युगीन परम्पराओं का वाहक

उत्तर प्रदेश के उत्तर में उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा पूर्व में बिहार राज्य है। उत्तर प्रदेश को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है : 1. दक्षिण का पठारी भाग तथा 2. गंगा का मैदान। इस प्रदेश की जलवायु समशीतोष्ण है। गर्मियों में गर्मी तथा सर्दियों में अत्यधिक सर्दी पड़ती है। लगभग 20 करोड़ की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश केवल भारत का अधिकतम जनसंख्या वाला प्रदेश ही नहीं बल्कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाली उप राष्ट्रीय इकाई भी है। केवल चार अन्य देशों- चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश से अधिक है। सन 2000 में उसका विभाजन कर उत्तर पश्चिमी पहाङी इलाकों का उत्तराखंड नाम से अलग राज्य गठित किया गया।

इतिहास : वर्तमान उत्तर प्रदेश पुरातन काल में मध्य देश के नाम से प्रसिद्ध था। इस प्रदेश में बहने वाली चार प्रमुख नदियों‡ गंगा, यमुना, सरयू (घाघरा) और गोमती के किनारे स्थित अनेक तीर्थ स्थल यहां आर्यों की बस्तियां होने का संकेत देते हैं। सूर्य और चन्द्र वंश (रामायण और महाभारत कालीन) के उद्भव का गवाह रहा यह प्रदेश ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में मगध के मौर्य साम्राज्य के अधीन रहा। मगध साम्राज्य के पतन के बाद इस प्रदेश का अधिकांश भू‡भाग भिन्न‡भिन्न राज्यों के अन्तर्गत बंटा था। ईसा की चौथी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के उदय होने पर पुन: इस प्रदेश का भू‡भाग एक राज्य (गुप्त वंश) के अधीन हुआ। आठवीं शती में कन्नौज के यशोवर्मन ने इस प्रदेश पर अपना आधिपत्य कायम किया। यशोवर्मन ने लगभग सम्पूर्ण भारत को जीत कर अपने राज्य का विस्तार किया था। दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद धीरे‡धीरे इस प्रदेश के भू‡भाग पर क्रमश: गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश और फिर मुगलों ने राज्य किया।

अंग्रेजों के आने के बाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों पर ईस्ट इंडिया कम्पनी काबिज हो गई। राजाओं, नवाबों, सिंधिया और गोरखों से छीने गए प्रदेशों को पहले बंगाल रेजिडेन्सी के अंतर्गत रखा गया, लेकिन 1833 में इन्हें अलग कर पश्चितोमोत्तर प्रांत बना दिया गया। 1856 में कम्पनी ने अवध पर कब्जा कर लिया और आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के समरूप) के नाम से इसे 1877 में पश्चिमोत्तर प्रात में मिला दिया।

1857 में राष्ट्र की आजादी के लिए लड़ा गया जो प्रथम स्वतंत्रता संग्रम था, उसमें वर्तमान उत्तर प्रदेश के लोगों ने शानदार भूमिका अदा की। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अवध की बेगम हजरत महल, बख्त खां, नाना साहब, मौलवी अहमदउल्ला शाह, राजा बेनी माधव सिंह, अजीमुल्ला खां तथा अन्य अनेक राष्ट्रभक्तों ने उक्त ऐतिहासिक संघर्ष में जिस कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया, उससे वे अमर हो गये और साथ ही इस प्रदेश की गरिमा भी बढ़ायी।

सन 1902 में प्रदेश का नाम नार्थ वेस्ट प्रोविन्स से बदल कर यूनाइटेड़ प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। बोलचाल की भाषा में इसे ही यू पी कहा जाने लगा। 1920 में प्रदेश की राजधानी इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दी गई। 1947 में संयुक्त प्रांत नव स्वतंत्र गणराज्य की एक प्रशासनिक इकाई बना रहा। दो साल बाद इसमें टिहरी गढ़वाल और रामपुर को शामिल किया गया। 12 जनवरी 1950 को इसका नाम बदल कर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।

