कू्रज पर आध्यात्मिक पाठ की कल्पना उन्होंने ने ही पहली बार साकार की । 2004 में सिंगापुर क्रूज में पूरे विश्व से 625 लोग आये थे । 2010 में हनुमान लीलामृत श्रीलंका में संपन्न हुआ, जिसमें 500 लोग विश्व से आये थे । 2014 में युरोप क्रूज पर राम कथा का आयोजन, 2012 में थाइलैण्ड में शिव पुराण का पाठ किया गया। इन सभी समारोह में दुनिया भर से सुप्रसिद्ध उद्योगपति उपस्थित थे । यह इस कार्यक्रम की विशेषता थी कि दुनिया भर के उद्यम क्षेत्र के विशेष मान्यवर आध्यात्मिक पाठ का आनन्द और संस्कार ले रहे थे।

आध्यात्मिक कार्य के अलावा जब‡जब भारत में कोई भी आपदा आयी केजरीवाल जी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है । सुनामी के समय 11 लाख की राशि, बिहार में 21 वन बेड रूम हॉल के मकान बनाकर समाज को अर्पित किये हैं । गुजरात में कन्या छात्रावास अर्पित किया है। लालकृष्ण अडवाणी के उप प्रधानमन्त्री रहते समय प्रधानमन्त्री सहायता निधि में साढ़े सात लाख की मदद राशि दी है, साथ ही कारगिल, गुजरात में भूकंप, बिहार में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के समय भी योगदान दिया है । अब महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में संस्था चल रही है, इसमें 11 लाख रुपए का चेक मुख्यमन्त्री कोष में दी है । संघ की केशव सृष्टि गौशाला सेवा में सहायता राशि अर्पित की है।

परोपकार के माध्यम से आध्यात्म, सेवा, संस्कृति, मनोरंजन जैसे अनेक माध्यमों से समाज को अपनी सेवा देने वाले शंकर लाल केजरीवाल का समय‡समय पर विविध संस्थाओं ने सम्मान किया है। जैसे बिहार राज्य को 100 साल पूर्ण होने के अवसर पर बिहार के मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार जी ने उन्हें बिहार गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया।
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