मोदी ने कृषि बिल पर विपक्ष को सुनाई खरी खोटी

कृषि बिल को लेकर विरोध लगातार बढ़ता ही जा रहा है। किसानों के विरोध के बाद अब खुद पीएम मोदी को इस पर सामने आना पड़ा है। गुजरात के कच्छ में मंगलवार को मोदी ने कुछ किसानों से बात की और विपक्ष पर भी हमला बोला। मोदी ने कहा कि सरकार के बिल पर अगर किसी को आपत्ति है तो वह सीधे तौर पर सरकार के नेताओं से बात कर सकता है लेकिन अगर बिल का विरोध सिर्फ इसलिए किया जा रहा हो कि यह बीजेपी सरकार द्वारा बनाया गया है तो यह संवैधानिक तौर पर गलत है।
पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग किसान बिल का विरोध कर रहे है वह पहले इस बिल के समर्थन में थे लेकिन उनकी सरकार यह बिल लाने में नाकामयाब रही। अब जब केंद्र सरकार किसानों के लिए एक ऐतिहासिक बिल ला रही है तो उसका बिना वजह विरोध करना गलत है। राजनीतिक पार्टियां निजी फायदे के लिए किसानों को बहला रही है और उन्हे बिल के खिलाफ गुमराह कर रही है। इससे पहले भी केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के हक में फैसला लिया गया है जो पूरी तरह से सार्थक और सीधे तौर पर लाभदायक रहा है।
केंद्र सरकार की तरफ से यह बार बार कहा जा रहा है कि किसी भी किसान संगठन को बिल के किसी भी नियम पर आपत्ति है तो वह अपनी इच्छानुसार सुधार के साथ सरकार के साथ बैठक कर सकते है। सरकार की तरफ से किसानों के लिए हमेशा दरवाज़े खुले हुए है लेकिन विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान पहले से ही पूर्वाग्रह से प्रेरित है जिससे वह किसी भी बात पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हो रहे है। किसानों की तरफ से सिर्फ एक ही बात की जा रही है कि सरकार यह बिल वापस ले ले। विपक्षी दलों की तरफ से किसानों को भड़काया जा रहा है। 
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के हित की कई योजनाएं लागू की गयी थी जिसका फायदा सभी किसानों को मिला है। पीएम ने कहाकि एक समय था जब गुजरात के लोगों को खाने के समय पर भी बिजली नहीं मिलती थी लेकिन आज पूरे राज्य के गांवों तक में 24 घंटे बिजली रहती है। मंगलवार को कच्छ में कई परियोजनाओं का शिल्यान्यास करने के बाद मोदी ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि कच्छ का विकास कभी नहीं हो सकता है लेकिन आज कच्छ एक बड़ा पर्यटन क्षेत्र बनकर उभरा है।     
किसान संगठनों ने दिल्ली के अलग अलग सीमाओं को बंद कर रखा है और इस जिद पर अड़े हुए है कि जब तक सरकार इस नये कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है तब तक किसान संगठन कहीं जाने वाला नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसानों के बीच करीब 5 बार से अधिक बैठक हो चुकी है जो करीब बेनतीजा रही है। 

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