तुलादान ने बढ़ाया मुख्यमंत्री का मान

समस्त महाजन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश भाई शाह ने बताया कि तुलादान को प्रोत्साहित करने के लिए समस्त महाजन संस्था ऐसे कार्यक्रम नित्य करती रही है। ऐसा देखा गया है कि जिन्होंने भी तुलादान में हिस्सा लिया है ऐसे दानवीरों की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली है और उनकी यश पताका सदैव फहराती रही है। उनमें से एक,अपने यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी हैं, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने भी तुलादान किया था और उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी तुलादान कर गोवंश एवं पशुधन संरक्षण के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भारतीय संस्कृति में युगों-युगों से धार्मिक-सांस्कृतिक कार्य में तुलादान का बड़ा ही महत्व रहा है और तुलादान को सर्वश्रेष्ठ दान माना गया है। सदियों पुरानी परंपरा आज भी चली आ रही है, इस परंपरा और विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य देश की प्रतिष्ठित संस्था ‘समस्त महाजन’ निरंतर करती आ रही है। बीते दिनों गुजरात के गांधीनगर में एक भव्य समारोह के दौरान ‘समस्त महाजन’ संस्था ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को 85 किलोग्राम रजत (चांदी) से तुलादान करवा कर उनका सम्मान किया। जिसके बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी अपनी गोभक्ति का परिचय देते हुए तुलादान में अर्पित रजत को गौ सेवा के लिए दान कर दिया।

समस्त महाजन संस्था ने कई दानवीर भामाशाहों से करवाया है तुलादान

तुलादान भारतीय परंपराओं मेंएक अनुपम महान दान प्रणाली है, कन्यादान, गोदान, भूमिदान, अन्न-वस्त्र दान आदि सभी दान में तुलादान को सर्वोत्तम कहा जाता है। ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाओं में तुलादान का उल्लेख आया है। विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और उनकी धर्मपत्नी सत्यभामा से संबंधित तुलादान की कथा बहुत लोकप्रिय एवं जनसामान्य में प्रचलित है। भारत की महान परंपराओं का संरक्षण एवं संवर्धन करने हेतु समस्त महाजन संस्था दृढ़ संकल्पित व समर्पित है। समस्त महाजन संस्था द्वारा समय-समय पर मानव कल्याण हेतु अनेकों दानवीर भामाशाहों से तुलादान करवाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है तुलादान

समस्त महाजन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश भाई शाह ने बताया कि तुलादान को प्रोत्साहित करने के लिए समस्त महाजन संस्था ऐसे कार्यक्रम नित्य करती रहती है। ऐसा देखा गया है कि जिन्होंने भी तुलादान में हिस्सा लिया है ऐसे दानवीरों की कीर्ति चारों ओर फैली है और उनकी यश पताका सदैव फहरती रही है। उनमें से एक यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी है, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने भी तुलादान किया था और उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी तुलादान कर गोवंश एवं पशुधन संरक्षण के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

गौ हत्या के खिलाफ बनाया गया है कड़ा कानून

समस्त महाजन संस्था द्वारा आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने वक्तव्य में कहा कि उनकी सरकार पशुधन की रक्षा और उसके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। गोवंश की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने कड़ा कानून बनाया है, जिसमें 10 वर्ष से अधिक तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि गौशाला एवं पांजरापोल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी ज़रूरी कदम राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे है। इस कार्यक्रम के दौरान ही मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने बनासकांठा और मेहसाणा में गोचर विकास कार्यक्रम का ऑनलाइन उद्घाटन भी किया।

पशुओं के इलाज हेतु 350 चिकित्सा वेन शुरू

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार ने पशुओं के इलाज हेतु 350 चिकित्सा वैन की सुविधा शुरू की है और उसके साथ ही गौशालाओं में पशुओं के इलाज के लिए राज्य सरकार आर्थिक मदद भी दे रही है। गौशाला में गोवंश को समय पर चारा-पानी सहजता से उपलब्ध हो सके, इसके लिए वह प्रयत्नशील है। पक्षियों के इलाज के लिए भी बेहतर व्यवस्था की गई है। पतंग उत्सव के दौरान घायल हुए पक्षियों के ईलाज हेतु ‘करुणा’ नामक अभियान की शुरुआत की गई है। हमारा प्रयास है कि राज्य में मानव के साथ ही सभी पशु-पक्षी भी सुगमता के साथ अपना जीवनयापन कर सके। सभी प्राणिमात्र की रक्षा सुनिश्चित करने का कार्य हम कर रहे हैं। इस समारोह में समस्त महाजन संस्था के अशोक भाई सेठ, देवेंद्र जैन एवं राजेश भाई सहित संस्था के अन्य पदाधिकारी एवं गणमान्य जन उपस्थित थे।

गोसेवा में अग्रणी संस्था है ‘समस्त महाजन’

सदियों से भारत में गोसेवा-गोपालन, गोरक्षा की जाती रही है। भगवान श्रीकृष्ण और छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर अनगिनत महापुरुषों ने समय-समय पर गोरक्षा की है और गोसंवर्धन पर बल दिया है। हिंदू धर्म के साथ ही जैन,सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भी सदैव गाय को माता के समान माना है, श्रद्धापूर्वक पूजा है और उसकी सेवा एवं रक्षा की है। गाय को केवल धार्मिक नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि वैज्ञानिक पहलुओं और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी उसे देखा जाना चाहिए। गोवंश के अनेक प्रकार के लाभ को देखते हुए और महापुरुषों को दिखाए मार्ग पर चलते हुए समस्त महाजन संस्था ने भी गोवंश के साथ ही प्राणिमात्र एवं प्रकृति की रक्षा व सुरक्षा का जिम्मा अपने सर पर उठाया है।

 

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