नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर

कोरोना संकटकाल में जिनकी भी नौकरी हाथ से चली गई है उनमें से अधिकतर लोगों ने हार नहीं मानी और स्वयं रोजगार की शुरुआत कर ‘स्किल इंडिया’, स्टार्टअप, मेक इन इंडिया आदि योजनाओं के माध्यम से अभूतपूर्व कार्य किए हैं। जो हमारे समाज के लिए आदर्श हैं। इन्हें देखकर लगता है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बुनियाद जब इतनी गहरी और मजबूत है तो करोड़ों युवाओं के परिश्रम से समर्थ, शक्तिशाली आत्मनिर्भर नया भारत का सपना साकार होना अवश्यम्भावी है।

पूरे विश्व में नए वर्ष का स्वागत बड़े ही धूमधाम से और हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। लोग जश्न मना कर बीते वर्ष को अलविदा कहते हैं और नए वर्ष में नई उर्जा, उत्साह के साथ कुछ नया करने का संकल्प करते हैं। आतिशबाजी के साथ रंग बिरंगी रोशनियाँ बिखेर कर सेलिब्रेशन मनाया जाता है। कुछ इसी तरह का स्वागत वर्ष 2020 का भी किया गया था। तब सभी ने सोचा था कि 20-20 मैच के जमाने में वर्ष 2020 में उन्नति-प्रगति के चौके छक्के मारेंगे और विकास की उड़ान भरेंगे। देश नई ऊँचाइयों को छुएगा और इसके साथ हम भी नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे लेकिन कुछ ही समय बाद दुनिया की खुशियों को किसी की नजर लग गई और अचानक चाइनीस वायरस कोरोना ने दुनिया में कोहराम मचा दिया। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते अपने सभी पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने की कोशिश करता रहता है लेकिन इस बार उसके कोरोना वायरस ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को ही निगल लिया और दुनिया को पूरी तरह से ठप कर दिया। बहरहाल हम बात करते हैं वर्ष 2020 में कोरोना संकट एवं लॉकडाउन के बीच फैले नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ते हमारे प्रवास की।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही समय पर उठाया उचित कदम

दुनिया में कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गंभीरता से लिया और समय रहते सभी जरूरी कदम उठाए जिसके कारण भारत में कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता मिली। सर्वप्रथम जनता को जागरूक करने के लिए और सभी का ध्यान कोरोना के खतरे की ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया जिसे जनता ने सहर्ष स्वीकार किया और सहयोग दिया। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लॉकडाउन की शुरुआत की गई। जिससे कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। नतीजतन दुनिया के विकसित देशों से भी बहुत कम भारत में जान-माल की हानि हुई। यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए दुनिया भर के कई देशों ने भारत की सराहना की है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का अभिनंदन एवं गुणगान किया है।

कोरोना का शहरों में असर, गांवों में बेअसर

भारत में केवल घनी आबादी वाले शहरों में कोरोना का प्रभाव देखा गया जबकि शहरों की अपेक्षा गांव अधिक सुरक्षित थे। गांवों में कोरोना जैसे नगण्य ही था। भारत में कोरोना का असर इसलिए भी कम हुआ क्योंकि देश की 70% आबादी गांवों-देहातों में रहती है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अधिकतर लोग अपने गांव चले गए और सुरक्षित जीवन यापन किया। सदियों से गांव ही भारत को सुरक्षित बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते रहे है। गांव का वातावरण एवं लोगों का सादगीपूर्ण रहन-सहन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

आत्मनिर्भर गांव ही आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद

आज भी प्रदूषण युक्त शहरों से ज्यादा पर्यावरण युक्त गांव में रहना लोग पसंद करते हैं। केवल रोजी रोजगार के लिए गांव से लोगों को शहरों का रुख करना पड़ता है। यदि ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था विकसित की जाए तो शहरों पर लोगों की निर्भरता भी कम होगी और शहरों की भीड़, ट्राफिक जाम, प्रदूषण आदि अनेक प्रकार की समस्याओं से भी मुक्ति मिलेगी। आत्मनिर्भर गांव ही आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद है। इस दिशा में सरकार को ठोस पहल करने की आवश्यकता है।

कभी खुशी कभी गम

कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान हंसी खुशी से लोगों का दिन बीत रहा था लेकिन इसके साथ ही सड़कों पर एंबुलेंस की गाड़ियों की आवाजाही भी बढ़ती जा रही थी और उनके सायरन की आवाज सुनाई दे रही थी। आस पड़ोस में कोरोना से संक्रमित होने का सिलसिला जारी था। जिसके घर में कोरोना का मामला सामने आ रहा था उसकी हालत गमगीन सी हो जा रही थी। जिसने अपनों को खोया उसे ही दर्द का एहसास हो रहा था हालांकि उसका आभास और दुख उनके परिचित को भी हो रहा था। कम आयु में जिनकी मृत्यु हुई उनका दुख सबसे अधिक हुआ। जिनके भी घर का चिराग बुझा है वह इस मनहूस साल को जीवन भर नहीं भूलेंगे। कमोबेश यही स्थिति सभी जगहों की थी। कभी खुशी और कभी गम का यह दौर वर्ष भर चलता रहा। बावजूद इसके लोग इस संकट से उबरने की सकारात्मक पहल करते रहे।

