विवेक की वैचारिक क्रांति में आपका भी सक्रीय सहभाग हो

‘राममंदिर से राष्ट्रमंदिर’ ग्रंथ में पाठक आत्मनिर्भर तथा कलानुरूप मार्ग का दिशा दर्शन करनेवाले मान्यवर लेखकों के चिंतन पढ़ सकेंगे. उसी से आत्मनिर्भर मार्गक्रमण स्पष्ट  जायेगा. ग्रंथ के माध्यम से वैचारिक मंथन, सामाजिक परिवर्तन करने के लिए विवेक को आपके सहयोग की आवश्यकता है इस वैचारिक क्रांति में आपका भी सक्रीय सहभाग हो, यही निवेदन है .

 

 

 

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