चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को ही क्यों मनायी जाती है रामनवमी?

एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में बैठा।
एक राम का सकल उजियारा, एक राम जगत से न्यारा।।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था इसलिए हर वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को हम रामनवमी का त्यौहार मनाते है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राजा दशरथ के घर में हुआ था। पृथ्वी पर लंका के राजा रावण के अत्याचार बहुत बढ़ चुके थे मानव के साथ साथ देवता भी उससे परेशान हो गये थे। राक्षस रावण हमेशा देवताओं को परेशान करता था जिसके बाद सभी देवताओं ने विष्णु भगवान की आराधना की और विकल्प स्वरूप विष्णु भगवान को मृत्युलोक में मानव के वेश में अवतार लेना पड़ा।

पृथ्वी पर रावण के अत्याचारों को खत्म करने के लिए प्रभु श्री राम ने जन्म लिया था लेकिन हिन्दू धर्म शास्त्रों का अध्ययन किया जाए तो यह ज्ञात होता है कि इसके अलावा भी बहुत कारण है जिसके लिए विष्णु को पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा और एक मानव जीवन की लीला खेलनी पड़ी। राम के जन्म को धर्म की पुनः स्थापना को लेकर भी देखा जाता है क्योंकि राम ने पूरा जीवन धार्मिक तौर पर गुजारा है जिससे हिन्दू धर्म और मजबूत हुआ। रामनवमी का त्यौहार हिन्दू धर्म के लिए बड़ा ही विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी की पूजा और आरती होती है। रामनवमी पर पूरे विधि विधान से राम, लक्ष्मण और सीता की पूजा होती है बहुत सारे लोग इस दिन व्रत भी रखते है। नवरात्रि का आखिरी दिन भी रामनवमी को ही होता है जिससे इस दिन व्रत रखने वालों की संख्या ज्यादा होती है क्योंकि नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन बहुत सारे लोग व्रत रखते है।

चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन ही शुक्ल पक्ष की नवमी होती है जिससे रामनवमी का त्यौहार इसी दिन होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन देश की पवित्र नदियों में स्नान करना भी लाभदायक होता है। रामनवमी का स्नान काफी प्रचलित है लोग दूर दूर से गंगा सहित तमाम नदियों में स्नान करने जाते है। रामनवमी को राम जी का जन्म हुआ था और इसलिए ही उनकी पूजा की जाती है। पृथ्वी पर जब जब पाप बढ़ा है तब भगवान विष्णु ने अलग अलग रूप में अवतार लिया और असुरों का नाश किया है। अगर आप धर्मग्रंथों का अध्ययन करते है तो आप को अधिक जानकारी मिलेगी। पृथ्वी पर जब रावण का अत्याचार बढ़ा तब विष्णु को अवतार लेना पड़ा। राम के रूप में यह उनका सातवां अवतार था इससे पहले अलग अलग रूपों में वह 6 बार अवतार ले ब्रह्मांड को असुरों के अत्याचार से बचा चुके थे।

अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थी लेकिन उनके कोई भी पुत्र नहीं था। राजा दशरथ ने ऋषि-मुनियों से विचार विमर्श किया जिसके बाद ऋषियों ने राजा को यज्ञ कराने का आग्रह किया। राजा ने आज्ञा मानते हुए यज्ञ कराया और उसके प्रसाद को तीनों रानियों में बांट दिया। यज्ञ के बाद तीनों रानियों ने 4 राजकुमारों को जन्म दिया। सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने विष्णु के अवतार राम को जन्म दिया। रानी कैकेयी ने भरत को पुत्र के रूप में जन्म दिया और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। गुरु वशिष्ठ की देखरेख में राम और लक्ष्मण ने अपनी शिक्षा ली और आगे चल कर असुरों का नाश किया।

इस बार चैत्र मास की नवमी 21 अप्रैल को पड़ रही है यानी कि बुधवार को रामनवमी का उत्सव मनाया जायेगा। 21 अप्रैल को मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही चैत्र नवरात्र भी समाप्त हो रहा है लेकिन इस बार खास बात यह कि रामनवमी को 5 ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है जिससे रामनवमी का दिन काफी शुभ माना जा रहा है। धर्मगुरुओं के मुताबिक ऐसा संयोग इससे पहले वर्ष 2013 में देखने को मिला था यानी कि 9 साल बाद यह शुभ संयोग फिर से बना है। इस बार रामनवमी को शुभ समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1.38 तक का बताया गया है इस समय में पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

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