आतंकी पैसे से चलता है सांसद का बाल संरक्षण गृह!

बाल संरक्षण गृह को लेकर अक्सर ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती है कि यहां नियमों का उल्लंघन किया जाता है और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार भी होता है लेकिन शायद आप ने यह नहीं सुना होगा कि कोई बाल संरक्षण गृह आतंकी संगठनों के पैसे से चल रहा है। आप को जान कर हैरानी होगी कि सांसद बदरुद्दीन अजमल के बाल संरक्षण गृह में विदेशी पैसों का इस्तेमाल होता है और जांच एजंसियों को ऐसे सबूत मिले है कि बाल संरक्षण गृह में आतंकी संगठनों के पैसे का प्रयोग किया जाता है और यहां से बच्चे भी भेजे जाते है। 
 
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जांच में पाया है कि असम और मणिपुर के 6 बाल गृहों में धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। मरकजुल मारीफ नाम की संस्था की निगरानी में चल रहे एक बाल गृह को अंतरराष्ट्रीय एनजीओ से पैसे मिलते हैं जिसकी जांच आतंकवादी संगठन अलकायदा से कथित संबंधों को लेकर हो रही है। आयोग की टीम में 25 दिसंबर को यहां एक दौरा किया था। इस समय 6 बाल संरक्षण गृहों में 778 बच्चे रह रहे हैं। 
 
असम के विवादित सांसद बदरुद्दीन अजमल ने इन बाल संरक्षण गृहों की स्थापना की है। इस बारे में लोकसभा की वेबसाइट पर भी जानकारी दी गयी है। जानकारी के बताया गया है कि इनमें 1010 बच्चे रह रहे हैं जबकि मरकाजल मारीफ की वेबसाइट पर 1080 बच्चों के होने की बात बताई गई है। इस तरह से संस्था द्वारा दी गई जानकारी और अन्य आंकड़े अलग-अलग हैं। जिसको लेकर जांच एजेंसी पूछताछ कर सकती है। 
इन बाल गृहों को आईएचएच नाम के अंतराष्ट्रीय एनजीओ से पैसा मिल रहा है। तुर्की के एनजीओ से तुर्की में ही पूछताछ चल रही है क्योंकि उसके अलकायदा से जुड़े होने की बात सामने आई है। आयोग ने अभी तक उन बच्चों के डिटेल्स को लेकर कुछ खुलासा नहीं किया है जिन्हें इस एनजीओ से फंडिंग मुहैया कराई गई है। आयोग का कहना है कि इन गृहों में 302 बच्चे ऐसे हो सकते हैं जिनका पंजीकरण नहीं कराया गया है। इन बच्चों के बारे में पता करने का प्रयास किया जा रहा है। दौरा करने गई आयोग की टीम का कहना है कि इस मामले में एनआईए को जांच करके तथ्यों का पूरा पता लगाना चाहिए, साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि इन बाल संरक्षण गृहों में किशोर न्याय अधिनियम 2015 सहित कई नियमों का उल्लंघन किया गया है जिसको लेकर संरक्षण गृह के अधिकारियों और संस्थापक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। 
 
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यहां के गंदे शौचालय, लड़कियों की असुरक्षा और बांस के डंडे से पिटाई का जिक्र किया है। संविधान के मुताबिक यह सभी अपराध के श्रेणी में आते है। रिपोर्ट में बताया गया है कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। बाल संरक्षण गृह में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे को लगाना अनिवार्य है। वहां के कर्मचारियों ने भी स्वीकार किया है कि बच्चों को शारीरिक रूप से दंड दिया जाता है। आयोग की जांच टीम से एक बच्चे ने पिटाई किए जाने की शिकायत भी की है। टीम ने जिन बाल संरक्षण गृहों की जांच की है उनमें से 5 बाल संरक्षण गृह असम के धुबरी, गोलबरा और नगांव के है जबकि एक मणिपुर के थौबल में स्थित है। इन सभी का नाम मरकज दारुल यातमा रखा गया है। 
 
आपको बता दें कि इसी महीने में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित अजमल फाउंडेशन के खिलाफ असम की दिसपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि सांसद के खिलाफ दाखिल शिकायत में उनके बाल संरक्षण गृह में विदेशों से फंडिंग प्राप्त करने और संदिग्ध गतिविधियों के इस्तेमाल का जिक्र किया गया है। सांसद बदरुद्दीन अजमल अपने बयानों की वजह से हमेशा चर्चे में बने रहते है उनके ज्यादातर बयान भड़काऊ और विवादित होते है। 

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