सामाजिक संगठनों के सेवाकार्यों ने दी जरुरतमंदों को राहत

लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूरों की माली हालत एकदम खस्ता हो गई। उनके पास बैंक बैलेंस नहीं था इसलिए उन का भरण पोषण मुश्किल हो गया था। ऐसे गरीब असहाय जरूरतमंदों को सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि संगठनों ने खूब सहायता की। दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसमें प्रमुख भूमिका अदा की। संघ एवं उसके सभी सहयोगी संगठनों ने मिलकर समाज के सहयोग से विराट सेवा कार्यों की संरचना खड़ी की। उस के माध्यम से हर गली, नुक्कड़-नाको, नगर-बस्ती, शहर आदि स्थानों पर घर-घर सेवाकार्यों का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाया गया। गर्भवती महिलाओं एवं अन्य मरीजों को घर से हॉस्पिटल लाने ले जाने और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने से लेकर डायलिसिस मरीजों को एंबुलेंस द्वारा हॉस्पिटल लाने ले जाने जैसी अनेक सुविधाएं प्रदान किये गए। गांव जाने के लिए प्रवासी मजदूरों का पंजीयन, मार्गदर्शन एवं सहयोग, प्रशासन से सामंजस्य स्थापित करना, उन्हें आवश्यक स्वयंसेवक उपलब्ध कराना, जागरूकता अभियान आदि सभी प्रकार के आवश्यक सहयोग संस्थाओं द्वारा किये गए। जिसका सकारात्मक असर समाज पर हुआ। निराशा उदासी और नकारात्मक माहौल में भी संघ जैसे संगठनों ने अपने निस्वार्थ सेवा कार्यों से समाज में सकारात्मक आदर्श स्थापित किया। इन सेवाकार्यों में स्थानीय नागरिकों ने भी स्वयं प्रेरणा से बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

विकास के नाम पर विनाश क्यों?

दुनिया के सभी देश विकास एवं प्रगति के अंधी दौड़ में शामिल होकर पृथ्वी, प्रकृति, पर्यावरण को नष्ट करने पर उतारू हो चुके हैं। हम भविष्य में मंगल पर जीवन तलाश रहे है और जिस धरती पर जीवन जीने जैसा अनुकूल वातावरण है उसे ही ध्वस्त कर रहे हैं। भौतिक उन्नति के पागलपन में प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि शोषण कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था की ऊँची छलांग लगाने की दुहाई देकर पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे है। जलवायु परिवर्तन का संकट सामने दिखाई देने पर भी उससे अपना मुंह मोड़ रहे है। ऐसे सभी आवश्यक गंभीर विषयों की ओर कोरोना वायरस ने सभी का ध्यान आकर्षित करवाया है।

कोरोना का सकारात्मक संदेश

कोरोना का साफ़ संदेश है कि यदि पृथ्वी को प्लास्टिक से पाटोगे तो प्लास्टिक से बने पीपीई किट पहन कर रहना पड़ेगा। यदि तुम अपने मनोरंजन के लिए जानवरों, पक्षी आदि को पिंजड़ों में कैद करोगे तो तुम्हें भी अपने घरों में कैद होना पड़ेगा। विज्ञान का आविष्कार एवं उपयोग मानवता की भलाई के लिए करो वरना विनाश के हथियार तुम्हें ही नष्ट कर देंगे। मुफ्त में प्राणवायु देने वाली वृक्षों एवं जंगलों का सफाया करोगे तो तुम्हें वेंटिलेटर पर ही रहना पड़ेगा। प्रकृति-पर्यावरण का जरूरत के अनुसार दोहन ना करते हुए यदि शोषण करोगे तो प्राकृतिक आपदाओं से हमेशा घिरे रहोगे। प्रकृति रूपी पृथ्वी ही इस दुनिया की असल मालिक है। तुम पृथ्वी के मालिक बनने की कोशिश मत करों। तुम केवल इस दुनिया में केवल कुछ दिनों के मेहमान हो, इसका भान रखो। इतना कहने के बाद भी नहीं सुधरे तो तुम्हारे सर्वनाश से तुम्हें भगवान भी नहीं बचाएंगे क्योंकि तुम खुद ही स्वयं के विनाश के जिम्मेदार हो।

