हथियारों की खरीद में आत्मनिर्भर हो रहा भारत, रक्षा आयात में 33 फीसदी की गिरावट


देश की बागडोर जब से नरेंद्र मोदी ने संभाली है तब से देश की अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया और उसका सीधा असर चीन के साथ हुई झड़प में देखने को मिली थी। चीन जो कभी भारत को अपने से कमजोर समझता था उसे भारत ने पीछे हटने पर मजबूर कर दिया हालांकि इस दौरान देश के कुछ वीर सपूतों को अपना बलिदान देना पड़ा लेकिन यह भारत के इतिहास में एक अलग अध्याय तैयार हो गया कि भारत अब चीन के आगे झुकने वाला नही है। भारत ने ना सिर्फ चीन को सीमा पर खदेड़ दिया बल्कि अर्थव्यवस्था में भी उसे बड़ा झटका दिया गया। तमाम चीनी ऐप जो भारत से पैसा कमा रहे थे उसे भारत सरकार ने बैन कर दिया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की साख दुनिया के सामने भी बढ़ी है और अमेरिका जैसे देश भी अब भारत को प्रबल दावेदार के रुप में लेने लगे है। देश का रक्षा क्षेत्र जिस तरह से मजबूत किया गया उससे दुश्मन तो हैरान हैं ही साथ ही वह देश भी परेशान है जहां से पहले भारत हथियारों की खरीददारी करता था। अमेरिका और रुस जैसे देश पहले भारत को हथियार और लड़ाकू विमान निर्यात करते थे लेकिन अब इसमें बड़ी गिरावट आयी है और भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है। DRDO की मदद से लगातार रक्षा संबंधी हथियार तैयार किए जा रहे है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सन 2011-15 की तुलना में सन 2016-20 के हथियारों की खरीददारी में 33 फीसदी की कमी आयी है और इसका सबसे अधिक प्रभाव रुस पर पड़ा है क्योंकि भारत सबसे अधिक हथियार रुस से खरीदता था।

भारत उन देशों की श्रेणी में आता है जो बड़ी संख्या में हथियारों का आयात करता है लेकिन पिछले कुछ सालों से इसमें परिवर्तन देखने को मिल रहा है और अब भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है। कहते है कि अगर इरादा मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता, कभी भारत हथियारों के आयात को लेकर ही परेशान रहता था और उसमें भी बड़े बड़े घोटाले सामने आते थे लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियों की वजह से भारत अब ना सिर्फ हथियारों के आयात में कमी ला चुका है बल्कि अब कुछ देशों से हथियारों का निर्यात भी शुरु कर दिया है। भारत में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल और तेजस की मांग में तेजी देखने को मिल रही है जिससे यह उम्मीद लगायी जा रही है कि आने वाले समय में भारत इनका निर्यात बड़ी मात्रा में कर सकता है।


रक्षा मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि आयुध फैक्ट्रियों ने हथियारों की बिक्री शुरु कर दी है। अभी तक संयुक्त अरब अमीरात, इजराइल, ब्राजील, बांग्लादेश सहित कई देशों को हथियार दिया गया है इसमें संयुक्त अरब अमीरात ने सबसे अधिक हथियार खरीदा है। DRDO द्वारा निर्मित 155MM तोपों की बिक्री सबसे ज्यादा हुई है जिसमें आयुध फैक्ट्री को अधिक मुनाफा भी हुआ है। अब अगर DRDO और आयुध फैक्ट्री की बात की जाए तो यहां पर सब कुछ वहीं है जो पिछली सरकारों के समय पर था लेकिन अगर कुछ कमी थी तो वह इच्छा शक्ती की थी। इससे पहले तक भारत की सरकारों ने हथियारों के आयात को ही अपना लक्ष्य बना लिया था और दूसरे देशों से खरीददारी को ही अपना विकास समझते थे लेकिन वर्तमान की मोदी सराकर ने यह पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया और सभी को यह समझा दिया कि इच्छा शक्ति से बहुत कुछ मुमकिन है।


आयुध फैक्ट्रियों को और विकसित करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने उन्हे एक निश्चित लक्ष्य दे दिया है और कहा कि आयुध फैक्ट्री अपनी कुल आय का एक चौथाई राजस्व निर्यात से हासिल करें और इसके लिए आयुध फैक्ट्रियों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश किया जा रहा है जिससे इन्हे काम करने में कोई कठिनाई ना हो, सरकार की तरफ से कुछ उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगा दी गयी है जिससे इसे देश के अंदर ही तैयार किया जाए। सरकार ने सन 2025 तक 11.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा कारोबार का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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