2017 हिन्दू नरसंहार: जब रोहिंग्याओं ने हिन्दुओं और उनके बच्चो का कत्लेआम किया…

देश में लोक सभा का चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव ज्यादातर पार्टियां अल्पसंख्यक वोटों को ही लुभाने पर लगी रहती है जबकि अगर जनसंख्या के हिसाब से देखें तो उनका वोट कम होता है। पूरी दुनिया में मुसलमानों के खिलाफ अगर कोई घटना होती है तो उसे मीडिया में भी जगह मिलती है और तमाम संगठन और समाजसेवी इसके हक में आवाज भी उठाने लगते है जबकि वहीं अगर किसी हिन्दू परिवार या व्यक्ति के साथ कुछ दुर्घटना होती है तो उसके खिलाफ कोई मीडिया या संगठन आगे नहीं आता है। भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक है लेकिन करीब सभी पार्टियां उनके हित के लिए हमेशा तैयार रहती है और चुनाव के समय तो यह प्यार कुछ ज्यादा ही नजर आने लगता है लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर कोई भी मीडिया आवाज नहीं उठा रहा है। 
हमारे देश में जबरन घुसे रोहिंग्या को लेकर भी लड़ाई जारी है कुछ राजनीतिक पार्टियां यह चाहती है कि रोहिंग्या भारत में ही रहें और इन्हे बाहर ना निकाला जाए लेकिन ऐसे लोगों को हम बताना चाहेंगे कि यह रोहिंग्या कितने खतरनाक और घातक है। सन 2017 में म्यांमार में रोहिंग्याओं ने हिन्दुओ का कत्लेआम किया था जिसमें अनगिनत लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। हिन्दुओ के इस नरसंहार में लाशों को सामूहिक कब्रों में दफनाना पड़ा था। रोहिंग्याओं ने इस नरसंहार में बच्चे, बूढ़े और औरतों तक को नहीं छोड़ा, उनके सामने जो मिला उसे अपनी तलवार से काटते गये। इस नरसंहार में सिर्फ वही लोग बचे जो या तो छिप गये या फिर इस्लाम कबूल कर लिया। इस घटना के बाद शायद आप इन रोहिंग्याओं को भारत की भूमि पर कभी नहीं देखना चाहेंगे। 
 
साल 2017 का समय था, म्यांमार के रखाइन प्रांत में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA), पाक खुफिया एजेंसी और बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों की मदद से इन्होंने बांग्लादेश के सुरक्षा बलों पर हमला बोला। इन्होंने म्यांमार की करीब 20 चौकियों पर हमला किया। इनका मुख्य निशाना बौद्ध थे लेकिन राज्य के अल्पसंख्यक हिन्दू भी इनकी नजर पर थे। 25 और 26 अगस्त 2017 को इन्होने रखाइन से हिंदुओं का सफाया करने का फैसला लिया, सैकड़ों की तादाद में रोहिंग्या हिन्दू इलाके में घुस गये। इनके पास पहले से ही हथियार थे जिसके इन्होने लोगों को जान से मारना शुरु कर दिया। इस नरसंहार के चश्मदीद आशीष कुमार ने बताया कि उनकी सास और 8 साल की मासूम बेटी को इन लोगों ने मार डाला। आशीष उस समय घर से बाहर थे उन्हे जैसे ही घटना की जानकारी मिली वह घर की तरफ भागे। आशीष जब घर पहुंचे तो वहां लाशों का घेर लगा हुआ था उन्होने लाशों के बीच अपनी बेटी को तलाशना शुरू किया लेकिन काफी मेहनत के बाद भी वह अपनी बेटी को नहीं ढूंढ सके, तभी अचानक उनकी नजर जमीन पर पड़े एक हाथ पर पड़ी जिसमें कड़ा और काले रंग का धागा था यह आशीष की बेटी थी। 
इस घटना की एक और चश्मदीद कुकु बाला ने बताया कि उनके पति और बेटी काम करने के लिए बाहर गये थे उसी दौरान उन्हे मार दिया गया जिसकी जानकारी उसे किसी खास ने दी। कुकु बाला डर के घर में छिप गयी तीन के बाद आर्मी से उसे निकाला और कैंप ले गयी। इस नरसंहार के ना जाने और कितने चश्मदीद होंगे जिसके सामने उनके ही परिवार को मार दिया गय। रोहिंग्या के इस नरसंहार के बाद सरकार की तरफ से मरने वालों की गिनती की गयी जिसमें कटे और क्षत-विक्षत शवों को गिनना भी मुश्किल था। पहले मरने वालों की संख्या 50 के करीब बतायी गयी फिर बाद में इसे 99 बताया गया जबकि आंकड़े हजारों से अधिक है जिनमें मरने वाले और गायब दोनों शामिल है। 
 
इस घटना पर एमनेस्टी ने एक रिपोर्ट दी, जिसमें इस घटना के पीछे रोहिंग्याओं और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) को जिम्मेदार बताया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 45 हिन्दू परिवारों के शव को 3 गड्ढों में दफनाया गया था जिन्हें बाद में जब निकाला गया तो सभी शव क्षत-विक्षत थे किसी में हाथ नहीं था तो किसी में सर ही गायब था। इस घटना को देख सभी का दिल दहल गया कि आखिर ऐसा कौन सा अपराध किया था जिसकी इतनी बुरी सजा मिली। आप को बता दें कि अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) का गठन रखाईन प्रांत को रोहिंग्याओं के लिए एक अलग आजाद प्रांत बनाने के लिए किया गया था। इन लोगों को अलग अलग आतंकी संगठनों से पैसा और हथियार मिलता है जिससे यह लोग मानवता के खिलाफ इस्तेमाल करते है।
रोहिंग्याओं की इस हरकत के बाद शायद ही कोई सरकार होगी जो इन्हे भारत में बसाने की बात सोचेगी। बांग्लादेश जिसने रोहिंग्या को जगह दी वह खुद इनसे परेशान है क्योंकि यह लोग अब बांग्लादेश के लिए नासूर बनते जा रहे है। बांग्लादेश के तमाम शहरों को इन्होने ड्रग्स का अड्डा बना दिया है और वहां ड्रग्स का खुलेआम धंधा कर रहे है। भारत के लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि यहां भी कुछ लोग मानवता के नाम पर इन्हे बसाने का प्रयास कर रहे है लेकिन शायद उन्हे यह नहीं पता है कि उनका यह फैसला भारत के भविष्य के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है।

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