संकट, अवसर और आत्मनिर्भर भारत

कहते बड़े संकट कभी अकेले नहीं आते, वह अपने साथ अनेक प्रकार की समस्याएं भी लाते है लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरा पहलु यह है कि संकट अपने साथ सबक, समाधान और अवसर भी लाते हैं, जो लोग उस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठा लेते है, वही लोग जीवन में कामयाब हो पाते हैं।

चीन की विस्तारवादी आक्रमक नीति और कोरोना वायरस ने चीन को दुनिया की नजरों में गिरा दिया है। वह विश्वसनीयता के मामले में कहीं नहीं टिकता। इसलिए दुनिया भर के निवेशक अब अपने बिजनेस समेटकर अन्य देशों में निवेश का रुख कर रहे हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का लाभ भारत को मिलना तय है। दुनिया भर की बड़ी-बड़ी कंपनियां, उद्योग इंडस्ट्रीज भारत में निवेश करने को आतुर है। जिसका सीधा लाभ भारत के लोगों को रोजी रोजगार के दृष्टि से होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मंत्र से देश के युवा उत्साहित है और वह नित नए अविष्कार कर रहे है और नए कीर्तिमान बना रहे हैं। कोरोना संकटकाल में जिनकी भी नौकरी हाथ से चली गई है उनमें से अधिकतर लोगों ने हार नहीं मानी और स्वयं रोजगार की शुरुआत कर ‘स्किल इंडिया’, स्टार्टअप, मेक इन इंडिया आदि योजनाओं के माध्यम से लोगों ने अभूतपूर्व कार्य किए हैं। जो हमारे समाज के लिए आदर्श हैं। इन्हें देखकर लगता है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बुनियाद जब इतनी गहरी और मजबूत है तो करोड़ों युवाओं के परिश्रम से समर्थ, शक्तिशाली आत्मनिर्भर नया भारत का सपना साकार होना अवश्यम्भावी है।

भारत फिर से बनेगा सोने की चिड़िया

एक समय भारत को दुनिया भर के लोग सोने की चिड़िया कहां करते थे लेकिन विदेशियों के आक्रमण के कारण हमारी अधोगति हुई लेकिन अब भारत अपनी शक्ति सामर्थ्य को पहचानने लगा है और अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ता जा रहा है। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में पूरे विश्व में भारत का डंका बजाया है। यही कारण है कि कोरोना संकट काल के दौर में भी विदेशियों द्वारा भारत में भारी निवेश किया गया।

इसके साथ ही भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है और सोने के भंडार में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 579 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर 535 मिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ स्वर्ण भंडार 35.728 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। बता दें कि इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि बहुत जल्द भारत दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वर्ष 2024 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है उसी के अनुरूप हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ती जा रही है।

वर्ष 2020 के प्रमुख घटनाक्रम

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों द्वारा अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपुजन होना इस 2020 वर्ष को ऐतिहासिक बना गया। लगभग 500 वर्षों बाद यह घटना घटने के कारण इतिहास में यह वर्ष उल्लेखनीय रुप से दर्ज हो गया।
यह साल चीनी सैन्यशक्ति के गुरुर को भी चूर-चूर कर गया और भारतीय सेना के पराक्रम से दुनिया परिचित हुई। पाकिस्तान के बाद चीनी सीमा पर सर्जिकल स्ट्राईक कर भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को आमने-सामने की लड़ाई में धूल चटा दी और इस लड़ाई में सैकड़ों की संख्या में चीनी सैनिक मारे गए। भारत ने लगातार अनेक प्रकार के मिसाइलों का परीक्षण कर चीन को सकते में डाल दिया।

इसके अलावा सीएए विरोध के नाम पर शाहीन बाग में महिनों दिल्ली की सड़कों को बंद रखा गया। दिल्ली दंगा और बेंगलुरु दंगा भी इन्ही आंदोलनों की आड़ में किया गया षडयंत्र था। अब कृषी संबंधी कानून के खिलाफ हो रहा किसान आंदोलन भी शाहीन बाग पार्ट 2 कहा जा रहा है। इसे भी कांग्रेस, कम्युनिस्ट, आप सहित अन्य विपक्षी पार्टियां समर्थन दे रही है और मोदी सरकार को किसी तरह घेरने की कोशिश कर रही है। किसान आंदोलन में अब राष्ट्रविरोधी ताकते खुलकर मैदान में आ गई है। पाकिस्तान और कनाडा के शह पर खालिस्तान समर्थक हुड़दंग मचा रहे है। दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस साहित अन्य विपक्षी पार्टियां देशविरोधी गतिविधियों में शामिल है। बावजूद इसके कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों एवं जिहादी, वामपंथी, नक्सली, टूकड़े-टूकड़े गैंग आदि की नकारात्मक गतिविधियों को छोड़ दे तो देश की बहुसंख्य जनता सकारात्मक तरिके से राष्ट्रवाद के पक्ष में मजबूती से खड़ी हैं, जो देश के निकट भविष्य के लिए सकारात्मक संदेश हैं।

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