बीज से बरगद तक

प्रा.कृतिक सौंदर्य प्राप्त, समुद्र तल से बहुत ऊंचाई पर स्थित बुलढाणा शहर, महाराष्ट्र में अपना विशेष महत्व रखता है। इसी विशेष शहर में शिक्षा का योगदान देने में सक्रिय रूप से कार्यरत है – बुलढाणा अर्बन क्रेडिट सोसायटी एवं बुलढाणा अर्बन चैरिटेबल सोसायटी। इस संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री राधेशामजी चांडक के निरंतर अथक प्रयासों के फलस्वरुप शिक्षारूपी पौधे का बीजारोपण वर्ष १९९९ में सहकार विद्या मंदिर, एवं कनिष्ठ महाविद्यालय के रूप में हुआ। आज बरगद का आकार लेते हुए विद्यालय बुलढाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी १८ शाखाओं के साथ विस्तारित है। जिसमें २०,००० विद्यार्थी आज शिक्षा ग्रहण करते हुए अपने भविष्य को आकार दे रहे हैं। इसी पवित्र शिक्षा यज्ञ की अग्नि को और तेजस्वी रूप प्रदान करने में बुलढाणा अर्बन क्रेडिट सोसायटी एवं बुलढाणा अर्बन चैरिटेबल सोसायटी की कर्मठ, परिश्रमी अध्यक्ष श्रीमती कोमल सुकेश झंवर भी लगातार रातदिन परिश्रम कर रही हैं।

बुलढाणा स्थित विद्यालय में नर्सरी से बारहवीं तक कक्षाएं हैं। महाराष्ट्र राज्य शिक्षा मंडल से संबंधित सहकार विद्या मंदिर एवं कनिष्ठ महाविद्यालय तथा केंद्रीय शिक्षा मंडल से संबंधित सहकार विद्या मंदिर नामक ये दोनों विद्यालय विद्यादान में लगे हैं। इन दोनों विद्यालयों में निवासी एवं अनिवासी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। कुल मिलाकर ५० एकड़ भूमि पर बने इन विद्यालयों में निवासी छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग अलग छात्रावास भी हैं। सुविधा संपन्न इन छात्रावासों में दूर दराज के ग्रामीण भागों के तथा दूसरे राज्य के लगभग २००० विद्यार्थी हैं। विद्यालय के नियमानुसार एवं समयानुसार विद्यार्थी भव्य भोजनकक्ष में एकसाथ भोजन लेते हैं। इन विद्यार्थियों को संस्कारशील एवं समयानुरूप बनाने हेतु प्राचार्य, अध्यापक, छात्रावास निरीक्षक, अधीक्षक, सहायक कर्मचारी अपनी सेवा में रत हैं।

सहकार विद्या मंदिर में निवासी विद्यार्थियों के शरीर सौष्ठव हेतु सुबह शाम मल्लखंब, तैराकी, फुटबॉल, दौड़, जिमनास्टिक, क्रिकेट, बास्केट बॉल, हॉकी, स्केटिंग इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है। अनिवासी विद्यार्थी भी इन सभी खेलों का प्रशिक्षण विद्यालय समय तालिकानुसार प्रतिदिन लेते हैं। प्रशिक्षकों द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण से ही आज विद्यालय के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर अनेक कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं एवं कर रहे हैं।

सहकार विद्या मंदिर के विद्यार्थी क्रीडा क्षेत्र में जिस प्रकार दिलचस्पी रखते हैं, उसी प्रकार शैक्षणिक क्षेत्र में भी कक्षा दसवीं और बारहवीं का १०० प्रतिशत परीक्षा फल उनकी शिक्षा में दिलचस्पी को दिखाता है। निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद, भाषण में अंतर्विद्यालयीन प्रतियोगिता में विद्यार्थी अपने गुणों को दर्शाते हैं और आत्मविश्वास के धनी बनकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हैं।

अध्यापक, विद्यार्थियों की ज्ञान वृध्दि हेतु विद्यालय में उपलब्ध एज्युकॉम, स्मार्ट क्लास का उपयोग करते हैं तथा इंटरनेट, समाचार पत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी बच्चों तक पहुंचा कर उनके ज्ञान को समयानुरूप रखने में जागरूक रहते हैं। विज्ञान एवं टेक्नालॉजी की शिक्षा संपादित विद्यालय की अध्यक्षा श्रीमती कोमल सुकेशजी झंवर विज्ञान एवं संगणक के इस युग में वैज्ञानिकों द्वारा भी मार्गदर्शन हो इस हेतु से विभिन्न सभाओं का आयोजन, विज्ञान मेला, प्रदर्शनी इत्यादि पर अपनी निगाहें केंद्रित करती हैं। ग्रामीण क्षेत्र में विद्यालयों की शाखाओं में भी इसी प्रकार विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करें, इसी उद्देश्य सें वहां भी विज्ञान तंत्रों के द्वारा ही विद्यार्थियों को शिक्षा देने का प्रबंध करवाया गया है। समय-समय पर इन ग्रामीण क्षेत्रों के सहकार विद्या मंदिरों की शाखाओं में जाकर देखना उनके कार्य की तत्परता को ही सिध्द करता है। कार्य को ऊंचाई पर ले जाना एवं कार्य द्वारा विद्यार्थीरूपी भारत की पीढ़ी को ऊंचाई पर ले जाना यही उनके जीवन की सार्थकता का मूलमंत्र है। यही जीवन की सहकारिता है…..।
-प्रतिनिधि

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