कृषि : उत्तर प्रदेश की लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या का मुख्य व्यवसाय कृषि है। राज्य में कुल 167.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि होती है। 2003‡04 में राज्य में 255.67 लाख मेट्रिक टन गेहूं, 130.22 लाख मेट्रिक टन चावल, 23.80 लाख मेट्रिक टन दाल, 6.44 लाख मेट्रिक टन तिलहन और 1127.54 लाख मेट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हुआ। 2003‡04 में कुल 442.58 लाख मेट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ। पशुधन और डेयरी किसानों के आय के अतिरिक्त साधन हैं।

फसलें : गेहूं, धान, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, उड़द, मूंग, अरहर, चना राज्य की प्रमुख फसलें हैं, जबकि नकदी फसलों में आलू, गन्ना, मूंग, सूरजमुखी, सरसो आदि हैं। उत्तर प्रदेश की जलवायु वर्ष की तीनों (रबी, खरीफ और जायद) फसलों के लिए उपयुक्त है।
सिंचाई के साधन : प्रदेश के दक्षिण पठारी भाग को छोड़कर सर्वत्र सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। दक्षिणी क्षेत्र की अधिकांश भूमि वर्षा सिंचित है। प्रदेश में ट्यूबवेल तथा नहरें सिंचाई के प्रमुख साधन हैं। उत्तर प्रदेश में नहरों का जाल बिछा हुआ है। 2004‡05 के दौरान इस राज्य की सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 319.17 लाख हेक्टेयर के स्तर तक पहुंचाने के लिए 98,715 करोड़ रुपये व्यय किये गए।
विद्युत उत्पादन : 14 जनवरी, 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को पुनर्गठित करके उत्तर प्रदेश विद्युत निगम, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन और उत्तर प्रदेश पनबिजली निगम की स्थापना की गयी। उत्तर प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड की स्थापना के समय इसके पनबिजली घरों और ताप बिजली घरों की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता 2,635 मेगावॉट थी, जो अब बढ़कर 4,621 मेगावॉट हो गयी है।

उद्योग : 2004‡05 में राज्य में लगभग 45.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। राज्य में 68 कपड़ा मिलें और 32 ऑटोमोबाइल कारखाने हैं। राज्य के प्रमुख उद्योगों में सीमेंट, वनस्पति तेल, सूती कपड़ा, सूती धागा, चूड़ी और अन्य कांच के सामान, चीनी, जूट तथा पीतल के बर्तन आदि मुख्य हैं। इसके अलावा सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कानपुर में एक सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क स्थापित किया गया है।

राज्य में वस्त्र उद्योग व चीनी प्रसंस्करण उद्योग में राज्य के कुल मिलकर्मियों का लगभग एक तिहाई हिस्सा लगा हुआ है। राज्य की अधिकांश मिलें पुरानी व आर्थिक दृष्टि से अक्षम बन गई हैं। अन्य संसाधन आधारित उद्योगों में वनस्पति तेल, जूट व सीमेंट उद्योग हैं। केंद्र सरकार ने यहां भारी उपकरण, मशीनों, इस्पात, वायुयान, टेलिफोन, इलेक्ट्रानिक उपकरण और उर्वरक उत्पादन कारखानें स्थापित किए हैं। मथुरा में तेल रिफाइनरी व दक्षिण-पूर्वी मिर्जापुर जिले में कोयला विकास केंद्र स्थापित किया गया है।

प्रमुख खनिज : सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत चूना पत्थर, मैग्नेसाइट, कोयला, रॉक फास्फेट, डोलोमाइट और सिलिकन रेत का खनन किया जाता है। खनिज आधारित महत्वपूर्ण उद्योगों में सोनभद्र का बड़ा सीमेंट संयन्त्र शामिल है।

