एक अदृश्य वायरस दुनिया में इतना तहलका मचा देगा यह किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। कोरोना नाम का यह वायरस पूरी दुनिया को अपने कब्जे में ले चुका है। इस महामारी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिन्दू धर्म का प्रवित्र स्नान कुभ को बंद करना पड़ रहा है और इसके लिए खुद प्रधानमंत्री को संतों से निवेदन करना पड़ा। पीएम मोदी ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी से बात कर यह निवेदन किया कि दो शाही स्नान हो चुके है और कोरोना को देखते हुए आगे के स्नान को सिर्फ चंद लोगों के लिए रखा जाए। पीएम ने देश का मुखिया होने के नाते यह निवेदन किया कि स्नान एक धार्मिक कार्यक्रम है लेकिन देश के हालात को देखते हुए इसे बाहरी लोगों के लिए बंद करना होगा अन्यथा देश में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ सकती है।
आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी से आज फोन पर बात की। सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं। मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यक्त किया।
— Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2021
जानकारों के मुताबिक चीन से शुरू हुआ यह वायरस अब पूरे विश्व में पहुंच चुका है और इसकी वजह से अभी तक करोड़ों लोगों की जान जा चुकी है और करीब उतने ही लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है। कोरोना की वजह से तमाम देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है और बेरोजगारी बढ़ रही है लोगों के पास नौकरी नहीं है जिससे भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। खुद का व्यवसाय करने वाले लोग भी परेशान है क्योंकि इस महामारी की वजह से लोग बाहर नहीं निकल रहे है और ना ही कुछ खरीद रहे है जिससे बाजार से पैसा खत्म हो चुका है और बाजारों की हालत भी खराब है।
कोरोना वायरस महामारी ने बच्चों से लेकर वृद्ध तक को अपनी चपेट में ले लिया है। इसके शुरुआती दौर में यह दावा किया गया था कि कोरोना का असर वृद्ध और बच्चों पर ज्यादा होगा जबकि कोरोना की दूसरी लहर में इससे बिल्कुल अलग आंकड़े नजर आ रहे है। इस बार 25 से 40 वर्ष के बीच के लोग कोरोना के ज्यादा शिकार हो रहे है। पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो युवा वर्ग तेजी से कोरोना की चपेट में आया है। इसके पीछे की एक वजह यह भी हो सकती है कि युवा वर्ग नौकरी और व्यवसाय के लिए बाहर निकल रहा है इसलिए उसके संक्रमित होने की ज्यादा उम्मीद है। पूरे देश में अभी तक 14 लाख से अधिक केस हो चुके है जिसमे से 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। देश के तमाम अस्पताल अब इलाज करने में विफल हो रहे है। हास्पिटल के पास ऑक्सीजन, इंजेक्शन जैसे तमाम जरुरी सामानों की कमी हो रही है और इसे गलत तरीके से बहुत अधिक दामों में खरीदना पड़ रहा है। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर आप के पास अधिक पैसा तो आप की जान बचने की उम्मीद है वरना आप अस्पताल के चक्कर लगा लगाकर ही अपनी जान दे देंगे।
देश वर्तमान में एक बड़े संकट से जूझ रहा है और इसका सही विकल्प सरकार के पास भी नहीं है। आम जनता मरने के लिए मजबूर है उसके पास भी कोई विकल्प नहीं है हालांकि इसके लिए असली दोषी कौन है यह भी पता करना थोड़ा मुश्किल है, हम सरकार को दोषी बता रहे है लेकिन अगर देखा जाए तो जनता भी इसमें उतनी ही हकदार है जितनी की सरकार, चुनाव के समय जनता जाति, धर्म और राज्य के नाम पर वोट करती है कभी किसी नेता ने अस्पताल को अपना मुद्दा ही नहीं बनाया क्योंकि उसे पता है कि जनता धर्म और जाति के नाम पर वोट करती है लेकिन आज हालात यह हो गये है कि किसी भी धर्म के लिए अस्पताल में जगह नहीं है और जिन धार्मिक स्थलों के लिए लोग लड़े थे वह आज बंद है और वहां से कोई मदद नहीं मिल रही है। घर में बैठा इंसान सिर्फ यही सोच रहा है कि वह इस वायरस से बचा रहे है लेकिन फिर भी उसे अपने दरवाजे पर हमेशा मौत खड़ी नजर आती है।