मिझोरम चुनाव और जनमानस

2013 के विधानसभा चुनावों में संपूर्ण देश में कांग्रेस विरोध स्पष्ट रुप से दिखाई दे रहा था, और वह परिणामों में दिखाई भी दिया। मिजोरम भी इससे अलग नहीं था। पुरक केवल इतना था कि अन्य राज्यों में कांग्रेस ही हार हुई और मिजोरम में सन 2008 के परिणामों की पुनरावृत्ती हुई। कांग्रेस को 40 सीटों में से 34 सीटें मिलीं और शेष 6 स्थानों पर विरोधी पक्ष मिजो नेशनल फ्रंट की जाति हुई। इसके कई तात्कालिक कारण हो सकते हैं परंतु अगर गहराई से सोचा जाये तो मीजो मानस और स्वभाव इसका महत्वपूर्ण घटक है यह ध्यान में आयेगा।

चुनाव परिणामों के संबंध में प्रतिक्रियाएं सुनते समय विरोधी पक्ष मीजोरम नेशनल फ्रंट की कार्यकारी समिति के प्रमुख सदस्य, मी. ने. फ्रंट के विरोधी पक्ष नेता, पूर्व मुख्यमंत्री जोरमथाङा के नजदीक मित्र लालथङ लियाना कहते हैं कि पहला कारण यह है कि विरोधी पक्षों के मत मी.ने.फ्रंट और जोरस नेशनल फ्रंट को मिले मतों को अगर एकत्र किया जाये तो कांग्रेस की हार निश्चित थी। परंतु हम दोनों साथ लडे ही नहीं। अत: हम हार गये। दूसरा कारण यह है कि कांग्रेस द्वारा लोगों को ‘न्यू लैण्ड सूज पालिसी’ का लालच दिखाया गया। इस योजना के अंतर्गत हर परिणाम को 1 लाख रुपये देन का आश्वासन कांग्रेस ने 2008 में दिया था। कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनसामन्यों को इसमें से कुछ रकम दी गई और बाकी रकम के लिये यह आश्वासन दिया गया कि अगर दोबारा जीतकर आये तो वह रकम भी मिल जायेगी। इस आश्वासन पर लोगों ने विश्वास किया ऐसा दिखाई देता है।

पूर्व आय.ए.एस. अधिकारी लालमन ज्वाला कहते हैं कि चुनावों में हुआ भ्रष्ट व्यवहार और प्रलोभनों को नियंत्रित करने के लिये चर्च के माध्यमों से (एम पी एफ) मीजो पीपल फ्रंट की स्थापना की गई और अलग-अलग स्तर समिति बनाकर अनावश्यक नियंत्रण करने का प्रयत्न किया गया। किसी भी पार्टी को स्वतंत्र प्रचार नहीं करने दिया गया। सभी उम्मदिवारों की एक ही मंद्य से प्रचार करने के लिये बाध्य किया गया। परंतु मतदाताओं के मन में झांकने का प्रयत्न नहीं किया गया। इसका विपरीत परिणाम देखने को मिला। रा. स्व. संघ जैसे बडे संगठित द्वारा प्रमुख राजनैतिक पार्टी का मार्गदर्शन किया जाता है परंतु वह उसे नियंत्रित नहीं करता। यह मीजो पीपल फ्रंट को प्रचार कार्य के समय समझना आवश्यक था।
वर्तमान मुख्यमंत्री लालथन हावला और उनकी पत्नी पिछले वर्ष आकस्मिक रुप से कलकत्ता पूजा के दौरान उपस्थित थे। उन्होंने पूजा के दौरान आरती की, कुमकुम, लगाया नारियल फोडा। इसका सहारा लेकर विरोधी पक्ष मीजो नेशनल फ्रंट ने पूरे मीजोराम में बंद का आहवान किया। मुख्यमंत्री ने हिंदू देवी की पूजा करके ईसाई धर्म का नियम तोडा है इस तरह का दुष्प्रचार करके लोगों की धार्मिक भावनाएं भडकाने का प्रयत्न किया। परंतु वह कांग्रेस के प्रलोभन के आगे फिका पड गया।
दूसरी ओर जोरम नेशनलिस्ट पार्टी के साफ-सुथरे प्रशासन का आश्वासन पार्टी के अध्यक्ष लाल दुओमा ने दिया था। उन्होंने राजीव गांधी के प्रमुख सुरक्षा अधिकारी रुप में काम किया था और वे कांग्रेस में ही थे। वहां की भ्रष्ट राजनीति देखकर वे मीजो नेशनल फ्रंट में चले गये वहां पर भी ऐसा ही वातावरण देखकर उन्होंने स्वतंत्र पार्टी बनाई जोरम नेशनल पार्टी। युवकों में काफी लोकप्रिय व्यक्ति हैं। परंतु कांग्रेस के प्रलोभन के आगे असफल हो गये। हर मतदान क्षेत्र में मीजोनेशनल फ्रंट की लगभग बराबरी से मत मिले परंतु असफल ही रहे।

कुछ मिलाकर विरोधी पक्षों के असंगठित प्रयत्न, गलत नीतियां आम जनता का रुख न समझने के कारण और कांग्रेस के प्रलोभना के कारण लोगों ने न चाहते हुए भी कांग्रेस को फिर से सत्ता दिलवा दी। यह सभी के लिये आश्चर्यजन है

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