प्रमुख हस्त-शिल्प : चिकन का काम, जरी का काम, लकड़ी के खिलौने और फर्नीचर, मिट्टी के खिलौने तथा पीतल का काम। हस्तशिल्प, कालीन, पीतल की वस्तुएं, जूतें-चप्पल, चमड़े व खेल का सामान राज्य के निर्यात में प्रमुख योगदान कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश नाम मिला-                    12 जनवरी 1950 को विधान परिषद सीटें-          99+ 1 एंग्लो-इंडियन = कुल 100)
क्षेत्रफल               –                          2,38,566 वर्ग कि.मी. वर्तमान मुख्यमंत्री-           अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी)
क्षेत्र-                                 अवध, बघेलखंड, ब्रज, बुंदेलखंड, पूर्वांचल,                                                          रोहिलखंड,   गांगेय क्षेत्र जनसंख्या-                              19,95,81,477
संभागों की संख्या-                                          18 पुरुष-                                        10,45,96,415
जिलों की संख्या-                                            75 महिला-                                 94,985,062
तहसीलों की संख्या-                                      312 जनसंख्या वृद्धि दर ‡ 20.09 प्रतिशत
लोकसभा की सीटें-                                         80 जनसंख्या घनत्व‡ 828 व्यक्ति प्रति कि.मी.
राज्यसभा की सीटें-                                         31 लिंगानुपात ‡ 908 (महिलाएं प्रति हजार पुरुष)
विधान सभा सीटें-                       403+1 एंग्लो-इंडियन = कुल 404 साक्षरता‡ 69.72 प्रतिशत (पु. 79.24%, म.59.26% )

प्रति व्यक्ति आय‡ रुपये 30,051

 

शिक्षा के के न्द्र : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़; इलाहाबाद विश्वविद्यालय,इलाहाबाद; बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ; काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी; बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी; छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर; सेण्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हायर तिब्बतन स्टडीज, वाराणसी; चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ; चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर; दयालबाग एज्युकेशन इंस्टीट्यूट, आगरा; दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर; डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा; डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद; इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर; लखनऊ विश्वविद्यालय; एमजेपी रोहिखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली; नरेंद्रदेव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, फैजाबाद; महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी; वीर बहादुर सिहं पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर; रुड़की विश्वविद्यालय; संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी; संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ।

परिवहन : सड़क मार्ग : उत्तर प्रदेश में सड़कों तथा रेल मार्गों का जाल बिछा हुआ है। सड़कों की कुल लम्बाई 1,18,946 किलोमीटर है। इसमें 3,869 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग, 9,097 किलोमीटर लम्बे प्रान्तीय राजमार्ग, 1,05,980 किलोमीटर अन्य जिला सड़कें तथा 72,931 किलोमीटर ग्रमीण सड़कें हैं।

रेल मार्ग : रेलवे के उत्तरी नेटवर्क का मुख्य जंक्शन लखनऊ है। अन्य महत्वपूर्ण रेल जंक्शन हैं‡ आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, मुगलसराय, झांसी, मुरादाबाद, वाराणसी, टुंडला, गोरखपुर, गोण्डा, फैजाबाद, बरेली और सीतापुर।

हवाई मार्ग : प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, आगरा, झांसी, बरेली, हिंटन (गाजियाबाद), गोरखपुर, सरसावा (सहारनपुर) और फुर्सतगंज (रायबरेली) में हवाई अड्डे हैं।

हिंदी भाषा की जन्मस्थली

उत्तर प्रदेश देश की राजभाषा हिंदी की जन्मस्थली है। शताब्दियों के दौरान हिंदी के कई स्थानीय रूप विकसित हुए हैं। साहित्यिक हिंदी ने 19वीं शताब्दी तक खड़ी बोली का वर्तमान स्वरूप (हिंदुस्तानी) धारण नहीं किया था। वाराणसी के भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885) उन अग्रणी लेखकों में से थे, जिन्होंने हिंदी के इस स्वरूप का इस्तेमाल साहित्यिक माध्यम के तौर पर किया था। गोस्वामी तुलसीदास, कबीरदास, सूरदास से लेकर भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत, मैथलीशरण गुप्त, सोहनलाल द्विवेदी, हरिवंशराय ‘बच्चन’, महादेवी वर्मा, राही मासूम रजा, अज्ञेय जैसे इतने महान कवि और लेखक हुए हैं कि लिखने में स्थान कम पड़ जाए। उर्दू साहित्य में भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है उत्तर प्रदेश का। फिराक गोरखपुरी, जोश मलीहाबादी, अकबर इलाहाबादी, नजीर, वसीम बरेलवी, चकबस्त जैसे अनेक विख्यात शायर यहां हुए हैं।

 

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