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विधान सभा चुनाव और आम आदमी पार्टी –

विधान सभा चुनाव और आम आदमी पार्टी –

by डॉ.मनोज चतुर्वेदी
in जनवरी -२०१४, राजनीति
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पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में जनता ने भाजपा को स्पष्ट जनादेश दिया है तथा नरेन्द्र भाई मोदी को यह कहा है कि आप ही भारत के भावी प्रधानमंत्री होंंगें। क्योंकि माँ-बेटा पार्टी ने आजादी से अब तक भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही किया है। यहां राहुल गांधी बनाम नरेंद्र भाई मोदी में कोई तुलना ही नहीं है। नरेंद्र भाई मोदी ने जिस प्रकार जनता से संवाद स्थापित किया, वह काबिले तारीफ है। उन्होंने अपनी जनसभाओं में बार-बार कहा कि अखिल भारतीय मां-बेटा (कांग्रेस) पार्टी ने जल, थल को बेचा ही नहीं उसने नभ को भी बेच दिया। यदि हम 1 से गिनती शुरू करें तो यह पार्टी तक भ्रष्टाचार,जातिवाद और छद्म सेक्युलरवाद की नरक में डूबी है। अत: इस पार्टी को ही जनता द्वारा डूबा देना चाहिए।

चुनाव परिणामों के समय ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का यह कहना कि भाजपा तथा कांग्रेस पार्टी गुंडों की पार्टी है तथा मेरी पार्टी सरकार नहीं बनाएगी। यह जनता के साथ विश्वासघात है। क्योंकि दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को पूर्ण समर्थन न देकर, यह संदेश भी दिया है कि लोकतंत्र बड़बोलेपन से नहीं चलता। यह एक चेतावनी भी है। अरविंद केजरीवाल को यह भी सोचना-समझना चाहिए कि भारतीय राजनीति में वे ही एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी नहीं है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस तथा ॠषि अरविंद भी भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर राजनीति में आए ये लेकिन उनकी भाषा बहुत ही संयत थी। राजनीति में कोई किसी का न स्थायी मित्र होता है और न स्थायी शत्रु। यही लोकतंत्र की विशेषता है। जिसे जनता नेे एक वर्ष में बड़ी पार्टी बनाया, वही जनता आम आदमी पार्टी तथा उसके प्रत्याशियों से प्रश्न करेगी कि आपको हमने सरकार बनाने हेतु थोड़ा बहुत समर्थन दिया था। लेकिन आपने हमारे साथ विश्वासघात ही किया है। आप भी भी कांग्रेसी संस्कृति से प्रभावित हो गए है। आप न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाकर सरकार बना सकते थेे तथा आपने भी करोड़पतियों को प्रत्याशी बनाया बनाया हैा शाजिया इल्मी तथा अन्य प्रकरण को भी हम सभी जानतें हैं। आपके ही पार्टी के थिंक टैंक तथा वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने माना था कि स्टिंग आपरेशन का नकारात्मक प्रभाव आम आदमी पार्टी पर पड़ेगा।

पांच राज्यों के चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका रही है। फेसबुक, ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने देश- विदेश में उन करोड़ों लोगों से संपर्क कर कांग्रेस सरकार के विरूद्ध मत देने के लिए बाध्य किया। जनता ने आम आदमी के दुख-दर्द व अन्य समस्याओं के लिए कांग्रेस को दोषी माना तथा विशाल जनमत आम आदमी पार्टी के पीछे तैयार हुआ।यदि इन चुनावों मेें पार्टी नें सोशल मीडिया से परहेज किया होता तो वह सफल नहीं होती।

गठबंधन से दूर रहने का निर्णय आम आदमी पार्टी तथा अन्य राजनीतिक दलों के लिए घातक हो सकता है। अत: राजनीतिक दलों को राष्ट्र हित तथा दिल्ली हित के उस लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए। जिसे लेकर आप का गठन हुआ है। भाजपा का भी गठन कांग्रेस मुक्त भारत हेतु ही हुआ था। अत: आम आदमी पार्टी तथा अन्य दलों को मेरी सलाह है कि सहमति, सहकार एवं समन्वय द्वारा वर्तमान राजनीति में भागीदारी करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गंदगी को दूर करें तथा संपूर्ण दलों को भी इस पथ पर चलने हेतु बाध्य करें।

लोकतंत्र में तथा लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि विभिन्न दल आरोप लगाते है। आलोचना करते हैं। चुनाव लड़ते हैं एवं सरकार बनाते हैं। लेकिन बहुमत न मिलने पर जब त्रिशंकु विधान सभा हो जाय तो न्यूनतम साझा कार्यक्रम द्वारा एक स्थायी सरकार का विकल्प भी देते हैं। 1889 में राजीव गांधी को 197 सीटें मिली थीं लेकिन भाजपा ने राष्ट्रीय मोर्चा के बी.पी. सिंह को बिना शर्त समर्थन देकर सरकार बनवायी। 1967 में विभिन्न राज्यों में संविद सरकारें बनी। 1999 में भाजपा ने तथा 2004 में कांग्रेस ने संप्रग सरकारें दी हैं। देश तथा विदेशों में गठबंधन की सरकारें काम कर रही है अत: केजरीवाल सरकार बनाओ,मिलो,बैठो तथा जनता को विकल्प दो।

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