सड़कों पर नमाज पढ़ना कितना सही!

हर धर्म में पूजा-पाठ का अपना अपना तरीका है और सभी उसी के हिसाब से चलते है। अलग अलग धर्मों के अनुसार ही उनके स्थान भी निर्धारित किये गये है जैसे हिन्दू के लिए मंदिर, मुस्लिम के लिए मस्जिद, सिख के लिए गुरुद्वारा और ईसाई के लिए चर्च बनाया गया है। अब आप ने अगर ध्यान दिया होगा तो यह सभी लोग अपने अपने धार्मिक स्थानों पर ही पूजा और प्रार्थना करते है लेकिन मुस्लिम समुदाय इससे थोड़ा अलग नजर आता है। हालांकि इसके पीछे की वजह शायद किसी को नहीं पता है लेकिन हर शुक्रवार को यह लोग मस्जिद के बाहर भी नमाज अदा करते हुए देखे जाते है।

अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या मस्जिद के बाहर सड़क या फुटपाथ पर नमाज पढ़ना सही है? इस बात को हम दो तरीके से देख सकते है पहला यह कि अल्लाह तो हर जगह है फिर उसके नमाज के लिए जगह की अहमियत नही है लेकिन दूसरी बात पर नजर डालें तो नमाज जब सड़क पर अदा होती है तो आम लोगों के इससे परेशानी होती है। कहीं कहीं पर तो ट्रैफिक को रोकना पड़ता है। ऐसे में देखा जाए तो यह तरीका गलत है क्योकि आप का कोई भी काम अगर किसी के लिए अवरोध पैदा करता है तो वह गैरकानूनी माना जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

सड़कों पर नमाज अदा करने से आम जनता को परेशानी होती है लेकिन वह इसलिए नहीं आवाज नहीं उठा पाती क्योंकि पुलिस प्रशासन ही उनकी रक्षा करता है। राज्य या केंद्र सरकार इस ज्वलंतशील मुद्दे में हाथ नहीं लगाना चाहती क्योंकि इससे माहौल भी बिगड़ सकता है और वोट बैंक का भी नुकसान हो जायेगा जिससे जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दिया जा रहा है। आखिर हर शुक्रवार को नमाज के लिए लोगों को सड़कों पर क्यों बैठना पड़ता है? क्या मस्जिद में जगह की कमी है, अगर ऐसा है तो इसके लिए नई मस्जिदों का निर्माण कराना चाहिए या फिर उसी मस्जिद का डेवलपमेंट करना चाहिए। प्रशासन से भी आप मदद ले सकते है और किसी पार्क या खाली जगह पर आज्ञा लेकर भी नमाज पढ़ सकते है।

सन 2017 में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें राजधानी दिल्ली के प्लेटफार्म पर एक जगह को घेर दिया गया था और उसे नमाज के लिए आरक्षित कर दिया गया था। रस्सी से घिरे इस जगह पर यात्री और कुली नमाज पढ़ते थे और यहां पर यात्रियों का जाना वर्जित था जबकि रेलवे के नियम के मुताबिक स्टेशन पर धार्मिक के आधार पर कोई भी स्थान को आरक्षित नहीं किया जा सकता है। इस घटना के बाद रेलवे हरकत में आया और वह स्थान खाली करवाया गया। वैसे एक कोई पहली घटना नहीं है ऐसे तमाम विडियो आज भी सोशल मीडिया पर मौजूद है जहां नमाज के नाम पर कब्जा किया जा रहा है।

हरियाणा सरकार की तरफ से भी इसका विरोध किया गया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था किसी की जमीन पर अवैध रूप से बैठ कर नमाज पढ़ना गलत है और उसे स्वीकार नहीं किया जायेगा। हालांकि उस समय भी इस मामले को वोट बैंक के चश्मे से देखा गया था और विवाद भी हुआ था लेकिन यह सभी को समझना चाहिए कि यह गलत है और गलत को गलत कहना गलत नहीं है। इस मामले पर अगर सभी पक्ष एक साथ बैठक करें और समाधान निकाले तो यह मुश्किल नहीं होगा।

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