पद्मनाभ स्वामी मंदिर: सातवें दरवाजे के खुलते ही आ जायेगा प्रलय !


दक्षिण भारत का पद्मनाभ स्वामी मंदिर। यह मंदिर अपने धनवान होने के लिए जाना जाता है लेकिन इसके साथ ही मंदिर के कई रहस्य भी है जो कम लोगों को ही पता है। कुछ सालों पहले यह मंदिर पूरे देश में चर्चा का विषय था और उसकी वजह थी मंदिर के अंदर रखा खजाना। मंदिर के अंदर इतना धन था कि उससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था बदली जा सकती थी या फिर विश्व के कुछ छोटे देशों को खरीदा तक जा सकता था लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर के धन को सरकार ने अपने कब्ज़े में कर लिया।

31 जुलाई 2011 को केरल हाई कोर्ट के आदेश पर पद्मनाभ स्वामी मंदिर के गर्भ गृह के दरवाज़े को खोल दिया गया। मंदिर के गर्भ गृह में कुल 7 दरवाज़े थे। 6 दरवाजों को एक एक कर खोला गया लेकिन आखिरी दरवाज़ा नहीं खोला जा सका, ऐसा बताया जाता है कि अंतिम दरवाज़े के खोलने पर मंदिर पूरी तरह से जमीन में धंस सकता था या फिर पूरा मंदिर पानी में डूब सकता था। आखिरी दरवाज़े को मंदिर की सुरक्षा के तौर पर देखा जाता है क्योंकि उस दरवाज़े पर नागों के चित्र अंतिक है जो उसकी रक्षा करते है। मंदिर के अंदर जो स्वर्ण भंडार मिला उसमें करीब 7 फीट लंबी एक सोने की माला, सोने के वस्त्र और बोरियों में भरा सोने का सिक्का व हीरे पाये गये। मंदिर से करीब 1 हजार किलोग्राम सोना पाया गया जिसकी कुल कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ आकी गयी थी लेकिन यह ऐतिहासिक सोना और आभूषण थे तो इनकी कीमत बाजार में और अधिक हो सकती है।

हिंद महासागर के तट पर बसे केरल राज्य में पद्मनाभ स्वामी का मंदिर है जो अपनी आस्था और धनी होने के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सिर्फ हिन्दू धर्म के लोग ही प्रवेश कर सकते है और उनके लिए भी परिधान निश्चित है। हिन्दू पुरुष को सफेद धोती और स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर में भगवान विष्णु की स्थापना की गयी है और उनका ही नाम पद्मनाभ है जिसकी सभी लोग पूजा करते है। मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के ठीक नीचे बने गर्भ गृह में मंदिर का खजाना रखा हुआ था। केरल हाई कोर्ट के आदेश पर गर्भ गृह के सभी 6 दरवाज़ों को तो खोल दिया गया लेकिन आखिरी का 7वां दरवाज़ा नहीं खोला जा सका क्योंकि सर्वे करने वालों ने ऐसा अंदेशा जताया कि इस दरवाज़े को मंदिर और उसके धन की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। आखिरी दरवाज़े के अंदर से पानी की आवाज़ें भी आ रही है जिससे यह अंदेशा लगाया गया कि अगर यह दरवाज़ा खुलेगा तो पूरे मंदिर में पानी भर जायेगा और मंदिर डूब जायेगा।

आज से करीब 400 साल पूर्व राजा मारतंड वर्मा जिन्होनें युद्ध से आस पास के सभी राज्यों पर विजय प्राप्त कर ली और राज्य को व्यावसायिक बना दिया जिससे दूर दूर से व्यापारी यहां आयुर्वेदिक औषधि, मासाले और सूखे मेवे खरीदने आते थे  और इनके दाम के बदले सोना, चाँदी और हीरे देते थे जिससे राजा के पास जल्द ही बहुत अधिक संपत्ति हो गयी। सन 1750 के करीब राजा मारतंड वर्मा ने धन की सुरक्षा को लेकर एक मंदिर का निर्माण कराया और उसके गर्भ गृह में सारा धन जमा कर दिया। राजा मारतंड ने मंदिर में भगवान विष्णु की स्थापना की और खुद को भगवान का भक्त भी घोषित कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि राजा मार्तंड के स्वप्न में खुद भगवान विष्णु आये थे और उन्हे ऐसा करने के लिए कहा था।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर का सांतवा दरवाजा आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है कि आखिर इस दरवाजे के पीछे क्या है ?  क्या सच में इस दरवाजे के खुलने पर मंदिर पानी में डूब जायेगा? आखिर दरवाजे पर नाग की डरावनी तस्वीर क्यों बनायी गयी है ? सातवें दरवाजे पर बनी नाग की तस्वीर के पीछे कुछ ना कुछ रहस्य तो जरुर होगा। 400 साल पहले राजा के कारीगरों ने धन की सुरक्षा को लेकर ही इस दरवाजे का निर्माण किया होगा लेकिन इस दरवाजे का रहस्य कब खत्म होगा यह आने वाले समय पर निर्भर करता है।

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