काशी विश्वनाथ मामले में कोर्ट ने दी पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी

अयोध्या की तरह ही वाराणसी में भी बाबा विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच का विवाद जारी है। पिछले काफी समय से यह मामला कोर्ट में लटका पड़ा था जिस पर गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसके पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया है। वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरफ से यह कहा गया है कि पुरातत्व विभाग 5 लोगों की एक कमेटी नियुक्त करेगा और विवादित स्थान की खुदाई कर यह निश्चित करेगा कि यहां पहले मंदिर था या मस्जिद। इस कमेटी के लिए होने वाला खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा।

आपको बतादें कि सन 2019 में सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी जिसमें यह दावा किया गया था कि बाबा विश्वनाथ मंदिर के आसपास के मस्जिद को गलत तरीके से बनाया गया है जबकि यह पूरी जमीन पर सिर्फ मंदिरों का अधिकार है। याचिकाकर्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि इस जगह की पुरातत्व विभाग द्वारा जांच कराई जाए, जिस पर गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया और पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दे दिये। वहीं रस्तोगी की याचिका के बाद जनवरी 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की और रस्तोगी की याचिका को रद्द करने की मांग की, हालांकि कोर्ट ने उनकी यह दलील को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को इतिहास से अवगत कराते हुए बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करीब 2 हजार साल पहले कराया था लेकिन जब भारत पर मुगलों ने आक्रमण किया तब मुगल शासक औरंगजेब ने भारत के तमाम मंदिरों को तोड़ दिया था। वाराणसी का बाबा विश्वनाथ मंदिर भी इसी क्रम में शामिल था। करीब 1664 में वाराणसी के मंदिर को भी नष्ट किया गया और उसके अवशेषों से मस्जिद का निर्माण किया गया। कोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मस्जिद के चबूतरे को देखा जाए तो वह एक मंदिर के चबूतरे की तरह दिखता है जिससे यह साबित होता है कि मुगल काल में मंदिर के ऊपरी भाग को तोड़ कर उस पर ही मस्जिद तैयार की गयी है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की है कि विवादित मस्जिद को वहां से हटाया जाए और मंदिर ट्रस्ट को जमीन को अपने कब्जे में लेने की अनुमति दी जाए।

कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि पुरातत्व विभाग की जांच के बाद यह साफ हो जाएगा कि यह मंदिर की जमीन है और यहां पहले से कोई मस्जिद नही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के फैसले को सही बताते हुए कहा कि विवादित स्थल की खुदाई के बाद दोनों पक्षों की दलील साफ हो जाएगी और किसी को गिला शिकवा नहीं होगा। रस्तोगी ने बताया कि इस केस की सुनवाई 2 अप्रैल को ही पूरी हो गयी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आप को बता दें कि इससे पहले अयोध्या के राम मंदिर मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्व को खुदाई का काम दिया गया था जिसमें मंदिर से जुड़े सभी धातु व अवशेष मिले थे और उसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था।

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